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क्या हैं जन औषधि केंद्र, साल 2025 का क्या है लक्ष्य?

भारत सरकार की प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र योजना देश के आर्थिक तौर से कमजोर तबके को रियायती दरों पर दवाइयां मुहैया कराने के लिए शुरू की गई है. इन केंद्रों से जेनेरिक दवाइयां कम कीमतों पर दी जा रही है.

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना गरीब तबके के लिए वरदान साबित हुई है. इस योजना के तहत लोगों को कम कीमतों पर दवाइयां ही नहीं मिल रही है, बल्कि रोजगार के मौके भी मिल रहे हैं. जैसा कि जन औषधि दिवस 7 मार्च 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा," जन-औषधि केंद्र शरीर को औषधि देते हैं, लेकिन इनमें मन की चिंता को दूर करने वाली औषधि भी है, क्योंकि ये लोगों के पैसे बचाकर उन्हें राहत देने वाले केंद्र के तौर पर भी उभरे हैं. इससे पहले दवा का पर्चा हाथ में आते ही लोगों के दिल में शक पैदा होता था कि पता नहीं दवाइयां खरीदने में कितना अधिक खर्च होगा, उस तरह की चिंताओं से लोगों को अब मुक्ति मिली है." इस योजना को मिल रही अच्छी प्रतिक्रिया को देखते हुए  भारत सरकार ने जन औषधि दिवस मार्च 2025 तक देश में जन औषधि केंद्र की संख्या बढ़ाकर 10500 करने का लक्ष्य रखा है.

क्या हैं जन औषधि केंद्र, साल 2025 का क्या है लक्ष्य?

कैसे आई अस्तित्व में पीएमबीजेपी

सभी को गुणवत्ता वाली जेनरिक दवाइयां रियायती दरों पर मुहैया कराने के मकसद से प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना (पीएमबीजेपी) अस्तित्व में आई थी. ये योजना रसायन और उर्वरक मंत्रालय भारत सरकार के औषधि विभाग ने नवंबर 2008 में लॉन्च की थी. इस योजना के तहत कम कीमतों पर जेनरिक दवाइयांउपलब्ध कराने के लिए जन औषधि केंद्र खोले गए हैं.

देश में इस वक्त 8916 प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र चल रहे हैं. पीएमबीजेपी के उत्पाद संग्रह के दायरे में 1759 दवाएं और 280 सर्जिकल उत्पाद आते हैं. इसके तहत 3 जरूरी बातों पर फोकस किया गया. पहली देश की पूरी आबादी को गुणवत्ता वाली दवाइयां मुहैया करवाना खासकर गरीबों और आर्थिक तौर पर कमजोर तबके को.

दूसरी शिक्षा और प्रचार के जरिए जेनरिक दवाइयों के लिए लोगों में जागरूकता लाना ताकि उन्हें ये यकीन हो जाएं कि ये दवाइयां भी उतनी ही असरदार है जितनी की ब्रॉडेंड और महंगी दवाइयां होती हैं. तीसरा लोगों को जन औषधि केंद्र खोलने के लिए प्रोत्साहित कर स्वरोजगार को बढ़ावा देना और रोजगार उपलब्ध कराना. 

देश के गरीब आबादी और मध्यम वर्ग को किफायती कीमतों में जेनरिक दवाइयां उपलब्ध कराने में पीएमबीजेपी को अच्छी कामयाबी मिली है. इन केंद्रों के जरिए बेची गई दवाओं में बीते साल की तुलना में 35 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है. अब जेनरिक एलोपैथिक सहित इसके दायरे में आयुर्वेदिक दवाइयोंको भी लाया जा रहा है. जल्द ही इन केंद्रों पर थर्मामीटर और ब्लड प्रेशर नापने की मशीनें भी दिखाई पड़ेंगी.


क्या हैं जन औषधि केंद्र, साल 2025 का क्या है लक्ष्य?

8 साल में ही 80 से हुए जन औषधि केंद्र

भारतीय जन औषधि परियोजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रवि दधीच के मुताबिक 2008 में शुरू हुई इस योजना के तहत पूरे देश में 2014 में महज 80 जन औषधि केंद्र थे, लेकिन आज इनकी संख्या 8 हजार के पार चली गई है. अब देश में 8916 प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र काम कर रहे हैं. बीमारी होने पर गरीब तबका हो चाहे लोअर मिडिल क्लास इलाज और दवाओं पर उनकी आधी से अधिक कमाई लगभग निकल जाती है.

