राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने बुधवार को चीन के महत्वाकांक्षा को विस्तार देने वाला विवादास्पद बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भारत के कनेक्टिविटी "प्रमुख प्राथमिकता" है, लेकिन वह सभी के परामर्श से होगा. इसमें पारदर्शिता और कनेक्टिविटी होनी चाहिए. दरअसल, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नई दिल्ली में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की सुरक्षा परिषद के सचिवों की 18वीं बैठक को संबोधित कर रहे थे. वे एनएसए की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. बता दें कि भारत इस वर्ष एससीओ की अध्यक्षता कर रहा है.


डोभाल ने इस दौरान कहा कि कनेक्टिविटी भारत के लिए एक प्रमुख प्राथमिकता बनी हुई है. हम इस क्षेत्र में निवेश और कनेक्टिविटी के निर्माण में सहयोग करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि कनेक्टिविटी का विस्तार करते हुए, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इस तरह की पहल में परामर्श, पारदर्शिता और सभी की सहभागिता हों और सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाए. उनका इशारा चीन के BRI प्रोजेक्ट पर था, जिसके तहत चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) का निर्माण किया जाना है. भारत के लिहाज से यह विवादास्पद है चूंकि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है और इसके लिए भारत से कभी सलाह नहीं ली गई.


INSTC भारत, रूस और ईरान की परिकल्पना


डोभाल ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के हिस्से के रूप में ईरान में चाबहार बंदरगाह परियोजना को भी शामिल करने की मांग की. INSTC, भारत, रूस और ईरान द्वारा 2000 में की गई परिकल्पना है. यह एक मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी परियोजना है जो कि 7,200 किमी की दूरी तय करेगी. भारत पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए उस क्षेत्र में अपने रणनीतिक हितों का विस्तार करने के प्रयास कर कर रहा है. इसके लिए ईरान में चाबहार बंदरगाह का विकास कर रहा है. एनएसए डोभाल ने कहा कि भारत INSTC के तहत अपने दायित्वों को पूरा करने और INSTC के ढांचे के भीतर चाबहार बंदरगाह को शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है."


चीन पर फिर से निशाना साधते हुए, एनएसए ने एससीओ चार्टर का जिक्र करते हुए कहा कि चार्टर में सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए पारस्परिक सम्मान और उसकी सीमाओं का उल्लंघन, बल प्रयोग नहीं करने या अंतरराष्ट्रीय संबंधों में इसके उपयोग की धमकी नहीं देने और एकतरफा सैन्य श्रेष्ठता दिखाने की मांग नहीं करता है." चीन और पाकिस्तान ने बैठक में वर्चुअल माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जबकि जबकि अन्य देशों ने व्यक्तिगत रूप से भाग लिया.


'आतंकवाद का कोई भी कृत्य अनुचित है'


एससीओ देशों के लिए आतंकवाद एक बड़ा मुद्दा रहा है. प्रत्येक बैठक में इसकी रोकथाम के लिए चर्चा की जाती है. इस बार भी एनएसए डोभाल ने आतंकवाद और इसके वित्तपोषण के मुद्दे पर सदस्य देशों को संबोधित किया. उन्होंने आतंकवाद सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की कड़ी निंदा की. उन्होंने इसे वित्तपोषण नहीं करने की अपील की और आतंकवाद को अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा बताया. उन्होंने कहा कि आतंकवाद का कोई भी कृत्य, चाहे उसकी मंशा कुछ भी हो वह अनुचित है.


2001 में हुई थी SCO  की स्थापना


डोभाल ने कहा कि "इसलिए सभी देशों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे आतंकवाद विरोधी सहयोग प्रोटोकॉल में निहित दायित्वों को पूरा करें." उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि एससीओ क्षेत्र वैश्विक सुरक्षा की बिगड़ती स्थिति का खामियाजा भुगत रहा है. बता दें कि शंघाई सहयोग संगठन (SCO) को 2001 में स्थापित किया गया था. यह एक अंतर-सरकारी संगठन है और इसमें आठ सदस्य देश शामिल हैं जिसमें भारत सहित चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान है. भारत 9 जून 2017 को (SCO) का पूर्ण सदस्य बना था. एससीओ के चार पर्यवेक्षक देश भी हैं जिसमें अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया हैं और इसके अलावा छह संवाद साझेदार हैं - आर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की हैं. इस साल के अंत में ईरान भी एससीओ का परमानेंट सदस्य बनने की संभावना है. एससीओ की अगली महत्वपूर्ण बैठक विदेश और रक्षा की होगी जो अप्रैल में आयोजित होनी है. उसके बाद मई में नेताओं की बैठक होगी.