One Earth One Health – Advantage Healthcare India 2023: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत का लक्ष्य केवल स्वास्थ्य सेवा को भारतीय नागरिकों के लिए ही सुलभ और सस्ता बनाना बनाना नहीं है बल्कि यह पूरे विश्व के लिए है. उन्होंने कहा कि असमानता को कम करना देश की प्राथमिकता है. सच्ची प्रगति वही है जो जन-केंद्रित है और चिकित्सा विज्ञान चाहे कितनी भी प्रगति हुई हो, लेकिन यह सफल तभी माना जाएगा जब अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक इसकी सुलभ व सस्ती पहुंच सुनिश्चित की जा सके. इसका लाभ अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को सुनिश्चित करके ही प्राप्त किया जा सकता है. दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में वन अर्थ वन हेल्थ-एडवांटेज हेल्थ केयर इंडिया-2023 के छठे संस्करण का वर्चुअल उद्घाटन किया.

 

प्रधानमंत्री ने भारत के रोग निवारक और प्रोत्साहक स्वास्थ्य की महान परंपरा की ओर भी इशारा किया. उन्होंने कहा कि योग और ध्यान अब वैश्विक आंदोलन बन गए हैं. ये आधुनिक दुनिया को प्राचीन भारत की देन है. दुनिया भर में लोग आज तनाव मुक्त जीवन शैली के लिए समाधान ढूंढ रहे थे. उन्होंने वैश्विक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया को अलग नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि यह समय एक एकीकृत, समावेशी और संस्थागत स्वास्थ्य सुविधाओं को विकसित करने का है. जब हम G20 की अध्यक्षता कर रहे हैं तो यह हमार एक प्रमुख फोकस क्षेत्र भी है. उन्होंने देश के किफायती और सुलभ हेल्थकेयर इकोसिस्टम की सराहना की.

 

दुनिया की सबसे बड़ी और सरकार द्वारा वित्तपोषित स्वास्थ्य बीमा कवरेज आयुष्मान भारत की चर्चा की. उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 500 मिलियन से अधिक लोगों को मुफ्त उपचार के साथ 40 मिलियन से अधिक लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की गई है. बीमारी की कमी को अक्सर अच्छे स्वास्थ्य के साथ जोड़ा जाता था लेकिन स्वास्थ्य के बारे में भारत का नजरिया बीमारी की कमी पर ही नहीं रुका. रोग मुक्त होना स्वास्थ्य के मार्ग का एक पड़ाव मात्र है और हमारा लक्ष्य सभी के लिए कल्याण का है. हमारा लक्ष्य शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण करने का है. जब समग्र स्वास्थ्य सेवाओं की बात आती है, तो भारत में प्रतिभा, प्रौद्योगिकी, ट्रैक रिकॉर्ड और परंपरा जैसी कई महत्वपूर्ण ताकतें हैं. दुनिया ने भारतीय डॉक्टरों के प्रभाव को देखा है. उनकी क्षमता और प्रतिबद्धता के लिए व्यापक रूप से उनका सम्मान किया जाता है.

 

उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के दौरान ग्लोबल साउथ के देशों को संसाधनों से वंचित किया गया. उन्हें विभिन्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. लेकिन भारत ने कोरोना रोधी टीकों को विकसित कर और दवाओं के माध्यम से लाखों लोगों के जीवन को बचाने का महान कार्य किया. हमने कई देशों में अपने टीकों और दवाओं से मदद की. ऐसा करके भारत खुद गौरवान्वित महसूस कर रहा है. कोविड-महामारी ने यह दिखाया कि दुनिया में देशों की अलग-अलग सीमाएं स्वास्थ्य खतरों को नहीं रोक सकती हैं वो भी तब जब हम पूरे विश्व भर के देश एक दूसरे से जुड़ हुए हैं. सदी में एक बार आने वाली इस महामारी ने दुनिया को कई सच्चाइयों की याद दिला दी. दरअसल, भारत ने कोरोना से बचाव के लिए 100 से अधिक देशों को कोविड टीकों की 300 मिलियन खुराक भेजी है जो हमारी स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्षमता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है. उन्होंने वन अर्थ वन हेल्थ के साझा एजेंडे को पूरा करने के लिए दुनिया भर के राष्ट्रों का समर्थन मांगा है.





इस मौके पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डा. मनसुख मंडाविया ने कहा, भारत ने पिछले नौ वर्षों में एक मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली बनाने के लिए कई उपाय किए हैं. उन्होंने कहा कि भारत वर्तमान में दुनिया भर में एक महत्वपूर्ण चिकित्सा मूल्य यात्रा (Medical Value Travel) का गंतव्य स्थान के रूप में उभरा है. नवीनतम आंकड़ों के अनुसार भारत एमवीटी के लिए मुख्य गंतव्य के रूप में उभरा है. चूंकि 2017 में भारत में मेडिकल टूरिज्म की मांग करने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या 45,42,000 थी और इस पर कुल विदेशियों का खर्च $12.8 बिलियन से अधिक हो गया ( 1 लाख करोड़). इसमें मुख्य रूप से तंदुरूस्ती, चिकित्सीय देखभाल, कायाकल्प चिकित्सा, योग, ध्यान, सस्ती और समग्र स्वास्थ्य देखभाल आदि सहित उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की मांग ज्यादा रही. नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा कि भारत ने ग्लोबल मेडिकल डेस्टिनेशन के क्षेत्र में एक बड़ा फूटहोल्डर बना है. भारत का मेडिकल वैल्यू ट्रेवल मार्केट का साइज 2026 तक 13 बिलियन डॉलर तक होने की संभावना है.