आमतौर पर इन केंद्रों में जन औषधि दवाओं की कीमतें खुले बाजार में बिकने वाली ब्रांडेड दवाइयों के मुकाबले 50 से 90 फीसदी कम होती हैं. यही नहीं जन औषधि केंद्र में दवाइयों की गुणवत्ता से भी कोई समझौता नहीं किया जाता है.  दवाओं की खरीद केवल विश्व स्वास्थ्य संगठन-गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज (डब्ल्यूएचओ-जीएमपी) प्रमाणित आपूर्तिकर्ताओं के जरिए ही होती है. इससे ऐसे तबके को बेहद राहत मिली है और गरीब लोगों को भी बेहद महंगी दवाइयां आसानी से मिल पा रही हैं. यही वजह है कि सरकार ने आने वाले 3 साल में यानी 2025 में  जन औषधि केंद्र की संख्या बढ़ाने जा रही है. 

साल 2025 और जन औषधि केंद्र

जन औषधि केंद्र से देश के लोगों को हो रहे फायदे की वजह से सरकार ने साल 2025 में इनकी संख्या बढ़ाकर 10500 करने का लक्ष्य रखा है. मौजूदा वक्त में चल रहे जन औषधि केंद्र में साल 2025 में 1584 केंद्र और बढ़ाए जाएंगे. पीएमबीजेपी की दवाइयों और सर्जिकल प्रोडक्टस की संख्या में भी इजाफा किया जाएगा. अभी इस संग्रह में  1759 दवाएं और 280 सर्जिकल प्रोडक्ट हैं.

साल 2025 में दवाइयोंका संग्रह बढ़कर 2000 और सर्जिकल प्रोडक्ट का संग्रह बढ़कर 300 होने जा रहा है. दवाइयों के संग्रह में 241 दवाइयां और तो सर्जिकल प्रोडक्ट संग्रह में 20 प्रोडक्ट और जोड़े जाएंगे. इसका मकसद चिकित्सीय समूहों को कवर करने वाली सभी जरूरी दवाओं को  जन औषधि केंद्र के दायरे में लाना है. इन दवाओं में एंटी-डायबिटिक, कार्डियोवस्कुलर ड्रग्स, एंटी-कैंसर, एनाल्जेसिक और एंटीपायरेटिक्स, एंटी एलर्जी, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल एजेंट , विटामिन, खनिज और खाद्य पूरक, ट्रॉपिकल दवाएं आती हैं. 

प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र (पीएमबीजेके) के टॉप 5 राज्य 

क्रं. संख्या राज्य पीएमबीजेके
1 उत्तर प्रदेश  1259
2 कर्नाटक  1010
3 केरल   974
4 तमिलनाडु 842
5 महाराष्ट्र 634

महिलाओं का खास ध्यान

जन औषधि केंद्र में महिलाओं का खास ख्याल रखा गया है. उनकी बेहद जरूरत के सेनेटरी नैपकिन इन केंद्रों पर 1 रुपये में दिए जा रहे हैं. इन केन्द्रों के जरिए नवंबर, 2022 तक 31.00 करोड़ से अधिक पैड बेचे जा चुके हैं. करोड़ों रुपये की हुई सेनेटरी नैपकिन की ये बिक्री इस तरफ इशारा करती हैं कि ये केंद्र बेहद बड़ी संख्या में गरीब तबके की औरतों और लड़कियों की जिंदगी आसान कर रहे हैं. ये सेनेटरी नैपकिन की गुणवत्ता के मामले में अव्वल दर्जे के हैं. देश भर में सभी महिलाओं के मासिक धर्म के वक्त को आसान बनाने के लिए "जन औषधि सुविधा ऑक्सी-बायोडिग्रेडेबल सेनेटरी नैपकिन" सभी पीएमबीजेपी केंद्रों में मौजूद हैं. 

लोगों के बचाएं पैसे

फार्मास्युटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेज ब्यूरो ऑफ इंडिया (पीएमबीआई) ने वित्त वर्ष 2021-22 में 893.56 करोड़ रुपये की दवाओं की बिक्री की है. इससे सरकार को राजस्व तो मिला ही आम नागरिकों को लगभग 5300 करोड़ रुपये की बचत भी हुई. चालू वित्त वर्ष 2022-23 में 30 नवंबर 2022 तक पीएमबीआई ने 758 करोड़ रुपये की दवाइयां और सर्जिकल प्रोडक्ट बेचे हैं.

इससे जनता को लगभग 4500 करोड़ रुपये की बचत दर्ज की गई है.  इस तरह बीते 8 साल में इस योजना के तहत कुल मिलाकर लगभग 18,000 करोड़ रुपये की बचत की गई है. इसके लिए आईटी वाला एंड टू एंड सप्लाई चेन सिस्टम लागू किया गया है. इसके लिए गुरुग्राम में एक केंद्रीय गोदाम और चेन्नई, गुवाहाटी और सूरत में तीन क्षेत्रीय गोदाम बनाए गए हैं. जन औषधि केंद्र के लिए इनके अलावा सरकार की पश्चिमी और मध्य भारत में दो और गोदाम खोलने की योजना है. 

