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'भारत को रक्षा क्षेत्र में जल्द होना होगा आत्मनिर्भर, छोटे और लंबे युद्ध के नजरिए से जरूरी'

किसी ने नहीं सोचा था कि रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध इतना लंबा खींच जाएगा. सीडीएस अनिल चौहान का कहना है कि भारत को इससे सबक लेकर रक्षा क्षेत्र में बाहरी निर्भरता को कम करने पर तेज़ी से काम करना चाहिए.

Raisina Dialogue 2023: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान का मानना है कि भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है. और इसके लिए तेज़ी से कदम उठाया जाना चाहिए.

सीडीएस जनरल अनिल ने कहा है कि यूक्रेन में जारी जंग से भारतीय सशस्त्र बल यह सबक सीख सकते हैं कि उन्हें हथियारों और सैन्य उपकरणों की आपूर्ति के लिए अन्य देशों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. उन्होंने ये बातें 3 मार्च को 'रायसीना डायलॉग' के एक सत्र में कही.

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए कदम

जनरल चौहान ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए सरकार लगातार कदम उठा रही है और इससे बड़ी संख्या में प्रमुख उपकरण और हथियार प्रणालियों का उत्पादन करने का विकल्प  देश में ही मिल रहा है. उन्होंने आगे ये भी कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध से एक सवाल भी पैदा होता है. ये सवाल है कि क्या देशों को छोटे तीव्र युद्धों के लिए क्षमता विकसित करनी चाहिए या उन्हें लंबी लड़ाई के लिए तैयार रहना चाहिए.

भविष्य की चुनौती के लिहाज से तैयारी

सीडीएस अनिल चौहान ने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारत के मामले में ये देखना बेहद जरूरी है कि भविष्य में हमें किस तरह की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. उन्होंने इस बात को माना कि जिस तरह से यूरोप में हो रहा है, भारत को उस तरह के किसी लंबे संघर्ष का सामना नहीं करना पड़ेगा. इसके बावजूद भारत के पास लंबी अवधि तक चलने वाले युद्धों के साथ-साथ छोटे और तेज युद्ध लड़ने के लिए आवश्यक तकनीक और हथियारों का एक अच्छा मिश्रण होना चाहिए. सीडीएस जनरल अनिल चौहान का मानना है कि इस लिहाज भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की जरूरत है. उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध को इस नजरिए से भारत के लिए सबक करार दिया. उनका मानना है कि अब जिस तरह का जियो पॉलिटिकल स्थिति है, उसको देखते हुए भारत अपने हथियारों के लिए बाहर यानी दूसरे देशों से आने वाली आपूर्ति पर निर्भर नहीं रह सकता है. दरअसल सीडीएस जनरल अनिल चौहान की इन बातों का सीधा मतलब है कि जब एक साल पहले रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, तो शायद ही किसी ने सोचा था कि ये संघर्ष इतना लंबा खींच जाएगा.

रायसीना डायलॉग में सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा

रायसीना डायलॉग के दौरान शीर्ष देशों के सैन्य अधिकारी विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की ओर से आयोजित सत्र में अपनी बात रख रहे थे. इस सत्र का थीम 'द ओल्ड, द न्यू, एंड द अनकंवेंशनल : असेसिंग कंटेम्पररी कॉन्फ्लिक्ट' था. इसमें ऑस्ट्रेलिया के रक्षा बल के प्रमुख जनरल एंगस जे कैम्पबेल ने भी अपनी बातें रखी. उनके अलावा पूर्व अमेरिकी रक्षा सचिव जिम मैटिस भी शामिल हुए.

