'पिछले 9 साल में आंतरिक सुरक्षा हुई मजबूत, कश्मीर की हिंसा घटनाओं में 72% की गिरावट'
गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीमावर्ती गांवों को पहला गांव मानते हुए ‘वाइब्रेंट विलेज’ की नयी अवधारणा को सामने रखा जिसके तहत वहां देश के अन्य हिस्सों की तरह सभी सुविधाएं पहुंचें.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि पिछले नौ सालों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की आंतरिक सुरक्षा की स्थिति मजबूत हुई है और कश्मीर में आतंकवाद को पूर्ण रूप से काबू करने में सफलता मिली है. यहां भारत-तिब्ब्त सीमा पुलिस के 62 वें स्थापना दिवस समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि पिछले नौ सालों में देश की आंतरिक सुरक्षा की स्थिति में बहुत बदलाव आया है. उन्होंने कहा कि पहले देश में तीन क्षेत्र - कश्मीर, वामपंथी उग्रवादी क्षेत्र और पूर्वोत्तर का क्षेत्र ‘हॉट स्पॉट’ माने जाते थे.
गृह मंत्री ने कहा, ‘‘धारा 370 हटाने के बाद आज कश्मीर में आतंकवाद को पूर्ण रूप से काबू करने में हमें सफलता मिली है और मृत्यु तथा अन्य हिंसक घटनाओं की संख्या में 72 प्रतिशत की गिरावट आयी है.’’ केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इसी प्रकार पूर्वोत्तर क्षेत्र में भी हिंसक घटनाओं में 65 प्रतिशत की कमी आयी है. उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवाद में भी 80 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी है.
शाह ने कहा कि केंद्र सरकार ने सीमावर्ती गांवों में सुविधाओं को बढ़ाने के लिए ‘वाइब्रेंट विलेज’ कार्यक्रम शुरू किया है जिससे न केवल वहां की जनसंख्या बनी रहे बल्कि उसमें वृद्धि भी हो. उन्होंने कहा, ‘‘जब सीमा पर गांव खाली हो जाएंगे तो देश की सीमा की सुरक्षा में भी दिक्कत आएगी.’’
गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीमावर्ती गांवों को पहला गांव मानते हुए ‘वाइब्रेंट विलेज’ की नयी अवधारणा को सामने रखा जिसके तहत वहां देश के अन्य हिस्सों की तरह सभी सुविधाएं पहुंचें. उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रथम चरण में 19 जिलों के 662 गांवों की डेढ़ लाख की आबादी के लिए 4,800 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं, जिससे उन्हें बिजली, सड़क, रोजगार के साधन, कौशल विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें। उन्होंने कहा, ‘‘मोदी जी ने अंतिम गांवों को पहला मानकर यह लक्ष्य रखा है कि वे सिर्फ भौगोलिक रूप से नहीं बल्कि सुविधाओं की दृष्टि से भी प्रथम हों।’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसके लिए क्षेत्र में काम करने वाले केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की नोडल एजेंसी के रूप में भूमिका होगी.
उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि आने वाले एक साल के अंदर 168 ऐसे गांव सड़क, बिजली, दूरसंचार, शिक्षा और स्वास्थय सेवा से जुड़ जाएंगे, जहां अब तक ये सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं. शाह ने कहा कि भारत-चीन सीमा पर सुविधाओं के विकास पर 2014 से पहले औसतन 4,000 करोड़ रुपये सालाना खर्च होता था जो 2022-23 में तीन गुना बढ़कर 12,340 करोड़ रुपये वार्षिक हो गया है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश शून्य से नीचे तापमान पर और विषम परिस्थितियों में काम करने वाले भारत तिब्बत सीमा पुलिस के ‘हिमवीरों’ के साहस और समर्पण को सलाम करता है.
उन्होंने कहा, ‘‘जब तक आइटीबीपी हमारी सीमाओं पर तैनात है, कोई हमारी एक इंच जमीन पर भी कब्जा नहीं कर सकता.’’ गृह मंत्री ने आइटीबीपी जवानों से कहा कि वे देश की सुरक्षा की चिंता करें और केंद्र सरकार उनके परिवारों की चिंता करेगा. शाह ने कहा कि 25 साल के अमृत काल का समय 2047 तक भारत को हर क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ देश बनाने के संकल्प को पूरा करने का है. उन्होंने कहा कि ‘हिमवीरों’ के त्याग, बलिदान, साहस और शौर्य का सम्मान 130 करोड़ भारतीय बहुत मन से करते हैं और दीवाली पर स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए वे अपने घरों पर एक दीया सीमा पर तैनात जवानों के लिए भी जलाते हैं.
शाह ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विमानों और रेलगाड़ी में सेना की तर्ज पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के लिए भी कोटा आरक्षित किया है, जिससे उन्हें अपने परिवार के पास पहुंचने में बहुत आसानी होगी. शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने हाल में आइटीबीपी की सात बटालियन को एक साथ स्वीकृति दी है जिससे बल को और मजबूती मिलेगी. परेड में ‘हिम वीरांगनाओं’ के दस्ते के शामिल होने पर खुशी जाहिर करते हुए शाह ने कहा कि यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि बेटियां भी देश की सीमा की सुरक्षा में बेटों से कंधा से कंधा मिला रही हैं.