जर्मनी के चांसलर जब 25 फरवरी को भारत दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ मुलाकात करेंगे तो चीन को साझा चुनौती मानते हुए भारत-जर्मनी अपने रणनीतिक संबंधों को और प्रगाढ़ करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे. 2011 में दोनों देशों के बीच अंतर-सरकारी परामर्श (Inter-governmental Consultation) तंत्र की शुरुआत के बाद जर्मनी चांसलर का यह महत्वपूर्ण भारतीय दौरा है.    


दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मिलेगी नई गति


जर्मन चांसलर के भारतीय दौरे से पहले आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चांसलर के इस दौरे से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नई गति मिलेगी. इससे पिछले साल 2022 में दोनों देशों के बीच नए सिरे से जुड़ाव और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर एक साझा नजरिया बढ़ा है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने एबीपी लाइव को बताया कि जर्मन चांसलर ऐसे समय भारत दौरे पर आ रहे हैं जब रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को एक साल पूरा हो रहा है. दोनों देशों के नेता रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध की वर्तमान स्थिति पर भी चर्चा करेंगे. इसके अलावा भारत ने जर्मनी के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में "चीन की बढ़ती दखलंदाजी" के मुद्दे को उठाने की योजना बनाई है.


चूंकि जर्मनी ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी एक और फ्रिगेट भेजने की योजना बनाई है. अधिकारी ने यह भी कहा कि दोनों देशों के नेता मुख्य रूप से आर्थिक, रक्षा और सुरक्षा के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेंगे. चूंकि जर्मनी भी अब इंडो पैसिफिक ओशियन इनिशिएटिव (Indo-Pacific Oceans Initiative) में शामिल होने जा रहा है और इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को रोकने के लिए रणनीतिक संबंधों को और बल मिलेगा.


जर्मनी अगले साल भारत को अपनी एक और फ्रिगेट भेजेगा


आपको बता दें कि जर्मन नौसेना की फ्रिगेट 'Bayern अगस्त-2021 से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सात महीने की तैनाती पर था. उसे 21 जनवरी, 2022 को मुंबई में पोर्ट कॉल के जरिये बुलाया गया था. एबीपी लाइव को दिए एक साक्षात्कार में भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने पहले कहा था कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत और अन्य देशों के साथ मिलकर जर्मनी चीन की चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरी कदम उठाएगा. कैमरन ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में यह भी कहा कि जर्मनी अगले साल भारत को अपनी एक और फ्रिगेट भेजेगा. उन्होंने कहा कि 2022 में पीएम मोदी और चांसलर शोल्ज़ की मुलाकात तीन मौकों पर हुई थी. इसके अलावा, जर्मन विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक ने दिसंबर-2022 में भारत का दौरा किया था. जर्मन चांसलर के साथ कई संसदीय प्रतिनिधिमंडल दल भी भारत दौरे पर आए रहे हैं, जिनमें भारत-जर्मनी संसदीय मैत्री समूह और जर्मन संसद की बजट समिति भी शामिल है.


दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने पर रहेगा जोर


जर्मन चांसलर की यात्रा के दौरान, दोनों पक्षों द्वारा प्रस्तावित भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार (free trade agreement between India and European Union) समझौते को लेकर जो वार्ता अब तक रुकी हुई है उसके भी आगे बढ़ने की उम्मीद है. एकरमैन के मुताबिक जर्मनी भारत में अपने व्यवसाय को स्थापित करने के लिए जल्द ही एक मसौदा को पूरा करने के लिए  बेहद उत्सुक हैं क्योंकि जर्मन व्यवसाय चीन के अलावा भारत में अपनी दुकानें स्थापित करने के लिए देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि एफटीए पर हस्ताक्षर हो जाने से दोनों पक्षों के लिए टैरिफ और नॉन-टैरिफ के कारण जो वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान में समस्याएं हैं उसके खत्म हो जाने उम्मीद है. 


जर्मनी यूरोपीय संघ में भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार


जर्मन चांसलर के इस यात्रा से दोनों देशों के बीच B2B (Business to Business) समझौतों हस्ताक्षर होने की उम्मीद है. चूंकि जर्मनी यूरोपीय संघ में भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और लगातार भारत के टॉप-10 वैश्विक व्यापार भागीदारों में से एक रहा है. जर्मनी भारत में सबसे बड़े विदेशी प्रत्यक्ष निवेशकों (Foreign Direct Investors) में से एक है. उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच घनिष्ठ आर्थिक संबंधों और सहयोग को बढ़ाने की प्रबल संभावना है. इसके लिए चांसलर शोल्ज़ के साथ एक उच्चाधिकार प्राप्त व्यापार प्रतिनिधिमंडल दल भी होगा. सूत्रों ने बताया कि यात्रा के दौरान पीएम मोदी और जर्मन चांसलर एक बिजनेस राउंड टेबल को भी संबोधित करेंगे, जिसमें दोनों पक्षों के शीर्ष उद्योग जगत के नेता शामिल होंगे.