भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में शहरों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रहने वाली है और उसमें भी ऐसे शहर जिसे भविष्य की जरूरतों को देखते हुए पूरी योजना के साथ बनाया गया हो. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी यही कहना है कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए अमृतकाल यानी अगला 25 साल बेहद महत्वपूर्ण है और  हमारे शहरों की इसमें बड़ी भूमिका रहने वाली है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'अर्बन प्लानिंग, डेवलपमेंट एंड सैनिटेशन' विषय पर बजट बाद वेबिनार में बुधवार (एक मार्च) को शामिल हुए. इसमें उन्होंने इस मुद्दे को बखूबी तरीके से समझाया कि 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सुनियोजित तरीके से बनाए गए शहर कितने ज्यादा फायदेमंद साबित होंगे. उन्होंने कहा कि अमृतकाल में अर्बन प्लानिंग से ही हमारे शहरों का भाग्य निर्धारित होगा और वेल प्लान्ड शहर ही भारत के भाग्य को निर्धारित करेंगे. प्रधानमंत्री ने विकसित राष्ट्र के लिए सुनियोजित शहरों के विकास पर बल दिया. 


सुनियोजित शहरों से देश का बदलेगा भाग्य


प्रधानमंत्री का मानना है कि जब प्लानिंग बेहतर होगी तभी देश के शहरों को क्लाइमेट रिज़िल्यन्ट (climate resilient) और जल से सुरक्षित बनाया जा सकता है.  शहरों को क्लाइमेट रिज़िल्यन्ट बनाने से तात्पर्य है कि ऐसे शहर बने, जो किसी भी प्रकार के जलवायु परिवर्तन या प्राकृतिक आपदाओं को झेलने के लिहाज से ज्यादा सक्षम हो. प्रधानमंत्री ने राज्यों और शहरी निकायों को एक नसीहत भी दी. उन्होंने कहा कि राज्य और शहरी निकाय भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में अपना योगदान तभी दे पाएंगें, जब वे प्लान्ड अर्बन एरिया यानी ऐसे शहरों का विकास करेंगे, जो पूरी तरह से प्लानिंग के साथ बने हों.  


शहरों के विकास के दो प्रमुख पक्ष


पीएम मोदी ने का कहना है कि भारत में शहरों के विकास से जुड़े दो प्रमुख पक्ष हैं. पहला नए शहरों का विकास और दूसरा पुराने शहरों में पुरानी व्यवस्थाओं को आधुनिक लिहाज से विकसित करना. इस नजरिए को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार ने हर बजट में शहरी विकास को बहुत महत्व दिया है. 2023-24 के बजट में अर्बन प्लानिंग के मानकों के लिए 15 हजार करोड़ रुपए का इंसेन्टिव भी तय किया गया है.


प्रधानमंत्री मोदी ने उन तीन बिन्दुओं का भी जिक्र किया, जिसका ख्याल भविष्य में शहरी नियोजन और विकास के लिए कोई भी नीति बनाए जाने में किया जाना चाहिए.



  • राज्यों में शहरी नियोजन पारिस्थितिकी तंत्र को कैसे मजबूत किया जाए.

  • अर्बन प्लानिंग के लिए निजी क्षेत्र में मौजूद विशेषज्ञता का कैसे सही इस्तेमाल किया जाए. 

  • ऐसे सेंटर ऑफ एक्सेलेंस ( उत्कृष्टता केंद्र) कैसे विकसित किए जाएं, जो अर्बन प्लानिंग को एक नए स्तर पर लेकर जाएं.


शहरी नियोजन और शहरी प्रशासन दोनों महत्वपूर्ण


प्रधानमंत्री ने शहरी विकास के लिए शहरी नियोजन और शहरी प्रशासन दोनों को बेहद महत्वपूर्ण बताया. शहरों की खराब प्लानिंग या प्लान के बाद उसको सही तरीके से लागू नहीं होने से पैदा होने वाली चुनौतियों को लेर पीएम मोदी ने आगाह भी किया.  उनके हिसाब से शहरी नियोजन के तहत परिवहन, बुनियादी ढांचा, जल प्रबंधन जैसे सभी क्षेत्रों में बेहतर तरीके से योजना बना कर ही किसी नए शहर का विकास होना चाहिए.


