कार्ल-गुस्तफ एम4: अब भारत में बनेगा ये हथियार,जानिए क्यों इसके सामने होते ही दुश्मन कांप जाता है
कार्ल-गुस्ताफ एम 4 एक रिकोलेस राइफल है जो मैन-पोर्टेबल लॉन्चर की तरह होते हैं. यह हथियार लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से लैस हैं और युद्ध के समय सैनिकों के लिए इसे चलाना आसान है.
रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया जा रहा है. दरअसल स्वीडिश की जानी मानी रक्षा उत्पाद कंपनी Saab ने मंगलवार यानी 27 सितंबर को घोषणा की कि जल्द ही भारत में कार्ल-गुस्ताफ एम4 हथियार का निर्माण किया जाएगा.
कंपनी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट गोरगेन जॉनसन ने कहा कि भारत में इसका निर्माण साल 2024 में शुरू करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि कंपनी अपना उत्पादन बढ़ाना चाहती है. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि कार्ल-गुस्ताफ एम4 एक ऐसी राइफल है जिसे भारतीय सशस्त्र बलों ने ऑर्डर किया है. यह हथियार 1500 मीटर दूरी पर दुश्मन को निशाना बनाने में सक्षम होगा. हालांकि इस प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने इस बात की कोई जानकारी नहीं दी कि Saab भारत में खुलने वाली इकाई में कितना इंवेस्ट करने जा रही है.
बता दें कि इस हथियार की मांग रूस यूक्रेन युद्ध के बाद बढ़नी शुरू हुई है. इसका इस्तेमाल टैंक्स के सामने किया जा सकता है और यह काफी दूर तक का लक्ष्य साध सकती है. ये भी एक कारण है कि ज्यादा से ज्यादा कंपनियां चाहती हैं कि उनके पास ये हथियार हो.
गॉर्जेन जोहान्सन कहा कि भारत ने साब से पहले ही M4 वैरिएंट मंगा रखे हैं. हम कार्ल-गुस्ताफ एम4 हथियार की मैन्यूफैक्चरिंग इसी देश में शुरू करेंगे जिसका ये फायदा होगा कि हथियार बनते ही सबसे पहले भारतीय मिलिट्री और अर्धसैनिक बलों की मांगों को पूरा किया जाएगा.
उसकी मांगे पूरी हो जाने के बाद ही इन हथियारों को स्वीडन ले जाया जाएगा जहां इनका अंतरराष्ट्रीय डील होगा. उन्होंने कहा कि साब भारतीय डिफेंस कंपनियों के साथ 'मेक इन इंडिया' प्रोग्राम के तहत पार्टनरशिप करने को तैयार है.
क्या है इस हथियार की खासियत
कार्ल-गुस्ताफ एम 4 एक रिकोलेस राइफल है जो मैन-पोर्टेबल लॉन्चर की तरह होते हैं. यह हथियार लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से लैस है और युद्ध के समय सैनिकों के लिए इसे चलाना आसान है. कार्ल गुस्ताफ एम4 रिकॉयललेस राइफल को कंधे पर रख कर दागा जा सकता है. इस हथियार के चार वैरिएंट हैं. M1, M2, M3 और M4. M1 को साल 1946, M2 को 1964 में, M3 को 1986 में और कार्ल गुस्ताफ एम4 (Carl Gustaf M4) को 2014 में बनाया गया था. भारत के पास ये तीनों वैरिएंट पहले से ही. इन तीनों वैरिएंट के हथियार का इस्तेमाल पहले से ही भारतीय सेना कर रही है.
कार्ल गुस्ताफ सिस्टम में ये फ़ीचर्स होते हैं शामिल
यह हथियार एकदम सटीक तरीके से टार्गेट साध सकती है. किसी भी सैनिक के पास इस हथियार के होने का मतलब है कि उनके पास एक कंप्लीट सिस्टम है जो दुश्मनों को हराने और टारगेट को पूरा करने काफी मददगार साबित हो सकता है. इस हथियार के आने के बाद भारतीय सैनिक रणनीतिक तौर पर और मजबूत हो जाएंगे.
इसके अलावा यह हथियार सिस्टम फिंगरप्रिंट टेक्नोलॉजी से लैस है. इसकी प्रोग्रामिंग बहुत बारीकी से की गई है. इस हथियार में एडवांस फायर कंट्रोल सिस्टम है जिससे इसे इस्तेमाल करने वाले सैनिकों की सेफ्टी बनी रहेगी.
कार्ल गुस्ताफ एम4 दुनिया के अत्याधुनिक रॉकेट लॉन्चरों में से एक है. यह हथियार 37 इंच लंबा है और इसका वजन 6.6 किलोग्राम है. इस हथियार को चलाने के लिए दो लोगों की जरुरत होती है. एक गनर और दूसरा लोडर. यह एक मिनट में छह राउंड दाग सकता है.
वहीं लॉन्चर से दागे जाने के बाद इसके गोले 840 फीट प्रति सेकेंड की स्पीड में बढ़ते हैं. अगर स्मोक और हाईएक्सप्लोसिव गोले का उपयोग किया जाए तो रेंज 1000 मीटर है. अगर रॉकेट बूस्टेड लेजर गाइडेड हथियार दागते हैं तो 2000 मीटर तक गोला जाता है.