देश के लाखों कारीगरों को रोजगार देने के मकसद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर पीएम विश्वकर्मा योजना की शुरुआत की है.  इसके तहत कारीगरों और शिल्पकारों को 3 लाख रुपये तक कर्ज उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सबको सम्मान का जीवन देना, सभी को सुविधा पहुंचाना ‘मोदी की गारंटी’ है. नव-निर्मित इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर ‘यशोभूमि’ में देशभर के कारीगरों और शिल्पकारों को प्रधानमंत्री ने ‘विश्वकर्मा’ कहकर संबोधित किया. उन्होंने कहा कि जैसे शरीर में रीढ़ की हड्डी की भूमिका होती है वैसे ही ‘विश्वकर्मा’ लोगों की समाज के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है. उन्होंने कहा, ‘‘उनके बगैर रोजमर्रा की जिंदगी की कल्पना भी मुश्किल है.


पीएम मोदी ने कहा कि ये योजना उन लाखों कारीगरों-शिल्पकारों के लिए आशा की किरण है जो हाथों और औजारों से काम करते हैं.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि लोहार हो या दर्जी या कोई अन्य कारीगर, इनकी अहमियत कभी खत्म नहीं होने वाली है. उन्होंने कहा कि दुनिया कितनी भी आगे बढ़ जाए और टेक्नोलॉजी कहीं भी पहुंच जाए, लेकिन इनकी भूमिका हमेशा बरकरार रहेगी, क्योंकि फ्रिज के जमाने में भी लोग सुराही का पानी पीना पसंद करते हैं.


विश्वकर्मा साथियों को पहचानने की जरूरत


पीएम मोदी ने कहा- ‘‘इसलिए आज समय की मांग है कि इन विश्वकर्मा साथियों को पहचाना जाए और उन्हें हर तरीके से समर्थन दिया जाए. हमारी सरकार अपने विश्वकर्मा भाई-बहनों को उनका सम्मान, सामर्थ्य और समृद्धि बढ़ाने के लिए एक सहयोगी बनकर आई है.’’ इस योजना के अंतर्गत 18 विभिन्‍न क्षेत्रों में काम करने वाले कारीगरों और शिल्पकारों पर विशेष ध्‍यान दिया गया है. सरकार ‘पीएम विश्वकर्म’ योजना पर अभी 13,000 करोड़ रुपये खर्च करने वाली है.


उन्होंने कहा, ‘‘जब बैंक आपसे गारंटी नहीं मांगता है तो आपकी गारंटी मोदी देता है. बिना गारंटी मांगे तीन लाख रुपये तक का आपको कर्ज मिलेगा. यह भी सुनिश्चित किया गया है कि इस कर्ज का ब्याज बहुत ही कम रहे.’’ उन्होंने कहा कि आज देश में एक ऐसी सरकार है जो वंचितों को वरीयता देती है और ‘एक जिला, एक उत्पाद’ योजना के तहत हर जिले के विशेष उत्पादों को बढ़ावा दे रही है.


लोकल को ग्लोबल करना पड़ेगा


प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘‘हमारी सरकार ने ही पहली बार रेहड़ी-पटरी वालों को पीएम सम्मान निधि के साथ मदद की है. आजादी के बाद पहली बार बंजारा और घुमंतू जनजातियों की परवाह की गई है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘जिसे कोई नहीं पूछता, गरीब का ये बेटा मोदी उसका सेवक बनकर आया है. सबको सम्मान का जीवन देना, सभी तक सुविधा पहुंचाना यह मोदी की गारंटी है.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन में आए विश्व के नेताओं को ‘विश्वकर्मा’ लोगों के हाथों से बने सामान भेंट किए गए जो कि स्थानीय सामान को बढ़ावा देने के सरकार के संकल्प को दर्शाता है. उन्होंने देशावासियों से अपील करते हुए कहा कि ‘वोकल फॉर लोकल’ के प्रति समर्पण सभी का, पूरे देश का दायित्व है.


उन्होंने कहा, ‘‘लोकल के लिए वोकल बनना पड़ेगा और फिर लोकल को ग्लोबल करना पड़ेगा. अब अनेक त्योहार आने वाले हैं. मैं सभी देशवासियों से लोकल खरीदने का आग्रह करूंगा.’’ प्रधानमंत्री ने इससे पहले इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर ‘यशोभूमि’ के पहले चरण को राष्ट्र को समर्पित किया और दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस लाइन पर द्वारका सेक्टर 21 से सेक्टर 25 तक के विस्तार का भी उद्घाटन किया. पीएम मोदी ने कहा कि ‘यशोभूमि’ को देश के प्रत्‍येक श्रमिक और प्रत्‍येक विश्वकर्मा को समर्पित किया और कहा कि विश्वकर्मा हजारों वर्षों से भारत की समृद्धि के मूल में रहे हैं.


प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और उपकरण महत्वपूर्ण


प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और उपकरण हमारे कारीगरों के लिए महत्वपूर्ण हैं.’’ ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना का उद्देश्य न केवल देशभर के ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक रूप से समर्थन देना है, बल्कि स्थानीय उत्पादों, कला और शिल्प के माध्यम से सदियों पुरानी परंपरा, संस्कृति तथा विविध विरासत को जीवित और समृद्ध रखना भी है. ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ में 18 पारंपरिक शिल्‍प-कलाओं को शामिल किया गया है. केंद्र सरकार ने ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना को शुरू करने की घोषणा केंद्रीय बजट 2023-24 में की थी। इस योजना के लिए वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28 तक वित्तीय परिव्यय 13,000 करोड़ रुपये रखा गया है. इसके तहत, ‘विश्वकर्मा’ (कारीगरों व शिल्पकारों) को बायोमेट्रिक आधारित ‘पीएम विश्वकर्मा पोर्टल’ का उपयोग करके सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से नि:शुल्क पंजीकृत किया जाएगा.


प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि पीएम विश्वकर्मा प्रमाणपत्र और पहचान पत्र के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी और कौशल उन्नयन के लिए बुनियादी तथा उन्नत प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. यशोभूमि पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री ने इस केंद्र का मुआयना भी किया. 'यशोभूमि' में विश्‍वस्‍तरीय बैठक, सम्मेलन और प्रदर्शनियों की मेजबानी की जा सकेगी.