न्यूजीलैंड ऐसा मानता है कि फाइव आइज एलायंस (Five Eyes Alliance) और क्वाड्रिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग (Quadrilateral Security Dialogue) यानी क्वाड (QUAD) का अपना एक खास फोकस है और अलग-अलग लक्ष्य है. वहां की विदेश मंत्री नानैया महुता ने कहा कि इसलिए दोनों को बिल्कुल अलग और स्वतंत्र रूप से अपना काम करते रहना चाहिए. भारत दौरे पर आयीं महुता ने मंगलवार को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की. इसी दौरान उन्होंने एबीपी लाइव को दिए एक विशेष साक्षात्कार में ये बातें कहीं. दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उत्पन्न हुए वैश्विक राजनीतिक तनाव और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती रणनीतिक चुनौतियों पर बातचीत की.
महुता ने भारत के फाइव आईज की सदस्यता की क्षमता होने के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने एबीपी लाइव को बताया कि जिस तरह से क्वाड का अपना एक विशिष्ट उद्देश्य है, उसी तरह से फाइव आईज एलायंस का भी एक विशेष फोकस है. इसलिए, मैं नहीं चाहती कि दोनों अपने उद्देश्यों को एक दूसरे से दूर लें जाएं. सामान्यत: दोनों के पास इस क्षेत्र के लिए व्यापक उद्देश्यों में बहुत अलग उद्देश्य हैं.
आपको बता दें कि फाइव आईज एलायंस जिसमें ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, यूएस, यूके और कनाडा शामिल हैं एक खुफिया-साझाकरण समूह है. वर्ष 2021 में यूएस कांग्रेस की उपसमिति ने खुफिया और विशेष संचालन पर अपने एक रिपोर्ट में खुफिया-साझाकरण व्यवस्था के विस्तारीकरण के लिए भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और जर्मनी को इस समूह में शामिल करने के संभावित विस्तार का सुझाव दिया था.
आपको बता दें कि क्वाड चार देशों जिसमें अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं एक रणनीतिक और कूटनीतिक मंच है.
अमेरिकी रिपोर्ट ने यह सुझाव दिया कि चीन और रूस से बढ़ते खतरों को देखते हुए, 'फाइव आईज एलायंस' समूह को अपने मौजूदा तंत्र की समीक्षा करनी चाहिए और साथ ही साथ एक परस्पर साझाकरण ढ़ांचे को तैयार करने के लिए समूह में नए देशों को अनिवार्य रूप से शामिल करना चाहिए.
'प्रशांत क्षेत्र के लिए चीन को बताया चुनौती'
प्रशांत क्षेत्र में एक राष्ट्र के रूप होने के नाते, महुता ने कहा कि न्यूजीलैंड भी चीन को एक "चुनौती" के रूप में देखता है जैसा कि अन्य प्रशांतीय द्वीपो का उसके साथ एक "जटिल संबंध" है. यह मुद्दा तब उठा जब वे भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर के साथ बैठक में वार्ता कर रहीं थी.
दोनों के बीच वार्ता में हिंद-प्रशांत क्षेत्र एक बड़ा मुद्दा था…उन्होंने कहा कि हम प्रशांत क्षेत्र में भारत की रुचि का स्वागत करते हैं और हम उन तरीकों को खोजना चाहते हैं जिससे हम इस क्षेत्र में भागीदार बन सकें. महुता ने कहा कि हमें कुछ मौका आईएसए (अंतरराष्ट्रीय सौर्य गठबंधन) के माध्यम से मिल सकता है और कुछ अवसर नवीकरणीय ऊर्जा और सौर क्षेत्र में प्रशांत क्षेत्र का समर्थन करने के लिए हो सकते है.
मंत्री ने आगे कहा कि “हमने चीन से मिल रही चुनौतियों पर भी चर्चा की. चीन प्रशांत क्षेत्र में चुनौती है जिसका हम सामना कर रहे हैं. यह एक जटिल संबंध है. हमें चीन के साथ अपने संबंधों को इस तरह से प्रबंधित करना होगा कि हम इस विशाल क्षेत्र में शांति स्थापित कर सकें."
अगस्त 2019 में न्यूजिलैंड अपनी विदेश नीति के हिस्से के रूप में हिंद-प्रशांत रणनीतिक दृष्टि के साथ सामने आया. इसके बाद जुलाई 2021 में उनसे अपने आप को हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अमेरिकी संस्करण के साथ जोड़ लिया. भारत और न्यूजीलैंड आपसी रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए एक दूसरे को सहयोग करने की संभावनाओं को तलाश कर रहे हैं.
