(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
भारत की जैव-अर्थव्यवस्था 10 अरब डॉलर से आठ साल में 8 गुणा बढ़कर कैसे हुई 80 अरब डॉलर
मंडाविया ने आगामी वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट 2024 के हिस्से के रूप में आयोजित एक सेमिनार में कहा कि देश जैव प्रौद्योगिकी वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र में शीर्ष 10 में शामिल होने से बहुत दूर नहीं है.
भारत की अर्थव्यवस्था तेज गति से आगे बढ़ रही है. अलग-अलग क्षेत्रों में लगातार भारत विकास कर रहा है. पीएम मोदी देश की अर्थव्यवस्था को साल 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. ऐसे में भारत की इकॉनोमी का पहली बार 4 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंचना एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है. भारत इस वक्त दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसे साल 2028 तक ऐसा माना जा रहा है कि तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. आईएमएफ ने देश के लिए साल 2023-24 में जीडीपी का अनुमान 6.3% किया था, जबकि चीन का विकास दर घटाकर 5 फीसदी कर दिया था. इन सबके बीच, अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर एक और कामयाबी कही जा सकती है.
भारत की जैव अर्थव्यवस्था पिछले आठ वर्षों में आठ गुना होकर 80 अरब डॉलर हो गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने सोमवार को कहा कि देश ने 2030 तक जैव अर्थव्यवस्था को 600 अरब डॉलर तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है. मंत्री ‘जैव प्रौद्योगिकी: विकसित भारत के लिए नवाचार और कल्याण का मार्ग’ विषय पर प्री-वाइब्रेंट गुजरात सेमिनार को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘‘पिछले आठ साल में भारतीय जैव अर्थव्यवस्था आठ गुना होकर 80 अरब डॉलर हो गई है, जो पहले 10 अरब डॉलर थी. भारत ने जैव प्रौद्योगिकी उद्योग को 2025 तक 150 अरब डॉलर और 2030 तक 600 अरब डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. देश के जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में 760 से अधिक कंपनियां 4,240 स्टार्टअप इकाइयां हैं.”
मंडाविया ने आगामी वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट 2024 के हिस्से के रूप में आयोजित एक सेमिनार में कहा कि देश जैव प्रौद्योगिकी वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र में शीर्ष 10 में शामिल होने से बहुत दूर नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘जैव प्रौद्योगिकी स्वास्थ्य उपचार के लिए सबसे बड़ा आधार बनेगी और कृषि, पर्यावरण, औद्योगिक उत्पादन और ऐसे कई क्षेत्रों में जटिल सवालों को हल करने में मदद करेगी.’’ उन्होंने कहा कि इन सभी कारकों के कारण अर्थव्यवस्था जैव प्रौद्योगिकी पर आधारित होगी.
मंडाविया ने कहा, ''कोविड-19 के लिए पांच टीके विकसित करके, भारत ने दुनिया को अपनी जैव प्रौद्योगिकी कौशल दिखाया और यह देश में उपलब्ध जैव प्रौद्योगिकी कौशल के कारण संभव हुआ.'' गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने सेमिनार में कहा कि जैव प्रौद्योगिकी तेजी से बढ़ती ‘आशा की तकनीक’ है. उन्होंने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में गुजरात ने वर्ष 2004 से जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विकास पर ध्यान केंद्रित किया है.
उन्होंने कहा कि देश में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक स्वर्ण युग शुरू हो गया है और गुजरात भी इसमें अग्रणी बनने की ओर अग्रसर है. सीएम भूपेन्द्र पटेल ने विश्वास जताया कि विकसित गुजरात के माध्यम से विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र महत्वपूर्ण साबित होगा.