साल 2022 में मोदी सरकार ने किसानों के लिए क्या किया?
केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रहीं कृषि योजनाएं खेती-किसानी से लेकर उनकी व्यक्तिगत जरूरतों के लिए लोन से लेकर सब्सिडी, इंसेंटिव, फसल बीमा का लाभ देती हैं.
भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की लगभग 60 प्रतिशत आबादी अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर करती है. इसके साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ बनानें में कृषि का अहम योगदान है. यहां हर मौसम में तरह-तरह की फसलें उगाई जाती हैं. किसान भी फसलों से बेहतर उत्पादन के लिए जी-तोड़ मेहनत करते हैं.
वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार भी कृषि कार्यों में आने वाली असुविधाओं को दूर करने या किसानों की जिंदगी आसान बनाने के लिए उन्हें योजनाओं का लाभ देती है. इन योजनाओं की मदद से किसानों को बुवाई से लेकर उपज बेचने तक में आसानी होती है.
केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही कृषि योजनाएं खेती-किसानी से लेकर उनकी व्यक्तिगत जरूरतों के लिए लोन से लेकर सब्सिडी, इंसेंटिव, फसल बीमा का लाभ देती हैं. सरकार की प्रतिबद्धता एवं जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय की कई योजनाओं और कार्यक्रमों से देश के किसानों की दिशा व दशा बदल रही है.
बजट आवंटन में वृद्धि
- कृषि और परिवार कल्याण मंत्रालय के लिए 2022-23 में बजट आवंटन बढ़ाकर 1,24,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है. जबकि चालू वित्त वर्ष 2021-22 में संशोधित अनुमान 118257.69 करोड़ रुपए था.
रिकॉर्ड खाद्यान्न और बागवानी उत्पादन
- साल 2022 के जनवरी में भारत में खाद्यान्न उत्पादन 308.65 मिलियन टन था जो दिसम्बर तक बढ़कर 315.72 मिलियन टन हो गया है. यह 2020-21 की तुलना में 4.98 मीट्रिक टन ज्यादा है.
- 2021-22 के दौरान उत्पादन पिछले पांच सालों (2016-17 से 2020-21) के औसत खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में 2.5 करोड़ टन ज्यादा है.
उत्पादन लागत का डेढ़ गुना एमएसपी तय करना
- केंद्र सरकार ने साल 2018-19 से अखिल भारतीय औसत उत्पादन लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत लाभ के साथ सभी अनिवार्य खरीफ, रबी और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि की है.
- देश में खरीफ मार्केटिंग सीजन 2022-23 के तहत धान की एमएसपी को 1,940 रुपये से बढ़ाकर 2,040 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. वहीं धान की 'ए' ग्रेड किस्म का समर्थन मूल्य 1,960 रुपये से बढ़ाकर 2,060 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है. पिछले साल के मुकाबले धान की एमएसपी अधिक है.
- गेहूं का एमएसपी जनवरी, 2022 के 2015 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर दिसम्बर, 2022 में 2125 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया.
पीएम किसान के माध्यम से किसानों को आय सहायता
- साल 2019 में पीएम-किसान योजना की शुरुआत की गई थी. इसके तहत किसानों को तीन समान किस्तों में हर साल 6000 रुपये जिए जाते हैं.
- पीएम-किसान योजना में, जनवरी 2022 में 11.74 करोड़ से ज्यादा किसानों को 1.82 लाख करोड़ रुपये जारी किए गए, जबकि दिसंबर 2022 तक 11 करोड़ से ज्यादा किसानों को अब तक 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक जारी किए जा चुके हैं.
कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण
- कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण इसी साल की शुरुआत यानी जनवरी, 2022 में 16.5 लाख करोड़ रुपये था, जिसे दिसंबर, 2022 में बढ़ाकर 18.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया.
- 4 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज पर किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से संस्थागत ऋण का लाभ पशुपालन और मत्स्य पालन करने वाले किसानों को भी दिया गया है.
देश में जैविक खेती को बढ़ावा देना
- जैविक उत्पादों की वैश्विक और घरेलू डिमांड को पूरा करने के लिए सरकार भी जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है. केमिकल वाली खेती के नुकसानों को समझकर किसान भी आगे से जैविक खेती कर रहे हैं.
- देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 2015-16 में परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) शुरू की गई. साल 2022 के जनवरी महीने तक 30934 क्लस्टर बनाए गए और 6.19 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया जिससे 15.47 लाख किसान लाभान्वित हुए. वहीं यह आंकड़ा दिसम्बर, 2022 में बढ़कर 32384 क्लस्टर गया जिससे 16.19 लाख किसानों को लाभान्वित करते हुए 6.53 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है.
