'रुस-यूक्रेन वॉर के बीच मुक्त व्यापार समझौते को लेकर भारत-ब्रिटेन के बीच राजनीतिक इच्छा शक्ति सकारात्मक'
एबीपी लाइव से यूके-इंडिया बिजनेस काउंसिल के ग्रुप चेयरमैन रिचर्ड हील्ड ने कहा कि प्रस्तावित यूके-इंडिया एफटीए भारत को रक्षा उपकरणों के लिए अपने स्रोतों में विविधता लाने में मदद करेगा.
UK-India FTA: लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हमलों को लेकर यूके-भारत के बीच हालिया राजनयिक विवाद के बावजूद, ब्रिटेन की प्रमुख व्यापार संस्था, यूके-इंडिया बिजनेस काउंसिल (UKIBC) का मानना है कि दोनों देशों के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के प्रति "राजनीतिक इच्छाशक्ति" सकारात्मक बनी हुई है. चूंकि भू-राजनीतिक परिस्थितियों और रूस-यूक्रेन की बीच जारी युद्ध के कारण इस तरह के समझौते की आवश्यकता बढ़ गई है. एबीपी लाइव को दिए एक विशेष साक्षात्कार में यूके-इंडिया बिजनेस काउंसिल के ग्रुप चेयरमैन रिचर्ड हील्ड ने कहा है कि प्रस्तावित यूके-इंडिया मुक्त व्यापार संधि भारत को रक्षा उपकरणों के लिए अपने स्रोतों में विविधता लाने में मदद करेगा. इससे भारत सरकार के 'मेक इन इंडिया' अभियान को बढ़ावा मिलेगा. रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में इसका अहम योगदान होगा.
हील्ड ने हाल ही में भारत की यात्रा पर आए थे. इस दौरान उन्होंने एबीपी लाइव को बताया कि "वर्तमान में बातचीत के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की गई है, लेकिन इसके होने के संकेत बहुत सकारात्मक हैं. बातचीत करने वाले दोनों पक्ष इसे अमलीजामा पहनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. चूंकि यह दोनों देशों के बीच व्यवसायों और समृद्धि का समर्थन करता है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक इच्छा इस प्रक्रिया के लिए सकारात्मक है. इसे लेकर संकेत बहुत सकारात्मक हैं, दोनों देश इस पर आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं. पिछले हफ्ते, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके यूके के समकक्ष ऋषि सुनक ने टेलीफोन पर बातचीत की. इस दौरान लंदन में भारतीय उच्चायोग पर किए गए हमले के दोषियों पर कार्रवाई की बातचीत भी हुई थी. प्रधानमंत्री मोदी ने भारत विरोधी तत्वों पर कड़ी कार्रवाई की अपेक्षा व्यक्त की थी. जिस पर ब्रिटिश पीएम ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वे इस पर अपनी नजर बनाए हुए हैं और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी. टेलीफोनिक वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने एफटीए को लेकर चल रही प्रक्रिया से आगे "जल्दी निष्कर्ष" पहुंचने को लेकर आवश्यकता चर्चा की, जो ब्रिटेन के भारत-यूके रोडमैप 2030 का एक प्रमुख पहलू है.
बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच एफटीए के लिए वार्ता में महत्वपूर्ण गति प्राप्त हुई है. दोनों देशों के बीच इसे लेकर औपचारिक वार्ताओं के अब तक आठ दौर हो चुके हैं. हील्ड ने आगे कहा कि जैसा कि आप सराहना कर सकते हैं, हम बातचीत की मेज पर नहीं बैठते हैं. हालांकि, हमारी समग्र समझ यह है कि हम इसके अस्तित्व में आने की ओर बढ़ रहे हैं. जैसा कि किसी भी व्यापार वार्ता के साथ होता है, कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर सहमत होना आसान होता है और कुछ अन्य क्षेत्र जो कि अधिक जटिल होते हैं, उन्हें अनपैक करने के लिए अधिक समय की आवश्यकता होती है. कुल मिलाकर, एक सफल समझौते के प्रति दोनों पक्षों की भावना और महत्वाकांक्षा सकारात्मक बनी हुई है.
उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध को एक साल से अधिक हो गए हैं. इसके परिणामस्वरूप बढ़ती मुद्रास्फीति और वैश्विक आपूर्ति नेटवर्क में व्यवधान आया है. उन्होंने कहा कि एफटीए पर प्रभाव "सीमित" होगा, फिर भी यह ब्रिटेन और भारत को एक-दूसरे के करीब आने के लिए आवश्यक है. रूस द्वारा यूक्रेन पर किए गए आक्रमण का दुनिया भर में गहरा और नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. इसने वैश्विक चेन सप्लाई प्रभावित किया है और सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा रहा है. मुझे लगता है कि इसका एफटीए पर सीमित प्रभाव है; लेकिन हमारे दोनों देश मजबूत लोकतंत्र हैं और यह शुरुआत करने के लिए एक बड़ा कारण हैं.'
रक्षा-एयरोस्पेस के क्षेत्र में बढ़ेगा सहयोग
यूकेआईबीसी प्रमुख ने रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' अभियान में योगदान देने की यूके की योजना को दोहराते हुए, कहा कि एफटीए उस पहल का समर्थन करने में मददगार साबित होगा. इसके साथ ही लंदन भारत के साथ अपनी जेट-इंजन प्रौद्योगिकी और मेरीटाइम इलेक्ट्रिक प्रोपल्जन को साझा करने पर भी नजर गड़ाए हुए है. उन्होंने कहा कि हम रक्षा उपकरणों के लिए भागीदारों/स्रोतों में विविधता लाने में मदद करने के साथ-साथ निर्माण के लिए प्रमुख सामग्रियों में आपूर्ति श्रृंखला निर्माण करने के लिए, यूके-भारत की साझेदारी को आगे ले जाने के लिए इसे एक अवसर के रूप में देखते हैं. उन्होंने कहा कि यूके रक्षा प्रौद्योगिकी में दुनिया के प्रमुख देशों में एक है.
उन्होंने कहा कि "हम रक्षा और सुरक्षा दोनों का समर्थन करने के लिए भारत में निर्मित प्रौद्योगिकियों के सह-निर्माण के साथ, इस क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने का समर्थन करने के लिए काम कर रहे हैं. इसके अलावा, ऊर्जा सुरक्षा के लिए प्रासंगिक ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों पर सहयोग को विस्तार करने और पारंपरिक ईंधन पर निर्भरता को कम करने का अवसर है. उन्होंने यह भी कहा कि एफटीए दोनों पक्षों के निवेशकों के लिए एक दूसरे के देशों में व्यवसाय के लिए पैसा लगाने की प्रक्रिया को भी आसान बना देगा.
उन्होंने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय आर्थिक गलियारे में प्रवेश करने और उसे विस्तार देने के प्रति विश्वास जताया. कहा कि इसके होने से रोजगार सृजन, आर्थिक विकास और व्यापक विकास के मामले में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. यूकेआईबीसी का मानना है कि एफटीए को सफल होने के लिए, व्यवसायों को जमीनी स्तर पर संचालन वाले देशों में स्थापित किया जाना चाहिए और हमने दोनों देशों के व्यवसायों को आगे विस्तार करने के लिए बहुत रुचि दिखाई है, इसलिए व्यापार और निवेश दोनों के लिए व्यावसायिक प्राथमिकता का होना जरूरी है.