हर परिस्थिति के लिए भारत रहे तैयार

सीडीएस अनिल चौहान का कहना है कि चाहे युद्ध कम अवधि का हो या फिर लंबे वक्त तक चलने वाला हो, दोनों ही नजरिए से हमारे पास तकनीक और हथियारों के अलग-अलग सेट का होना जरूरी है. उन्होंने कहा कि छोटे युद्ध में लंबी दूरी तक हमला करने के लिए हाई-प्रिसिश़न वेपंस ( high-precision weapons) की आवश्यकता होती है. वहीं लंबे समय तक चलने वाले युद्ध के लिए तोप और उसके गोला-बारूद समेत बड़ी संख्या में पारंपरिक हथियारों की भी आवश्यकता होती है. सीडीएस चौहान के मुताबिक भारत के सामने जिस तरह की चुनौतियां हैं, उसमें हमें दोनों ही परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए. सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने माना कि भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कई सारे कदम उठाए हैं, लेकिन उनका ये भी कि इस दिशा में और भी बड़े-बड़ कदम उठाए जाने की जरूरत है. इसके लिए सरकार की ओर से भी कदम उठाए जाएं और सेना की ओर से भी.

ऑस्ट्रेलिया के रक्षा बल के प्रमुख जनरल एंगस जे कैम्पबेल और पूर्व अमेरिकी रक्षा सचिव जिम मैटिस दोनों ने यूक्रेन के खिलाफ रूस की कार्रवाई को अवैध, अन्यायपूर्ण और अपमानजनक बताया. कैम्पबेल ने कहा कि यूक्रेन में रूस का आक्रमण उसके संप्रभुता और राष्ट्र की अखंडता का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि रूसी सेना एक अनैतिक युद्ध लड़ रही है और यह एक किसी भी पेशेवर सेना की प्रैक्टिस के खिलाफ है और इस युद्ध ने रूसी हमले का विरोध करने के लिए यूक्रेनी नागरिकों की एकता और दृढ़ संकल्प  को भी दर्शाया है. उन्होंने इस बात से इनकार किया है कि यह नाटो बनाम रूस युद्ध है. यूक्रेन की रक्षा यूक्रेनियन सेना और वहां के लोग कर रहे हैं. उन्होंने स्वीकार किया कि नाटो के सदस्य देश और इंडो पैसिफिक क्षेत्र के कई देश यूक्रेन को बचाव करने की उसकी क्षमता को बढ़ा रहे हैं.

वहीं पूर्व अमेरिकी रक्षा सचिव जिम मैटिस ने कहा कि शुरुआत में मानवीय कारकों की वजह से यूक्रेन इस युद्ध में पीछे हो गया था, लेकिनपश्चिमी देशों ने यूक्रेन को मदद और समर्थन देना जारी रखा है. पश्चिमी लोकतांत्रिक गठबंधन एक स्वतंत्र राष्ट्र को उसे अपनी रक्षा करने का अवसर दे रहा है. हम युद्ध को अपने ऊपर नहीं ले रहे हैं, लेकिन नई तकनीक के आने पर भी मानवीय कारक हावी रहता है. रूस और यूक्रेन के युद्ध में चीन के दखलअंदाजी पर उन्होंने कहा कि अमेरिका चीन के साथ संघर्ष करने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि यह पूरा मामला प्रतिरोध से जुड़ा है और अमेरिका यूक्रेन को अपना समर्थन देने की बात पर अडिग रहना चाहता है. उन्होंने कहा कि अमेरिका का हमेशा से ये मानना रहा है कि रूस को बेधड़क यूक्रेन पर हमला करने देने से संभावित आक्रमणकारियों को भी ऐसी छूट मिल जाएगी. इससे चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत के खिलाफ कदम उठाने को बढ़ावा मिल सकता है. या फिर चीन साउथ चाइना सी को लेकर वियतनाम, फिलीपींस या ताइवान के खिलाफ हमला बोल सकता है. उन्होंने कहा कि यूक्रेन के साथ खड़ा होकर ये संदेश देना जरूरी है कि कोई भी तानाशाह इस तरह के आक्रामक अभियान में सफलता हासिल नहीं कर सकता है. 

 

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