अब जानते हैं किसानों के लिए केंद्र सरकार की योजनाएं...
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है. इस योजना के तहत किसानों को अपने खेतों की सिंचाई के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों के लिए सब्सिडी दी जाती है.
इसके तहत सेल्फ हेल्प ग्रुप्स, ट्रस्ट, सहकारी समिति, इंकॉर्पोरेटेड कंपनियां, उत्पादक कृषकों के समूहों के सदस्यों को भी लाभ प्रदान किया जाएगा. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2022 के तहत केंद्र सरकार ने 50000 करोड़ रूपये की धनराशि निर्धारित की है. इस योजना की शुरुआत 'हर खेत को पानी' सपने को साकार करने के लिए की गई है.
दरअसल धरती में लगातार कम होता पानी कृषि के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. इन चुनौतियों के देखते हुए केंद्र सरकार की कृषि सिंचाई योजना में सिंचाई के लिए खेती का विस्तार करने, पानी की बर्बादी को कम करने और पानी के सही इस्तेमाल वाली तकनीकों को अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जाता है.
पीएम कृषि सिंचाई योजना के तहत सिंचाई यंत्रों पर सब्सिडी के लिए किसी भी सीजन में आवेदन करके लाभ ले सकते हैं.
किसान क्रेडिट कार्ड योजना
किसी भी चीज की खेती करने के दौरान बुवाई से लेकर बेचने तक के कामों में अच्छा खासा पैसा खर्च हो जाता है. ज्यादातर किसानों के पास इतने पैसे नहीं होते कि वह ये सारा काम एक साथ कर सकें. कई बार पैसों की तंगी के कारण ये किसान अपनी खेती बीच में ही छोड़ देते हैं. उनकी परेशानियों को दूसर करने के लिए सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड योजना चलाई है.
जिसके तहत किसानों को सस्ती ब्याज दरों पर लोन की सुविधा दी जाती है. किसान क्रेडिट कार्ड पर उन्हें शॉर्ट टर्म लोन दिया जाता है. साथ ही समय जो किसान समय पर लोन चुका देते हैं उन्हें सब्सिडी भी दी जाती है. इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान अपने नजदीकी वित्तीय संस्था या बैंक भी संपर्क कर सकते हैं.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
खेती करना कोई आसान काम नहीं है. बदलते मौसम, प्राकृतिक आपदा तो कभी कीट-रोगों के प्रकोप के चलते फसलों को भारी नुकसान हो जाता है, जिसका सामना करना किसानों के लिए आसान नहीं है. किसानों के इस तरह के समस्याओं से निपटने और बड़े आर्थिक संकट से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई है. इस तरह किसान बड़े आर्थिक संकट से बच जाते हैं.
इस योजना के तहत किसानों के उगाए फसल का बीमा किया जाता है. इस योजना के अंतर्गत बुवाई के पहले से और फसल की कटाई के बाद तक के लिए बीमा सुरक्षा मिलती है. रबी फसलों का बीमा करवाने के लिए 1.5% ब्याज, खरीफ फसलों का बीमा करवाने के लिए 2% ब्याज का भुगतान और बागवानी फसलों के लिए 5% की दर से अंशदान देना होता है.
इसके अलावा अगर प्राकृतिक आपदाओं से फसलों को नुकसान हो जाए तो किसानों को ऐसा होने के 72 घंटे के अंदर बीमा कंपनी को इस बात की जानकारी देनी होती है. इसके बाद बीमा कंपनी खेत में जाकर फसल नुकसान का जायजा लेती है और किसान को बीमा कवरेज का पैसा दे देती हैं.
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
किसान अपनें खेतों में उत्पादन बढ़ाने को लेकर असंतुलित खाद का इस्तेमाल कर रहे है. जिसके कारण उनके जमीन की मिट्टी उत्पादकता निरंतर कम होती जा रही है. खेत की उत्पादकता बढ़ने की जगह निरंतर कम होती चली जा रही है. मिट्टी की सेहत जानने के लिए केंद्र सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना चलाई है.
इस योजना के तहत किसान अपने खेत की मिट्टी का सैंपल लेकर मृदा जांत लैब में जाते हैं. जिसके बाद लैब की तरफ से मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जाता है. इस कार्ड में मिट्टी की कमियां, मिट्टी की जरूरत, सही मात्रा में खाद-उर्वरक, कौन सी फसल लगाएं जैसी तमाम जानकारियां मौजूद होती हैं.