हम यह जानते हैं कि भारत और न्यूजीलैंड के बीच यह महत्वपूर्ण अवसर महत्वपूर्ण है यह सुनिश्चित करने के लिए हम एक साथ अपने परस्पर हितों के क्षेत्रों में काम कर सकें और अपनी समान आकांक्षाओं का ध्यान रख सकें. जब भी मैं सामान्य संरचना के बारे में सोचती हूं तो प्रशांत द्वीप समूह फोरम की तरह न्यूजीलैंड आसियान की केंद्रीयता को बरकरार रखता है. उन्होंने कहा कि वे हिंद-प्रशांत क्षेत्र के दो ऐसे घटक हैं जिन्हें हम सुरक्षित देखना चाहते हैं.
पैसिफिक आइलैंड्स फोरम इस क्षेत्र का एक प्रमुख राजनीतिक और आर्थिक नीति संगठन है. इसकी स्थापना वर्ष 1971 में हुई थी और इसमें 18 सदस्य देश शामिल हैं जिसमें ऑस्ट्रेलिया, कुक आइलैंड्स, फेडरेटेड स्टेट्स ऑफ माइक्रोनेशिया, फिजी, फ्रेंच पोलिनेशिया, किरिबाती, नाउरू, न्यू कैलेडोनिया, न्यूजीलैंड, नियू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, मार्शल आइलैंड्स गणराज्य, समोआ, सोलोमन द्वीप, टोंगा, तुवालू और वानुअतु हैं.
भारत-न्यूजीलैंड का संबंध व्यापार से कहीं अधिक
न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री महुता ने इस बाद को दोहराया कि भारत के साथ न्यूजिलैंड के संबंध अब जलवायु परिवर्तन पर अधिक केंद्रित हो गया है न कि द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने पर, हमने प्रभावी रूप से प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल रहे हैं.
दोनों के बीच एफटीए के लिए वार्ता वर्ष 2010 में शुरू हुई थी और आखिरी बार औपचारिक रूप यह फरवरी 2015 में हुआ था.
उन्होंने कहा कि भारत-न्यूजीलैंड की साझेदारी महत्वपूर्ण है और यह व्यापार से कहीं अधिक है. निश्चित रूप से भविष्य में इसके लिए अवसर हो सकता है, लेकिन मैं सोचती हूं कि वर्तमान समय में हमें हमारे क्षेत्र में वैश्विक राजनीतिक तनाव को देखते हुए इस बात पर बल देने आवश्यकता है कि हम किस पर भरोसा कर सकते हैं, हम अपनी जरूरतों के लिए इस वक्त किस पर भरोसा कर सकते हैं और भारत इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है.
अक्टूबर 2022 में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर जब न्यूजीलैंड की यात्रा पर थे तब महुता ने कहा था कि एफटीए दोनों देशों के लिए प्राथमिकता नहीं है.
उन्होंने कहा कि भारत और न्यूजीलैंड के पास समुद्र से समुद्र तक का लाभ है और वेलिंगटन और नई दिल्ली दोनों इसे आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रीत कर रहे हैं और यह प्रदर्शित कर रहे हैं कि हम कई मोर्चों पर और विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन के लिए एक विश्वसनीय भागीदार हैं. उन्होंने आगे कहा कि यह संबंधों के बारे में है, यब स्थिरता के बारे में है ना कि आर्थिक अवसरों के बारे में.
उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के चलते अपने अस्तित्व के होने का सामना कर रहा है और इसके लिए वे भारत जैसे देश के साथ साझेदारी करना चाहते हैं.
महुता ने कहा कि प्रशांत क्षेत्र के हिंद-प्रशांत वाला भाग जलवायु खतरे का सामना कर रहा है और यह अस्तिव के होने और सुरक्षा के खतरे को क्षेल रहा है. इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए, जो महत्वपूर्ण संदेश है वह यह कि हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हम जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटें और हम अपनी भागीदारी के तरीकों को खोजें और हमारे संबंधों की को बढ़ाने के लिए अवसरों की तलाश करें और हमें प्रशांत द्विप समूह क्षेत्र में स्थिरता के लिए व्यापक दृष्टिकोण के साथ काम करना है और यह हमारा दृष्टिकोण है.