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भारत के साथ 114 फाइटर जेट डील को लेकर स्वीडन कंपनी SAAB अब भी आशान्वित, अडानी से 2017 में रद्द किया था समझौता

एसएएबी भारत के प्रमुख मैट्स पामबर्ग ने कहा कि एयरो इंडिया 2023 के आयोजन से पूर्व पत्रकारों से वार्ता में बताया कि कंपनी ग्रिपेन ई की नवीनतम पीढ़ी की पूर्ण रेप्लिका को प्रदर्शित करने की योजना बना रही है.

अडानी समूह (Adani Group) के साथ संयुक्त रूप से निर्माण का समझौता खत्म होने के बावजूद स्वीडिश रक्षा समूह (Swedish defence conglomerate ) एसएएबी (SAAB) अब भी भारतीय बाजार में अपने ग्रिपेन ई फाइटर जेट्स (Grippen E fighter Jets) के तकनीक हस्तांतरण के साथ लोकल उत्पादन करने की योजना को लेकर आशान्वित है. 

एसएएबी भारत के प्रमुख मैट्स पामबर्ग ने कहा कि एयरो इंडिया 2023 के आयोजन से पूर्व पत्रकारों से वार्ता में बताया कि कंपनी ग्रिपेन ई की नवीनतम पीढ़ी की पूर्ण रेप्लिका को प्रदर्शित करने की योजना बना रही है. उन्होंने कहा कि "अडानी के साथ समझौता ज्ञापन 2019 में परवान नहीं चढ़ा और यह पारस्परिक रूप से सहमति के साथ समझौते का नवीनीकरण नहीं करने का फैसला लिया गया था. उन्होंने कहा कि उक्त समझौते पर 2017 में हस्ताक्षर किए गए थे.

उन्होंने आगे कहा कि "हमारे मन में अभी तक कोई दूसरा भारतीय भागीदार नहीं है. उन्होंने कहा कि ये इस बात पर निर्भर करता है कि (ग्रिपेन ई) कार्यक्रम के लिए किस तरह की प्रक्रिया का पालन किया जाएगा? क्या एसपी (रणनीतिक साझेदारी) प्रक्रिया के तहत होगा या और क्या भारत में ही इसका वैश्विक विनिर्माण करना भारतीय बाजार के लिए समाधान है. हम इसे सुलझा लेंगे.

बता दें कि एसपी मॉडल को साल 2017 में मोदी सरकार द्वारा लाया गया था, जिसके तहत बाजार के केवल कुछ ही अग्रणी कंपनियों को वैश्विक निर्माताओं के साथ साझेदारी में भारतीय सशस्त्र बलों के लिए लड़ाकू जेट, पनडुब्बी और युद्धपोत आदि जैसे प्रमुख रक्षा उपकरणों को बनाने की अनुमति दी जाएगी.

उन्होंने आगे कहा कि एसएएबी (SAAB) काफी विलंब होने के बावजूद 19 से 20 बिलियन डॉलर के अपने 114 बहु-उद्देश्यीय लड़ाकू विमानों के टेंडर को लेकर आशान्वित है. इसके लिए, अप्रैल 2019 में भारतीय वायु सेना द्वारा टेंडर जारी किया गया था और रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एक गर्म जोशी वाली टेंडर करने की प्रतियोगिता बनी हुई है जिसके तहत मंत्रालय नवीनतम पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की खरीद करने की योजना बना रहा है.

दरअसल, एमआरएफए भारतीय वायु सेना द्वारा वर्ष 2007 में 126 लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए जारी किए गए टेंडर जो मूल रूप से मध्यम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (MMRCA) की निविदा थी का पुनर्जीवित संस्करण है.

उन्होंने कहा कि ग्रिपेन ई को फ्रांस के द सॉल्ट एविएशन के राफेल, लॉकहीड मार्टिन के एफ-21, बोइंग के फाइटर एयरक्राफ्त (FA-18) और यूरोफाइटर के टाइफून और इसके अलावा रशिया के यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन और सुखोई कॉरपोरेशन से कड़ी टक्कर मिल रही है.

उन्होंने कहा कि हम एमआरएफए के बारे में इसलिए बात कर रहे हैं कि क्योंकि यह एक अविश्वसनीय प्रस्ताव है, जब इसकी तुलना दूसरों के साथ की जाती है, तो ग्रिपेन ई के पास इसका सबसे अच्छा समाधान है चुकि यह अपनी तरह के पहले मानव मशीन सहयोग के साथ एक गेम चेंजर है.

भारत में 2024 के बाद होगा कार्ल-गुस्ताफ का निर्माण 

पामबर्ग ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों के लिए स्वदेशी समाधानों के साथ-साथ सरकार के रक्षा क्षेत्र में भारत को 'आत्मनिर्भर' बनाने के मिशन को समर्थन देने के लिए कार्ल-गुस्ताफ का उत्पादन भारत में ही स्थानांतरित कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि कार्ल-गुस्ताफ राइफल्स सिस्टम वर्ष 1976 से ही भारतीय सेना के साथ सेवारत है. इसलिए, कंपनी अब इसके निर्माण की योजना भारत में ही करने की  योजना बना रही है.

पामबर्ग ने कहा कि हम भारत में ही कार्ल गुस्ताफ हथियार का उत्पादन शुरू करेंगे और इसका उत्पादन 2024 तक शुरू करने की योजना है. विनिर्माण सुविधा के लिए स्थान का चयन जल्द ही फाइनल कर लिया जाएगा हालांकि हमें यह पता नहीं है कि शुरुआत में इसके कितनी इकाइयां तैयार की जाएंगी. उन्होंने कहा कि यह उन प्रणालियों पर निर्भर करता है जिन्हें हम यहां उत्पादन करने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने बताया कि वे भारत में एमफोर M4 राइफल्स के नवीनतम संस्करण का उत्पादन करेंगे.

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