(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
भारत की सॉफ्ट पावर का बज रहा है दुनिया भर में डंका, अबू धाबी में मंदिर है जीवंत प्रमाण
यह दर्शाता है कि भारत का मुस्लिम राष्ट्रों के साथ संबंध एक अलग मुकाम पर पहुंच गया है और उसमें यूएई सबसे आगे है. 2015 से लेकर अब तक नरेंद्र मोदी 8 बार यूएई का दौरा कर चुके हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के लिए यूएई की यात्रा पर है और वापसी में कतर में भी रुकेंगे, लेकिन मोदी इस बार जिस काम के लिए गए है वो थोड़ा यूनिक है. पीएम मोदी एक मुस्लिम राष्ट्र में मंदिर का उद्घाटन करने के लिए गए है. यूएई एक मुस्लिम राष्ट्र है, जहां 27 एकड़ जमीन पर हिंदू मंदिर का निर्माण किया गया है. इसको भारत के सॉफ्ट पावर का मुजाहिरा भी माना जा रहा है. यूएई में 14 फरवरी को ऐतिहासिक घटना होने जा रही है, जब नरेंद्र मोदी एक हिंदू मंदिर का उद्घाटन करेंगे. काफी भव्य मंदिर तैयार किया गया है. यूएई ने यह भी कहा है कि भारतीय लोगों की आस्था का और भारत-यूएई की दोस्ती का प्रतीक चिह्न है. यूएई ने यह भी माना है कि पिछले कई सालों से भारत और यूएई के संबंध काफी अच्छे रहे है और भारतीयों ने यूएई को सजाने-संवारने और उनको खड़ा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
पश्चिम एशिया और अरब पर तवज्जो
यूएई में लगभग 30 से 50 लाख भारतीय लोग रहते हैं. वहां बहुतेरे प्रकल्पों में भारतीय नागरिक लगे हैं और सकारात्मक योगदान दे रहे हैं. यूएई में रह रहे भारत के लोग यूएई के कानून को समझते हैं और वहां की सरकार भारतीय लोगों की मान्यताओं को समझती है, इसलिए यूएई ने वहां के भारतीय लोगों को हिंदू मंदिर सौगात के रूप में दिया है. पिछले 10 सालों में नरेंद्र मोदी की सरकार ने आगे बढ़कर खाड़ी के देशों का और पश्चिम एशिया का सहयोग किया है. खासकर यूएई के साथ जो सहयोग रहा है वो यह दर्शाता है कि भारत का मुस्लिम राष्ट्रों के साथ संबंध एक अलग मुकाम पर पहुंच गया है और उसमें यूएई सबसे आगे है. 2015 से लेकर अब तक नरेंद्र मोदी 8 बार यूएई का दौरा कर चुके हैं और आठ महीनों में यह तीसरा दौरा है.
सिर्फ इतना ही नहीं, यूएई के जितने भी शीर्षस्थ नेता हैं, उनमें से कई बहुत बार भारत आ चुके हैं और अब भारत-यूएई अपने व्यापारिक संबंधों से आगे निकलकर रणनीतिक साझीदारी पर जोर दे रहे हैं. भारत-यूएई के संबंध जब एक अलग स्तर पर पहुंच गए हैं, जिससे भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की चिंताएं बढ़ चुकी है. वेस्ट एशिया के मुस्लिम राष्ट्रों में पाकिस्तान का अब कोई वजूद नहीं है. जिस तरह से नरेंद्र मोदी की सरकार को जिस तरह से पाकिस्तान और उसके सहयोगी दरकिनार करते रहे, या बोलते रहे कि वह मुस्लिम विरोधी है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है. पिछले 10 सालों में नरेंद्र मोदी को 14 देशों से सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिले हैं और उनमें से सर्वाधिक मुस्लिम राष्ट्रों ने दिया है. भारत का जैसे-जैसे मुस्लिम राष्ट्रों के साथ संबंध बढ़ रहा है, पाकिस्तान पिछड़ता जा रहा है.
