देश के ग्रामीण क्षेत्रों में अब तक 5.68 करोड़ लोगों को डिजिटल की बेसिक ट्रेनिंग दी जा चुकी है. सांसद गीता विश्वनाथ के एक सवाल पर केंद्रीय मंत्री अश्विणी वैष्णव ने यह जानकारी दी है. वैष्णव ने बताया कि मोदी सरकार ने 6 करोड़ लोगों को डिजिटली साक्षर करने का लक्ष्य रखा है.
इस अभियान की शुरुआत साल 2017 में की गई थी, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में ऑनलाइन लेन-देन, बैंकिंग सेक्टर के कामकाज में तेजी आए. धीरे-धीरे यह योजना अब देश के दूर-दराज गांवों में रोजगार का भी एक साधन बन गया है. कैसे, आइए जानते हैं...
देश में डिजिटल साक्षरता किस हाल में?
सरकार ने संसद में बताया कि 2017 में योजना शुरू होने से अब तक करीब 6.62 करोड़ उम्मीदवारों का नामांकन किया गया है, जिनमें 5.68 करोड़ उम्मीदवारों को ट्रेनिंग भी दी जा चुकी है. सरकार ने 4.22 करोड़ लोगों को डिजिटल साक्षरता के लिए प्रमाणित भी कर चुकी है.
सिर्फ यूपी-बिहार में 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग
डिजिटल साक्षरता अभियान में अब तक यूपी में 1 करोड़ 43 लाख और बिहार में 63 लाख लोगों को ट्रेनिंग मिल चुकी है. यानी इन दोनों राज्यों में ही 2 करोड़ से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है.
हालांकि, कई राज्य डिजिटल साक्षरता अभियान में काफी पिछड़ गया है. इनमें दमन-दीव, नगालैंड और लक्षद्वीप का नाम सबसे आगे है. छोटे राज्यों में त्रिपुरा का रिकॉर्ड सबसे बेहतर है. यहां 2.65 लाख से ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग दिया जा चुका है.
योजना की शुरुआत कब हुई?
2014 में कराए गए एक सर्वे के मुताबिक देश में उस वक्त तक ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 6 प्रतिशत लोगों को ही इंटरनेट और डिजिटली लेनदेन की जानकारी थी. इसी को ध्यान में रखते हुए 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना की शुरुआत की.
जरूरी पात्रता क्या है?
- अभियान में भाग लेने वाला आवेदक के लिए भारत का स्थायी निवासी होना अनिवार्य है.
- आवेदक की न्यूनतम उम्र 18 साल और अधिकतम 60 साल होनी चाहिए.
- तीसरी सबसे बड़ी पात्रता है, आवेदक ग्रामीण क्षेत्र में निवास करता हो.
आवेदन के लिए जरूरी दस्तावेज
1. आवेदक का आधार कार्ड
2. आवेदक का मोबाइल नंबर
3. आयु प्रमाण पत्र
4. पासपोर्ट साइज फोटो
किसको नहीं मिलेगा लाभ, 2 प्वाइंट्स
- जिसके घर में कोई भी एक व्यक्ति डिजिटल साक्षर है, तो वह पूरा परिवार योजना का लाभ नहीं ले सकता है.
- फर्जी डॉक्यूमेंट बनाकर आवेदन करने वाले फेक कैंडिडेट इस योजना में शामिल नहीं हो सकते हैं.
ग्रामीण क्षेत्रों में नौकरी-रोजगार का बड़ा रास्ता क्यों?
1. बैंकिंग सेक्टर में भारी डिमांड- लेन-देन की गति को बढ़ाने के लिए देशभर में बैंकिंग सेक्टर का विस्तार तेजी से हो रहा है. गांव-गांव में बैंकों के नए ब्रांच खोले जा रहे हैं. ऐसे में डिजिटल साक्षरता हासिल करने वाले उम्मीदवार आसानी से बैंकों की प्रोसेसिंग में नौकरी पा सकते हैं. कई बैंक डिजिटल साक्षर से परिपूर्ण उम्मीदवारों को अपने यहां संविदा के आधार पर रख भी रही है.
2. डिजिटल ट्रेनर के रूप में- डिजिटल साक्षरता हासिल कर चुके उम्मीदवार को सरकार ट्रेनर का काम भी देती है. इसके लिए उन्हें रोजाना 300 रुपए का मानदेय दिया जाता है. यानी गांव में डिजिटल ट्रेनिंग लेने के बाद आसानी से उम्मीदवार 12 हजार रुपए मासिक रुपए की कमाई कर सकते हैं.
अब उन कंपनियों के बारे में जानिए, जो इस स्कीम का इंडस्ट्री पार्टनर है...
1. नैस्कॉम फाउंडेशन- यह एक गैर लाभकारी सॉफ्टवेयर और सर्विसेज कंपनियों का एसोसिएशन है. नैस्कॉम एक अनुकूल व्यापार वातावरण बनाने, नीतियों और प्रक्रियाओं को सरल बनाने में मदद करती है. यह आईटी क्षेत्र में रोजगार को लेकर काम करती है.
2. इंडसइंड बैंक- यह एक प्राइवेट बैंक है. इस बैंक के पूरे भारत में करीब 1300 ब्रांच और 2700 एटीएम अभी कार्यरत है.
3. इंटेल- दुनिया की सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर कंपनी है, जो कम्प्यूटर और लैपटॉप में सर्विस प्रोसेसर की आपूर्ति करता है. इंटेल मदरबोर्ड चिपसेट, नेटवर्क इंटरफेस कंट्रोलर और एकीकृत सर्किट, फ्लैश मेमोरी, ग्राफिक्स चिप्स, एम्बेडेड प्रोसेसर और संचार और कंप्यूटिंग से संबंधित अन्य उपकरणों का भी निर्माण करता है.
4. पेपाल- यह कंपनी ऑनलाइन भुगतान प्रणाली के रूप में काम करती है. पेपाल पर 2 करोड़ से ज्यादा एक्टिव अकाउंट है.