भारत में यूपीआई इस्तेमाल करनेवालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. देश में अक्टूबर लगातार ऐसा तीसरा महीना है, जब यूपीआई का लेनदेन 1000 करोड़ के पार चला गया है. भारत में सब्जी बेचनेवाले से लेकर बड़े-बड़े हार्डवेयर स्टोर, गोदाम के मालिक भी यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं. एनपीसीआई यानी भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम के आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में यूपीआई यानी एकीकृत भुगतान इंटरफेस के माध्यम से 17.16 लाख करोड़ रुपये के 11 अरब से अधिक का ट्रांजैक्शन हुआ. अक्टूबर का महीना त्योहारी है, तो इसीलिए इस महीने में 17.16 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है. एनपीसीआई के मुताबिक लेनदेन को अगर नंबर्स यानी संख्या से देखें तो यह सितंबर के 10.56 अरब से आठ प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड 11.41 अरब हो गया है.
भारत में जबरदस्त छाया है यूपीआई
एनपीसीआई यानी भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम वह संस्थान है, जो भारत में सभी खुदरा भुगतान प्रणालियों का हिसाब-किताब रखनेवाला संगठन है. यूपीआई का उपयोग मोबाइल उपकरणों के माध्यम से किसी भी समय तत्काल धन हस्तांतरण के लिए किया जाता है. इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इसकी सूचना देते हुए सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स पर लिखा कि अक्टूबर में लगभग 11 अरब यूपीआई लेनदेन हुए और लोग मोबाइल से यूपीआई के माध्यम से निर्बाध रूप से लेनदेन कर रहे हैं. एनपीसीआई के आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2022-23 में यूपीआई प्लेटफॉर्म ने कुल 139 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 8,376 करोड़ ट्रांजैक्शन को पूरा किया था. वहीं, वित्त वर्ष 2021-22 में 84 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 4,597 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए थे और अगर पीडब्ल्यूसी इंडिया की मानें तो वित्त वर्ष 2026-27 तक यूपीआई से ट्रांजैक्शन रोजना 100 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है.
यूपीआई को समझिए
यूपीआई (UPI) यानी एकीकृत भुगतान इंटरफेस भारत में पूरी तरह छा गया है. इसे पढ़े-लिखे वर्ग से लेकर गैर-साक्षर तबका भी बड़े मजे से इस्तेमाल कर रहा है. ह्वाइट कॉलर जॉब करनेवाले से लेकर श्रमिक तक भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. यूपीआई की प्रणाली दरअसल भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम और भारतीय रिजर्व बैंक ने व्यक्ति से व्यक्ति, व्यक्ति से व्यापारी, व्यापारी से व्यापारी व कंपनियों के बीच तत्काल आदान-प्रदान के लिए शुरू की है. विभिन्न बैंकों और भुगतान करने व भुगतान प्राप्त करने वाली कंपनियों ने अपने-अपने हिसाब से यूपीआई ऐप इसलिए भी बनवाए हैं, क्योंकि यह बहुत तेजी से बहुत लोकप्रिय हो गया है. 8 नवम्बर 2016 को नोटबंदी किये जाने के बाद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश में कैशलेस इंडिया अभियान शुरू किया गया था. उसके साथ ही सरकार ने पूरे देश में कैशलेस इंडिया का अभियान चलाया. युवाओं में कैशलेस इंडिया के प्रति रुझान काफी देखा गया, लेकिन इसको आगे बढ़ाने के लिए एक ऐप की आवश्यकता महसूस की गयी. हालांकि, यह भी मजे की बात है कि सरकार ने नोटबंदी से करीबन छह महीने पहले ही 11 अप्रैल 2016 को नेशनल पेमेंट कारपोरेशन आफ इंडिया (एनपीसीआई) के जरिए इस पेमेंट सिस्टम को शुरू किया था.
विदेशों में भी है यूपीआई का कमाल
यूपीआई के माध्यम से भारत में कहीं भी भुगतान किया जा सकता है औऱ भारत के अलावा भूटान, मलेशिया, सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात में भी पेमेंट कर सकते हैं. देश के 207 बैंकों ने तो 2020 में ही यूपीआई की सुविधा देनी शुरू कर दी. 2016 में लॉन्च हुए यूपीआई का चलन भारत में तेजी से बढ़ा है. आजकल लोग नकद के बजाय डिजिटल पेमेंट करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक नवंबर में भी त्योहारों के कारण यूपीआई ट्रांजेक्शन में और तेजी की उम्मीद है. एनपीसीआई के मुताबिक अक्टूबर में 49.3 करोड़ ट्रांजेक्शन के जरिए 5.38 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन आईएमपीएस के जरिए हुआ है. अभी पिछले दिनों वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण श्रीलंका दौरे पर थीं और वह भारतीय तमिलों के श्रीलंका आगमन के 200 साल पूरे होने के अवसर पर रखे गए कार्यक्रम में हिस्सा ले रही थीं. उन्होंने उसी कार्यक्रम के दौरान बड़ा ऐलान करते हुए बताया कि जल्द ही इस देश में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस की शुरुआत की जाएगी. बता दें कि भारत की डिजिटल पेमेंट प्रमाणी यूपीआई का दायरा विदेशों में भी लगातार बढ़ रहा है. भारत में इस पेमेंट सिस्टम को बड़ी सफलता मिलने के बाद अब पड़ोसी देश श्रीलंका भी जल्द ही इसे अपनाने जा रहा है. उन्होंने कहा कि भारत और श्रीलंका के रिश्ते बहुत गहरे हैं.
भारत में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानी यूपीआई का इस्तेमाल पिछले कुछ सालों में बहुत ही तेजी से बढ़ा है. बहुतेरे और देशों ने भी इस डिजिटल पेमेंट तकनीक में अपनी दिलचस्पी दिखाई है. श्रीलंका के अलावा फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम जैसे देशों ने भी इस तकनीक को स्वीकृति दी है और यूपीआई के जरिए लेनदेन को मंजूरी दी है. फरवरी 2023 में सिंगापुर ने इस पेमेंट सिस्टम को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर किया था, यानी अब कोई भारतीय सिंगापुर से भारत केवल क्यूआर कोड और मोबाइल नंबर के जरिए पैसों का लेनदेन कर सकते हैं. भारत जिस तरह से आइटी सेक्टर और कैशलेस ट्रांजैक्शन के फील्ड में काम कर रहा है, जल्द ही उम्मीद है कि यूपीआई का उपयोग कई देश करेंगे और इसका ट्रांजैक्शन बढ़ता ही जाएगा.