परिवहन व्यवस्था को मजबूत करने पर ज़ोर


किसी भी शहर के लिए उसका परिवहन सिस्टम महत्वपूर्ण स्तंभ होता है. प्रधानमंत्री का भी कहना है कि देश के शहरों के अंदर बाधारहित आवागमन की सुविधा होनी चाहिए. इस लिहाज से उन्होंने किसी भी शहर के लिए मेट्रो नेटवर्क को महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने मेट्रो नेटवर्क के साथ ही सड़कों के चौड़ीकरण, ग्रीन मोबिलिटी और एलेवेटेड रोड को किसी भी शहर के सुनियोजित विकास से जुड़ी योजना का हिस्सा बनाए जाने पर ज़ोर दिया.


सर्कुलर इकोनॉमी शहरी विकास का आधार


विकसित राष्ट्र के नजरिए शहरों के विकास में भारत सर्कुलर इकोनॉमी को बड़ा आधार बनाकर कदम उठा रहा है. ये हम सब जानते हैं कि देश के शहरों में हर दिन हजारों कचरा पैदा होता है. पीएम मोदी ने जानकारी दी कि भारत में 2014 में सिर्फ़ 14 से 15% कचरे की प्रोसेसिंग (waste processing) होती थी. आज ये आंकड़ा 75% तक जा पहुंचा है. शहरों के किनारे कूड़े के पहाड़ों को लेकर भी प्रधानमंत्री ने चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि कचरे की प्रोसेसिंग करके इन कूड़े के पहाड़ों से भी शहरों को मुक्त करने का काम किया जा रहा है. इसमें कई उद्योग के लिए रिसाइक्लिंग के ढेर सारे मौके हैं. इस क्षेत्र में काम कर रहे स्टार्टअप्स को समर्थन की जरूरत पर भी पीएम ने बल दिया. इसके साथ ही उन्होंने शहरों में पीने के साफ पानी के बाद सीवेज़ ट्रीटमेंट के पारंपरिक मॉडल से आगे की प्लानिंग करने की भी जरूरत बताया और इस क्षेत्र में अपार संभावनाओं को देखते हुए प्राइवेट सेक्टर से आगे आने की अपील की.


भविष्य के शहरों के लिए नई परिभाषा हो तय


प्रधानमंत्री का कहना है कि अगर भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना है, तो भविष्य के शहरों के लिए नई परिभाषा तय करते हुए नए मानक बनाने होंगे. उन्होंने अर्बन प्लानिंग में बच्चों का ध्यान रखने पर भी ज़ोर दिया. इसके तहत शहर के विकास के लिए योजना बनाने में  बच्चों के लिए खेलने-कूदने की जगहों से लेकर साइकिल चलाने के लिए पर्याप्त जगह जैसी बातों को ध्यान में रखने की बात कही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि जो भी नए शहर बने, वो कचरा मुक्त हो, पानी से सुरक्षित हो और जलवायु अनुकूल हो और ऐसा तभी मुमकिन होगा, जब टियर-2 और टियर-3 शहरों में अर्बन इनफ्रास्ट्रक्चर और प्लानिंग में निवेश बढ़ेगा.


भारत को आजाद हुए 75 साल हो गए हैं और इतनी बड़ी अवधि में देश में सिर्फ इक्का-दुक्का ही प्लान्ड सिटी बने हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसको लेकर भी चिंता जाहिर की. उनका मानना है कि अगर आजादी के 75 साल में  भारत में 75 नए और बड़े प्लान्ड सिटी बने होते तो आज देश की तस्वीर कुछ और ही होती. हालांकि उन्होंने भरोसा दिलाया कि 21वीं सदी में जिस तरह भारत तेज गति से विकास कर रहा है, आने वाले समय में देश में अनेक नए शहर बनेंगे, जिनका विकास पूरी तरह से सुनियोजित तरीके से किया जाएगा. प्रधानमंत्री का कहना है कि सुनियोजित शहर वक्त की जरूरत हैं और इस दिशा में कदम बढ़ाकर ही भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनेगा.