प्रधानमंत्री कुसुम योजना
केंद्र सरकार हमारे देश में सौर उर्जा का इस्तमाल करने पर लगातार जोर दे रही है. इससे ना सिर्फ बिजली की बचत होती है बल्कि सौर ऊर्जा से बिजली पैदा कर किसान अच्छा पैसा भी कमा सकते हैं. इसके अलावा ऊर्जा के इस्तेमाल से किसानों को सिंचाई में आसानी के साथ और भी कई फायदे मिलते हैं. जिसे देखते हुए केंद्र सरकार की तरफ से पीएम कुसुम योजना चलाई जा रही है.
इस योजना के तहत किसानों को प्रेरित किया जाता है ताकि वह अपने खेतों में सोलर पैनल लगवा सकें, पैनल लगवाने के बाद किसान सौर ऊर्जा पंप से सिंचाई का काम आसानी से कर सकते हैं और बिजली उत्पादन कर ज्यादा आमदनी भी ले सकें.
पीएम कुसुम योजना के तहत सोलर पंप खरीदने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें 30-30 प्रतिशत अनुदान देती हैं. बाकी 30% भुगतान के लिए किसानों को लोन की सुविधा दी जाती है. इस तरह सिर्फ 10 फीसदी खर्च में किसान सोलर पैनल लगवा सकते हैं.
पीएम किसान मानधन योजना
प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना को किसान पेंशन योजना भी कहते हैं. इस योजना का लाभ 18 से 40 साल वाले किसान उठा सकते हैं. योजना के तहत हर महीने इन किसानों को 55 से 200 रुपये का अंशदान देना होगा. इसके बाद किसान की उम्र 60 साल होने पर सरकार की तरफ से 3,000 रुपये महीने यानी 36,000 रुपये सालाना पेंशन दी जाती है.
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना
भारत में आज भी किसानों की बड़ी आबादी छोटे और सीमांत किसानों की है. यानी वो किसान जिसके पास 2 एकड़ या उससे कम ही खेती योग्य जमीन होती है. ऐसे किसानों को आर्थिक सहायता के तौर पर केंद्र सरकार ने सालाना 6,000 रुपये देने का फैसला किया है. इसके लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि यानी पीएम किसान योजना भी चलाई है. ताजा आंकड़ें बताते हैं कि इस समय देश के 8 करोड़ से भी ज्यादा किसान इस योजना का लाभ ले रहे हैं.
राष्ट्रीय कृषि बाजार या ई-नाम
किसान अपने फसलों को सही दाम पर बेच सके इसके लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ई-नाम योजना चलाई है. इस योजना के तहत किसान घर बैठे फसल की बोली लगाकर देश के किसी भी कोने में अपनी उपज को मन चाही कीमत पर बेच सकते हैं.
यह काम वह ई-नाम एक ऑनलाइन ट्रेडिंग पोर्टल है, उसकी मदद से कर सकते हैं. इस पोर्टल पर किसान को अपनी पंजीकरण और फसल की जानकारी देनी होती है. इसके बाद पोर्टल पर मौजूद कृषि व्यापारी खुद किसान की उपज की बोली लगाते हैं.
इसके बाद किसान के ऊपर है कि वो जिस भी कीमत पर चाहे, जहां भी चाहे अपनी उपज बेच सकता है. बिक्री होने के बाद व्यापारी खुद किसान के पास आकर उपज को ले जाता है. इस तरह किसान का भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा भी बच जाता है.
राष्ट्रीय बागवानी मिशन
बदलते मौसम के कारण पारंपरिक फसलों में नुकसान बढ़ता जा रहा है. इसे उगाने वाले किसानों को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है. यही कारण है कि अब केंद्र सरकार ने किसानों को फल, फूल, सब्जी, जड़ी-बूटी समेत बागवानी फसलों की खेती की तरफ बढ़ने की सलाह दी है. इस काम में राष्ट्रीय बागवानी मिशन किसानों के लिए मददगार साबित हो रहा है.
इस योजना के तहत किसानों को बागवानी फसलों की खेती के लिए आर्थिक मदद, सब्सिडी, लोन और ट्रेनिंग दी जाती है. जो भी किसान इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं, वो अपने जिले के नजदीकी कृषि विभाग में संपर्क कर सकते हैं.
डेयरी उद्यमिता विकास योजना (डीईडीएस)
किसानों की आय को बढ़ाने और उनके जीवन स्तर को सुधारनें को लेकर केंद्र सरकार ने डेयरी उद्यमिता विकास योजना (डीईडीएस) की शुरुआत की है. देश के ज्यादातर किसान पशुपालन करते है . सरकार का मानना है, कि अगर यही काम एक बड़े पैमाने पर किया जाए, तो अच्छी मात्र में दुध उत्पादन किया जा सकता है.
इस योजना का लाभ लेकर किसान या पशुपालक नई डेयरी की स्थापना कर सकते हैं, अगर वह पहले से डेयरी चला रहें हैं, तो उसे आगे बढ़ा सकते हैं.