भारतीय वायु सेना के लिए सी-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बनाने की जिम्मेदारी टाटा-एयरबस को सौंपी गई है. जिसके तहत अब एयरबस और टाटा 22,000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट में सी-295 ट्रांसपोर्ट प्लेन बनाने के लिए गुजरात में प्लांट लगाएंगे. इस पहल के साथ ही देश में पहली बार ऐसा होने जा रहा है जब प्राइवेट कंपनियां भारत में सैन्य विमान बनाएंगी. सी-295 एक ऐसा विमान होगा जिसका इस्तेमाल नागरिक और सैन्य दोनों ही कर पाएंगे. 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30 अक्टूबर यानी रविवार को इस सी-295 परिवहन विमान के उत्पादन को लेकर गुजरात के वडोदरा में एक विनिर्माण सुविधा की आधारशिला रखने वाले हैं. इन विमानों का निर्माण यूरोपीय कंपनी एयरबस और भारतीय समूह टाटा के एक कंसोर्टियम (संघ) द्वारा किया जाएगा. 






इस परियोजना की जानकारी देते हुए रक्षा मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि यह पूरी तरह स्वदेशी में होगा. उन्होंने कहा भारत में बने इन विमानों की आपूर्ति साल 2026 से 2031 तक की जाएगी, इससे  पहले 16 विमान 2023 से 2025 के बीच आएंगे. 


वडोदरा में विनिर्माण केंद्र स्थापित होगा 


वहीं रक्षा सचिव अजय कुमार कहते हैं कि  गुजरात के वडोदरा में एयरबस सी-295 परिवहन विमान के उत्पादन के लिए एक विनिर्माण केंद्र स्थापित किया जाएगा. कुमार ने कहा कि पिछले साल सितंबर में भारत ने एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के साथ  21,000 करोड़ के सौदे पर हस्ताक्षर किया था. इस समझौते के तहत भारतीय वायुसेना के पुराने एवरो -748 विमानों को बदलकर 56 सी -295 परिवहन विमान की खरीद की गई थी, जिसमें भारत में पहली बार किसी निजी कंपनी द्वारा सैन्य विमानों का निर्माण भी शामिल है. 





सितंबर में किए गए समझौते के अनुसार एयरबस चार साल के अंदर सेविले, स्पेन में 'फ्लाई-अवे' स्थिति में पहले 16 विमान देगा जिसके बाद 40 विमान को स्वदेश यानी भारत में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स द्वारा बनाए और असेंबल किए जाएंगे. ये काम दोनों दोनों कंपनियों के बीच एक समझौते के तहत पूरा किया जाएगा. 


इस विमान में 96 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री होगी. इसके अलावा एयरबस स्पेन में अपनी विनिर्माण सुविधा में जैसा करती है वही भारत में किया जाएगा. पहला मेड-इन-इंडिया विमान सितंबर 2026 में मिलने की उम्मीद है. भारत में 13,400 से ज्यादा कलपुर्जे, सभी सात प्रमुख कंपोनेंट असेंबली और 4,600 सब-असेंबली का निर्माण किया जाएगा. जबकि इंजन, लैंडिंग गियर और एवियोनिक्स जैसे विभिन्न सिस्टम ‘एयरबस डिफेंस एंड स्पेस’ द्वारा प्रदान किए जाएंगे और टाटा कंसोर्टियम विमान पर इसे जोड़ेगा.


क्या है सी-295 विमान की खासियत






एयरबस सी-295 का मालवाहक विमान के तौर पर उपयोग किया जाता है. इस विमान में करीब 6 टन का पेयलोड ले जाया जा सकेगा. एयरबस सी-295 लाइट और मीडियम सेगमेंट में नई पीढ़ी का टैक्टिकल एयरलिफ्टर प्लेन है. यह मजबूत और भरोसेमंद है. इस विमान का निर्माण इस तरीके से किया जाएगा कि यह हर मौसम में ऑपरेशन को अंजाम देने में कामयाब हो सके. इसके अलावा यह विमान करीब 11 घंटे तक उड़ान भर सकता है. इस विमान में 71 सैनिक या 50 पैराट्रूपर्स एक साथ ले जाए जा सकते हैं. मौजूदा समय में भारत के पास इस रेंज में सिर्फ एवरो एयरक्राफ्ट हैं. यह विमान भी काफी पुराने हो चुके हैं सी-295 इन्हीं विमानों की जगह लेगा.





    •  एयरबस की वेबसाइट की मुताबिक C295 का इस्तेमाल कई तरीकों से किया जा सकता है. इसका इस्तेमाल दिन-रात और कितने भी और कैसी भी मौसम परिस्थिति में किया जा सकता है. 

    • इस एयरक्रॉफ्ट को मालवाहक, परिवहन के साथ-साथ वाटर बॉम्बर, एयर टैंकर के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है. 

    •  इसका केबिन किसी भी एयक्राफ्ट से सबसे बड़ा होगा. जिसमें 71 लोगों को आसानी से बैठाया जा सकेगा.

    • इसकी स्क्रीन बनाने में विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. जिससे इसका रात भी आसानी से प्रयोग में लाया जा सकता है.

    • इस एयरक्राफ्ट को आसानी से किसी भी खराब परिस्थिति में लैंड और टेक ऑफ किया जा सकेगा. 




इस एयरक्राफ्ट की खूबियों से साफ जाहिर है कि राहत और बचाव के कामों के साथ-साथ अब सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कमांडों कार्रवाई के दौरान सेना को मौसम के ठीक होने का इंतजार नहीं करना नहीं पड़ेगा.