बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों को लेकर हाल ही में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने एक बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने इन हमलों को राजनीतिक करार दिया है. बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों और बर्बरता की घटनाओं को लेकर अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने कहा कि इन घटनाओं में से अधिकांश राजनीतिक प्रकृति की थीं और केवल कुछ ही सांप्रदायिक थीं, एक कदम आगे बढ़ते हुए बांग्लादेश की सरकार ने महज 20 घटनाओं को सांप्रदायिक प्रवृत्ति की बता कर हिंदुओं के नरसंहार पर बिल्कुल लीपापोती करने की कोशिश की और कहा कि बांग्लादेश पुलिस ने इन घटनाओं की जांच की और जांच के बाद पाया कि 1,234 घटनाएं राजनीतिक प्रकृति की थीं, जबकि केवल 20 घटनाएं सांप्रदायिक प्रवृत्ति की थीं.
बांग्लादेश में जिहादी तत्व मजबूत
बांग्लादेश में हाल ही में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए हैं. वैसे भी, शेख हसीना की सरकार भले ही छात्र-आंदोलन और हसीना की तानाशाही के खिलाफ हुए आंदोलन से पलट दी गयी, लेकिन उसमें विदेशी ताकतों के हाथ होने और जिहादी पार्टी जमात के हावी होने के भी संकेत और दावे समय-समय पर किए जाते रहे हैं. कुछ विदेशी मामलों के विशेषज्ञ तो यह भी मानते हैं कि दरअसल, मोहम्मद यूनुस की सरकार में पिछले दरवाजे से जमात ही पूरी तरह हावी है और यही वजह है कि एक तरफ जहां हिंदुओं का नरसंहार हो रहा है, वहीं दूसरी ओर बांग्लादेश ने पाकिस्तान के साथ व्यापारिक और सैन्य संबंधों को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं. बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच समुद्री व्यापार शुरू हो चुका है, और दोनों देशों के बीच सीधी फ्लाइट सर्विस भी जल्द ही शुरू होने वाली है. इसके अलावा, फरवरी 2025 में कराची पोर्ट पर पाकिस्तानी नौसेना के साथ बांग्लादेश का युद्धाभ्यास 'अमन-2025' होने वाला है.
बांग्लादेश की इस नई कूटनीतिक रणनीति का उद्देश्य पाकिस्तान और चीन के साथ संबंधों को मजबूत करना है, वह भूल चुका है कि इसी पाकिस्तान ने तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान पर जो अत्याचार किए, वो मानव इतिहास के बर्बर पन्नों में गिना जाता है. बांग्लादेश अपनी विरासत और इतिहास को भुलाकर पाकिस्तान के साथ गलबँहियां कर रहा है, अपने पितृपुरुष मुजीबुर रहमान तक को बिसरा रहा है. चीन और पाकिस्तान के साथ उसकी बढ़ती पींगें भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है. भारत को इस स्थिति में अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए सतर्क रहना होगा और बांग्लादेश के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रयासरत रहना होगा. इस बयान के बाद भारत सरकार को इस मुद्दे पर संज्ञान लेना चाहिए और बांग्लादेश सरकार से इस मामले में उचित कार्रवाई की मांग करनी चाहिए.
पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भारत
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के संदर्भ में भी बांग्लादेश-भारत के संबंधों की व्याख्या करनी होगी. पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है, फौजों के बीच गोलीबारी से लेकर पाक के परमाणु वैज्ञानिकों के गायब होने तक का असर पूरे दक्षिण एशिया पर पड़ सकता है, और इस स्थिति में भारत और बांग्लादेश के संबंधों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है. दक्षिण एशिया में भारत हमेशा ही अपने पड़ोसियों को विकसित और स्थिर ही देखना चाहेगा, क्योंकि एक की अस्थिरता पूरे क्षेत्र को प्रभावित कर सकती है. ड्रैगन को रोकने के लिए भारत को वैसे भी पाकिस्तान छोड़कर बाकी देशों को अपने पाले में खींचने का प्रयास करना होता है, क्योंकि चीन की डेट-डिप्लोमैसी से वैसे भी बाकी देश आक्रांत हैं. बांग्लादेश के साथ भी शेख हसीना के शासनकाल में भार के बेहतर संबंध थे लेकिन युनुस की सरकार के आने के बाद से समीकरण बदले हैं. हाल ही में बांग्लादेश ने आइएमडी का निमंत्रण तक ठुकरा दिया, जबकि पाकिस्तान भी आ रहा है. भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से मजबूत हैं,1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के समय भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. दोनों देशों के बीच व्यापार, सुरक्षा, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्र में गहरे संबंध हैं, भले ही आज बांग्लादेश इस बात को भूल रहा है.
