वर्तमान में देश की सभी सड़कें चकाचक हो गई है. हाइवे के माध्यम से लोग जल्दी से अपने यात्राओं को पूरा कर पा रहे हैं. सड़कों को मजबूत बनाने के लिए अब नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. सड़कों के निर्माण में स्टील स्लैग का इस्तेमाल किया जा रहा है. स्टील उद्योग का कचरा समझे जाने वाला स्टील स्लैग सड़कों के निर्माण में उपयोग किया जा रहा है. जिस कारण सड़कों में मजबूती आ रही है. इससे सड़क और भी टिकाऊ हो रहा है.
बड़ी बात ये है कि स्टील स्लैग का इस्तेमाल किए जाने से प्रकृति के तत्वों का इस्तेमाल कम करना पड़ता है. स्टील स्लैग से बनी सड़क को मोटा करने की भी जरुरत नहीं होती है. भारत में कई स्टील और इस्पात के कंपनियां है जहां से लाखों टन हर वर्ष स्टील स्लैग निकलता है. उन स्टील स्लैग को अब सड़क निर्माण के कार्य में लगाया जा रहा है.
भारत की निर्मित कई सड़कों में स्टील स्लैग का उपयोग किया जा रहा है. दरअसल स्टील स्लैग, स्टील उद्योगों का कचरा समझने वाला पदार्थ है. स्टील उद्योगों द्वारा लाखों टन स्टील स्लैग का उत्पादन हर साल हो जाता है. इसके लिए अभी तक कोई वैकल्पिक सार्थक उपयोग नहीं हो पा रहा था, लेकिन सीएसआईआर की सीआरआरआई ने नयी तकनीक विकसित कर स्टील स्लैग का उपयोग करने की रणनीति बनाई और उसके बाद उस पर काम हुआ.
वेस्ट टू वेल्थ कार्यक्रम को मिल रहा बढ़ावा
इस कदम से भारत सरकार के प्रमुख कार्यक्रम वेस्ट टू वेल्थ और स्वच्छ भारत मिशन का भी एक हिस्सा है, जिससे एक ससटेनेबल, ड्यूरेबल और ग्रीन रोड नेटवर्क की अवधारणा को भी पूरा करता है. प्रसंस्कृत स्टील स्लैग उपयोग सड़क निर्माण के लिए प्राकृतिक समुच्चय की आंशिक आवश्यकता को पूरा करके हमारी प्रकृति को अस्थिर उत्खनन और खनन से भी बचाता है. इस तरह का स्टील स्लैग डामर कंक्रीट मिश्रण और सीमेंट इमल्शन के निर्माण के लिए आधार के रूप में काम करने वाले मैकडैम सामग्री और खनिज बाइंडरों की तैयारी के लिए एक मूल्यवान कच्चा माल है, जो व्यापक रूप से रोड पेविंग में उपयोग किया जाता है.
स्टील स्लैग से बनी सड़क अन्य मैटेरियल से बने सड़कों के अपेक्षा काफी मजबूत होती है. इसके अलावा स्टील स्लैग से बनी सड़क की मोटाई पारंपरिक सड़कों की तुलना में 30 प्रतिशत कम होती है. स्टील रोड का मुख्य फोकस मजबूती और ज्यादा टिकाऊपन है. यह सड़क प्राकृतिक चीजों के लिए पर्यावरण के अनुकूल और किफायती विकल्प के रूप में जाना जा रहा है. स्टील स्लैग से बनी सड़क में खर्च भी कम है और इसकी गुणवत्ता भी काफी अच्छी है. स्टील स्लैग से बनी सड़क की खास बात यह है कि अन्य सड़कों के अपेक्षा में यह सड़क मजबूत है और काफी दिनों तक इसमें कोई खराबी नहीं आएगी.
इसके साथ ही यह सड़क सभी मौसम के लिए सही है. स्टील स्लैग से पहली सड़क देश में गुजरात के हाजिरा में बनी है. जहां हर दिन एक हजार से 1200 के आसपास गाड़ियां गुजरती है. माना जा रहा है कि स्टील कंपनियों से निकलने वाला कचरा के रूप में स्टील स्लैग अब सड़कों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी और सड़क बनाने के लिए एक नया विकल्प के रूप में उभरेगी. सड़क निर्माण में ऐसी सामग्री के उपयोग से निर्माण अधिक किफायती होगा और संसाधनों के बेहतर उपयोग को को बढ़ावा मिलेगा.
सड़क की लागत में आ रहा कम खर्च
देशभर में विभिन्न संयंत्रों और कंपनियों के द्वारा उत्पादित 19 मिलियन टन स्टील अपशिष्ट जो आमतौर पर कचरे में चला जाता है. जिसके चलते देश में कई जगहों पर स्टील के कचरे के पहाड़ बनने लगे हैं, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इसका हल निकाल लिया है. स्टील प्लांट से निकलने वाले इस स्टील स्लैग के कचरे से सड़के बनाई जा रही है. इन सड़कों को स्टील स्लैग रोड के नाम से जाना जाता है, जो ना तो सिर्फ आमतौर पर गिट्टी और चारकोल से बनने वाली सड़कों से मजबूत हैं बल्कि सस्ती और टिकाऊ भी हैं.
लंबे रिसर्च के बाद और कई परीक्षण के बाद गुजरात में देश की पहली स्टील सड़क का निर्माण किया गया. उस समय केंद्रीय इस्पात मंत्री राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह थे. हाजिरा में स्टील के कचरे से बनी सड़क कुल छह लेन की है. इस तरह देश के सूरत शहर में हजीरा औद्योगिक क्षेत्र में स्टील कचरे से बनी एक सड़क बनाई गई है. ये सीएसआईआर और केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान यानी की सीआरआरआई द्वारा इस्पात और नीति आयोग और नीति आयोग की सहायता से सड़क बनाने का कार्य किया गया.
स्टील स्लैग रोड के निर्माण से सरकार द्वारा चलाए जा रहे वेस्ट टू वैल्थ और स्वच्छ भारत मिशन दोनों अभियानों को मदद दे रही है. जानकारी के अनुसार इस सड़क के बनने के बाद अब हर दिन करीब 1000 से ज्यादा ट्रक 18 से 30 टन का वजन लेकर गुजरते हैं लेकिन अभी तक सड़क में किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ है. सीआरआरआई के अनुसार इस रोड की थिकनेस 30 फीसदी तक कम की गई है, थिकनेस कम होने से सड़क की लागत कीमत भी कम हो गई है. इस तरह के सड़क बनाने के मैटेरियल से निर्माण कर सड़क की लागत 30 फीसदी तक कम की जा सकती है.