भारतीय कूटनीति नए चरण में
यह मंदिर कहीं न कहीं एक मील का पत्थर साबित होगा. यह भारतीय प्रवासियों की मेहनत और आस्था का भी प्रतीक होगा. यह उनकी उम्मीदों और आस्था का प्रतीक है. भारत की विदेश नीति अच्छी दिशा में जा रही है. वर्तमान सरकार का उद्देश्य भारत को विश्व-गुरु के रूप में स्थापित करना है. ऐसे में पश्चिमी एशिया के देश भारत की कूटनीति-राजनीति का लोहा मान रहे हैं, जिसकी वजह से धुर विरोधी यानी यूएई, इजरायल, यूएसए, इंडिया ने मिलकर आज आई टू-यू टू एक नया संगठन कॉर्पोरेशन को दिया है. जिसमें भारत, अमेरिका, इजरायल और यूएई शामिल है. इस तरह के समझौते की बात पहले नहीं सोची जा सकती थी, इसमें भारत की भूमिका अग्रणी रही है. भारत के पड़ोसी मुल्क जो हमारे साथ मुकाबले में रहते है, वो इन सारी चीजों में पीछे हो गए है और उन्हें भारत की कूटनीति का लोहा मानना पड़ रहा है कि अब भारत अब अपने राष्ट्रीय हित को पकड़कर मुस्तैदी के साथ चल रहा है. चाहे गलवान में 20 राउंड बातें हुई और उसका नतीजा अभी तक नहीं निकला, तो उसका कारण यही है कि भारत अपने राष्ट्रीय हित के साथ समझौता नहीं करना चाहता. भारत चाहता है कि चीन की सेना अंतरराष्ट्रीय सेवाओं को मानें और भारत के साथ सामंजस्य रखते हुए काम करें, अन्यथा चीन के लिए भी दुष्परिणाम हो सकता है.
विश्व में भारत की डिप्लोमेसी का डंका
पूरे विश्व में भारत की डिप्लोमेसी का डंका बज रहा है. जो हमारी सॉफ्ट पावर है, चाहे वो योग के माध्यम से हो या भारतीय व्यंजनों के माध्यम से, भारत के रेस्टोरेंट विश्व भर में प्रसिद्ध है. हमारी हिंदी फिल्में और अब ओटीटी के माध्यम से भी जो हमारा जीने का अंदाज है, वह दुनिया तक पहुंच रहा है. भारतीय अपनी मान्यताओं को बताने में सफल साबित हुए है. भारत की प्रगति की गाथा से कोई भी वंचित नहीं है. एक समय में भारत को संपेरों का देश समझा जाता था, भारत का जो इमेज बनाया गया था अब वो पीछे छूट चुका है. अबू धाबी में बने मंदिर के उद्घाटन में शामिल होने के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी वहां के भारतीय लोगों को भी संबोधित करेंगे. जब उसका पोर्टल खोला गया तो उसके लिए 65 हजार लोगों ने रजिस्टर किया है. यूएई में मूसलाधार बारिश की वजह से मौसम के तेवर बहुत खराब हैं, लेकिन फिर भी 35 से 40 हजार भारतीय मूल के लोग नरेंद्र मोदी की सभा में शामिल होने जाएंगे. यूएई में वर्ल्ड गवर्नमेंट समिट का आयोजन हो रहा है, वहां नरेंद्र मोदी एक की-नोट स्पीकर के तौर पर बोलने वाले हैं. कहीं न कहीं भारत की धमक पिछले कुछ समय में बढ़ी है.
भारत को हर साल जो रेमिटेंस मिलता है, उसमें सबसे बड़ा योगदान पश्चिम एशिया में रह रहे भारतीय मूल के लोगों से आता है. लोकसभा का चुनाव होने वाला है, जिसमें कई लोग बकायदा फ्लाइट लेकर वोट देने के लिए भारत आते है. प्रधानमंत्री का यूएई का दौरा भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, यह सामरिक हितों के लिए भी आवश्यक है. भारत ने अभी कतर के साथ अपनी डिप्लोमेसी का सफल प्रयोग करते हुए, अपने आठ नौसेना के पूर्व अधिकारियों को छुड़वाया है और सभी ने साफ तौर पर कहा है कि वर्तमान सरकार हमारे पक्ष में खड़ी नहीं होती तो आज हम भारत नहीं लौट पाते. ये यह दिखाता है कि भारत हर मुद्दे पर भारतीयों के साथ खड़ा है.