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव के समय, भारत और बांग्लादेश के बीच मजबूत संबंध क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं. भारत और बांग्लादेश के बीच सहयोग से क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को बढ़ावा मिल सकता है. इसके अलावा, दोनों देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखा जा सके.
भारत की हालात पर नजर, बांग्लादेश न ले हल्के में
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों को लेकर बांग्लादेश सरकार के बयान पर भारत सरकार की विदेश नीति के संदर्भ में विचार करना महत्वपूर्ण है. भारत की विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में संतुलन और क्षेत्रीय विकास को बनाए रखना है. हम वसुधैव कुटुंबकम् के सिद्धांत पर चले हैं, लेकिन भारत की विदेश नीति में 'इंडिया फर्स्ट' की नीति को भी प्राथमिकता दी जाती है, जिसका मतलब है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि मानता है. इस नीति के तहत, भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने और क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए प्रयासरत रहता है.
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों के संदर्भ में, भारत सरकार इस मुद्दे पर पूरी तरह नजर बनाए हुए है और और बांग्लादेश सरकार से उचित कार्रवाई की मांग पहले भी कर चुका है. यह भारत की विदेश नीति के तहत नैतिकता और मानवाधिकारों की रक्षा के सिद्धांतों के अनुरूप है. भारत की विदेश नीति का एक और महत्वपूर्ण पहलू है कि वह किसी भी प्रकार के बाहरी दबाव या भय-दोहन के अधीन नहीं आती. इसलिए, भारत को बांग्लादेश सरकार के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते समय अपने राष्ट्रीय हितों और नैतिक मूल्यों को भी ध्यान में रखना होता है. विदेश मंत्री एस जयशंकर के नेतृत्व में, भारत की विदेश नीति का उद्देश्य राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में नैतिकता को बनाए रखना है. वह बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों के संदर्भ में, चिंता पहले भी जता चुके हैं और बांग्लादेश को चेता भी चुके हैं. बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों के संदर्भ में, प्रधानमंत्री मोदी ने लालकिले से इस बारे में बात की तो यह तो तय है कि सरकार का दृष्टिकोण इस मामले में बांग्लादेश सहित पूरी दुनिया को पता है. भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने और क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए प्रयासरत है और इसके साथ ही, भारत बांग्लादेश सरकार से इस मामले में उचित कार्रवाई की मांग कर चुका है, ताकि हिंदू समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
भारत के साथ अभी विश्व राजनीति पर बदलती तस्वीर और नियति भी है. डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद, उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया. ट्रंप ने बांग्लादेश में हिंदुओं, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को "बर्बर हिंसा" करार दिया और इसकी कड़ी निंदा की. उन्होंने बांग्लादेश में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने की बात कही. ट्रंप 20 जनवरी से पदभार संभाल रहे हैं और शायद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की बौखलाहट का एक कारण ये भी है कि ट्रंप ने सीधी चेतावनी दी है कि बांग्लादेश में हो रही हिंसा और लूटपाट को उनके प्रशासन के तहत कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उनके प्रशासन के दौरान अमेरिका और भारत के बीच साझेदारी और मजबूत होगी और बांग्लादेश पर दबाव और बढ़ेगा.
फिलहाल, बांग्लादेश के लिए आसार अच्छे नहीं हैं, अगर उसने जल्द अपने देश के हालात नहीं सुधारे और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बंद नहीं हुए.