जेनरिक दवाओं के जागरूकता अभियान

जन औषधि केंद्रों और जेनरिक दवाओं के लिए लोगों में जागरूकता लाने के लिए समय-समय पर खास अभियान चलाए जाते हैं. इसमें ‘जेनरिक’दवाइयों के इस्तेमाल और उसके फायदों के बारे में बताया जाता है. अब ये मुहिम रंग लाने लगी है और लोग जन औषधि केंद्रों और जेनरिक दवाओं की अहमियत समझने लगे हैं.

सस्ती होने वाली जेनरिक दवाओं को लेकर लोगों के दिमाग में इनकी क्वालिटी को लेकर जो धारणा और भ्रम होता है वो भी अब दूर होने लगा है. दरअसल जन औषधि केंद्रों की दवाएं बेसिक सॉल्ट के इस्तेमाल से तैयार होती हैं. इसी वजह से सस्ती होती है, लेकिन ये महंगी दवाओं के मुकाबले किसी तरह से कम नहीं होती है.

इन  दवाओं की गुणवत्ता की जांच दो स्तरों से होकर गुजरती है. एक जांच कंपनी में होती है तो दूसरी जांच एनएबीएल की लेबोरेटरी में की जाती है. इस जांच प्रक्रिया में एक हफ्ते का वक्त लगता है और पूरी तरह से जांच के बाद ही इन दवाओं को जन औषधि केंद्रों पर भेजा जाता है.

प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र एक नजर में

  • हर एक दवा के एमआरपी पर ऑपरेटिंग एजेंसी  20 फीसदी का मार्जिन देती है.
  • महिला उद्यमी, दिव्यांग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े इलाकों में खोले गए जन औषधि केंद्र के लिए खास प्रोत्साहन दिया जाता है.
  • यह योजना स्थायी और नियमित कमाई के साथ स्वरोजगार का एक अच्छा जरिया है. एक सर्वेक्षण के मुताबिक हर में स्टोर हर महीने औसतन बिक्री 1.50 लाख रुपये (ओवर द काउंटर और अन्य उत्पादों सहित) हो गई है. यह योजना अपनी टैगलाइन "जनौषधि - सेवा भी, रोज़गार भी" को सही साबित कर रही है.
  • प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के लिए 120 फीट का खुद का या किराये की जगह का होना जरूरी है. 
    आवेदक के पास  फार्मासिस्ट का प्रमाण पत्र होना जरूरी है.
  • इस केंद्र के लिए आवेदन करने वाले के महिला उद्यमी, दिव्यांग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति  की श्रेणी के तहत आने पर आवेदक के पास इसका प्रमाण पत्र होना जरूरी है.
  • ऐसे जिले जहां जनसंख्या 10 लाख से अधिक वहां दो केंद्रों के बीच 1 किलोमीटर की दूरी होना जरूरी है.
  • इस योजना के तहत आवेदन पत्र के साथ 5000 रुपये का नॉन रिफंडेबल आवेदन शुल्क जमा  किया जाता है.
  • महिला उद्यमियों, दिव्यांग, एससी, एसटी और नीति आयोग के अधिसूचित जिलों के किसी भी उद्यमी से आवेदन शुल्क नहीं लिया जाता.
  • इस योजना के तहत पीएमबीआई सभी प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र को जरूरी मदद देती है.
  • पीएमबीआई  प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र को जेनरिक दवाइयां, सर्जिकल प्रोडक्ट्स की आपूर्ति की सुविधा देती है.
  • प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोलने वाले सामान्य श्रेणी के आवेदक के पास आधार कार्ड
  • पैन कार्ड, फार्मासिस्ट रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, बीते 2 साल इनकम टैक्स रिटर्न प्रमाणपत्र, बीते 6 महीने की बैंक स्टेटमेंट, जीएसटी डिक्लेरेशन, डिस्टेंस पॉलिसी की डिक्लेरेशन और स्पेशल इंटेंसिव कैटेगिरी में इन सबके साथ एससी/एसटी या दिव्यांग सर्टिफिकेट और अंडरटेकिंग देनी होती है.
  • प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के लिए आवेदन करने के लिए आधिकारिक वेबसाइट http://janaushadhi.gov.in/ पर जाना होगा.
  • इसके होम पेज पर आपको अप्लाई फॉर PMBJK के विकल्प पर क्लिक करना होगा.
  • अब स्क्रीन पर एक नया पेज खोलकर आएगा.
  • इस पेज पर रजिस्टर नाउ के ऑप्शन पर क्लिक करना होगा.
  • इसके बाद स्क्रीन पर रजिस्ट्रेशन फॉर्म खुलेगा
  • इस फॉर्म में आवेदक को अपना नाम, डेट ऑफ बर्थ, मोबाइल नंबर, ईमेल आईडी, स्टेट, यूजर आईडी पासवर्ड आदि दर्ज करना होगा.
  • इसके बाद  सबमिट के ऑप्शन पर क्लिक करना होगा.
  • इस तरह से प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलने के लिए आवेदन कर सकते हैं.
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