केंद्रीय बजट में शहरी विकास का ख़ास ख्याल


2023-24 के केंद्रीय बजट में भी शहरी विकास को ध्यान में रखते हुए कई कदम उठाए गए हैं. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि भविष्य के हिसाब से शहरों को बदलने और विकसित करने के लिए राज्यों और शहरी निकायों (म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन)  को प्रोत्साहित किया जाएगा. उन्होंने घोषणा की थी कि एक शहरी अवसंरचना विकास निधि (UIDF) की स्थापना की जाएगी. इसका प्रबंधन राष्ट्रीय आवास बैंक (NHB) के जरिए किया जाएगा और इस निधि का उपयोग सरकारी एजेंसियां टीयर 2 और टीयर 3 शहरों में बुनियादी ढांचों को बनाने में करेंगी. इस निधि के लिए 10 हजार करोड़ रुपये प्रति वर्ष की राशि उपलब्ध कराने की बात कही गई है.


2047 में 82 करोड़ लोग शहरों में रह रहे होंगे


2047 के लिहाज से नए शहरों का तो विकास करना ही है, इसके अलावा पहले से मौजूद शहरों में रहने वाली एक बड़ी आबादी तक भी हर वो सुविधा पहुंचाने की भी चुनौती है, जो एक विकसित राष्ट्र के तहत शहरी नागरिकों को हासिल होती है. 2011 की जनगणना के मुताबिक 37.7 करोड़ लोग शहरों में रहते थे, जो कुल जनसंख्या का 31.16% था. वहीं वर्ल्ड बैंक के एक अनुमान के मुताबिक 2021 में शहरी जनसंख्या करीब 50 करोड़ तक पहुंच गई है. भारत में हर साल शहरों की आबादी में करीब सवा दो फीसदी के आसपास इजाफा हो रहा है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 2047 तक भारत की जनसंख्या एक अरब 64 करोड़ तक पहुंच जाने की संभावना है और इसमें आधे लोग यानी करीब 82 करोड़ लोग शहरों में रह रहे होंगे. संयुक्त राष्ट्र का तो मानना है कि उस वक्त तक भारत की करीब 56 से 57 फीसदी आबादी शहरों में रह रही होगी. 


2047 तक भारत का तेजी से शहरीकरण होगा


शहरकीरण को हमेशा ही देश के आर्थिक विकास के लिए वरदान माना जाता है. फिलहाल शहरी क्षेत्र कुल भूमि क्षेत्र का लगभग 3% ही हैं, लेकिन सकल घरेलू उत्पाद में 70% से अधिक का योगदान करते हैं. ये एक तरह से शहरी इलाकों के उच्च स्तर की आर्थिक उत्पादकता का संकेत देता है. 2047 तक भारत का तेजी से शहरीकरण होगा और उसी के हिसाब से अर्थव्यवस्था भी तेज़ी से बड़ी होते जाएगी. उस वक्त तक भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी रहेगी. फिलहाल हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं. अर्नेस्ट और यंग (Ernst and Young) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक जब 2047 में देश की आजादी के 100 साल पूरे हो जाएंगे, तो भारतीय अर्थव्यवस्था 26 ट्रिलियन डॉलर यानी 26 लाख करोड़ रुपये की हो जाएगी. इसी रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था 2028 तक 5 ट्रिलियन डॉलर, 2036 तक 10 ट्रिलियन डॉलर और 2045 तक 20 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंच जाएगी. 


तेज रफ्तार से शहरीकरण और आर्थिक विकास की इस यात्रा में नए प्लान्ड शहरों के साथ ही पुराने शहरों की अहम भूमिका होगी. शहरों की संख्या में भी तेजी से इजाफा होने की संभावना है. भारत में 2011 की जनगणना के मुताबिक 7,935 छोटे-बड़े शहर थे. 2001 के ये आंकड़ा 5161 था. यानी सिर्फ 10 साल में ही 2,774 शहर बढ़ गए. इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि 2047 तक भारत में कितने नए शहर बनेंगे. 10 लाख से ज्यादा जनसंख्या वाले शहरों की संख्या 2047 तक 70 से ज्यादा हो जाएगी.


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