 

वन अर्थ वन हेल्थ-एडवांटेज हेल्थकेयर इंडिया 2023 दो दिवसीय आयोजन था. इसका मकसद पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण करना और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के उद्योगों के विभिन्न हितधारकों के बीच वैश्विक सहयोग और साझेदारी को विकसित करना है. इसमें मुख्य रूप से रोगी और स्वास्थ्य देखभाल कार्यबल की गतिशीलता पर ध्यान केंद्रित किया जाना है ताकि विभिन्न देशों में रोगियों को मूल्य-आधारित यानी उन्हें वहन करने की क्षमता के अनुरूप स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकें. इसका उद्देश्य भारत को किफायती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण और विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवा और जन कल्याणकारी सेवाएं प्रदान करने के नए केंद्र के रूप में प्रदर्शित करना है. इसमें विदेशों के दस स्वास्थ्य मंत्रियों सहित कुल 470 से अधिक विदेशी प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. भारत अपने नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सेवा तक समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है. वन अर्थ वन हेल्थ विजन के तहत अपनी जी20 अध्यक्षता के दौरान दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता में असमानता को कम करने के लिए प्रयासरत है.

 

देश में नर्सिंग कार्यबल को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए बुधवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 2014 से स्थापित मौजूदा मेडिकल कॉलेजों के साथ सह-स्थान में 157 नए नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना को मंजूरी दी है. इससे हर साल लगभग 15,700 नर्सिंग स्नातक जुड़ेंगे. यह देश में गुणवत्तापूर्ण, सस्ती और समान नर्सिंग शिक्षा सुनिश्चित करेगा. विशेष रूप से कम सेवा वाले जिलों और राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को इसका लाभ मिलेगा. इसके लिए 1,570 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है.

 

भारत में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र एक उभरता हुआ क्षेत्र है और यह तेज गति से बढ़ रहा है. भारत में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र का बाजार आकार 2020 में $11 बिलियन (लगभग ₹90,000 करोड़) है और इसके 2030 तक 50 बिलियन डॉलर के होने की संभावना है. वैश्विक चिकित्सा उपकरण बाजार में इसकी हिस्सेदारी 1.5% होने का अनुमान है. भारतीय चिकित्सा उपकरण क्षेत्र विकास की राह पर है. इसमें आत्मनिर्भर बनने और सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल के लक्ष्य की दिशा में योगदान करने की अपार क्षमता भी है. भारत सरकार ने हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश राज्यों में 4 चिकित्सा उपकरण पार्कों की स्थापना के लिए चिकित्सा उपकरणों और सहायता के लिए पीएलआई योजना के कार्यान्वयन की शुरुआत पहले ही कर दी है.

 

चिकित्सा उपकरणों के लिए पीएलआई योजना के तहत, अब तक कुल 26 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिसमें 1206 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है और इसमें से अब तक 714 करोड़ रुपये का निवेश हासिल किया जा चुका है. पीएलआई योजना के तहत, 37 उत्पादों का उत्पादन करने वाली कुल 14 परियोजनाओं को चालू किया गया है. उच्च अंत चिकित्सा उपकरणों का घरेलू निर्माण शुरू हो गया है जिसमें रैखिक त्वरक, एमआरआई स्कैन, सीटी-स्कैन, मैमोग्राम, सी-आर्म, एमआरआई कॉइल, हाई एंड एक्स शामिल हैं. शेष 12 उत्पादों को निकट भविष्य में कमीशन किया जाएगा. कुल 26 परियोजनाओं में से पांच परियोजनाओं को हाल ही में मंजूरी दी गई है.

 

इसी कड़ी में बुधवार को राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति-2023 को मंजूरी दी गई है. इसका उद्देश्य पहुंच, सामर्थ्य, गुणवत्ता और नवाचार के सार्वजनिक स्वास्थ्य उद्देश्यों को पूरा करने के लिए चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के व्यवस्थित विकास की सुविधा प्रदान करना है. इससे इस क्षेत्र में नवाचार पर ध्यान देने के साथ-साथ विनिर्माण के लिए एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने, एक मजबूत और सुव्यवस्थित नियामक ढांचा तैयार करने, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों में सहायता प्रदान करने और उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. बता दें कि उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रतिभा और कुशल संसाधनों को तैयार करने और घरेलू निवेश और चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन को प्रोत्साहित करना सरकार के 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रमों का पूरक है. इसका उद्देश्य अगले 25 वर्षों में बढ़ते वैश्विक बाजार में 10-12% हिस्सेदारी हासिल करके भारत को चिकित्सा उपकरणों के निर्माण और नवाचार में वैश्विक नेता के रूप में उभरना है.