Digital Personal Data Protection Bill: हमारे देश में टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल और इसके दुरुपयोग को देखते हुए सरकार ने पर्सनल डाटा के प्रोटेक्शन को लेकर बड़ा कदम उठाया है. केंद्र सरकार ने पिछले बिल को वापस लेने के तीन महीने बाद एक नए संशोधित डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल 2022 का प्रस्ताव किया है.
यह बिल डिजिटल की दुनिया में डाटा को सुरक्षित रखने के लिए लाया गया है. डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल 2022 के मसौदे को पेश करते हुए सरकार ने शुक्रवार को प्रस्तावित प्रावधानों का उल्लंघन करने पर जुर्माने की राशि को बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये कर दी है. इसका मतलब है कि संशोधित बिल में डाटा का गलत इस्तेमाल किए जाने पर 500 करोड़ रुपए तक की पेनल्टी का प्रावधान तय किया गया है.
सरकार करेगी ये बदलाव
यह उस पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल के स्थान पर पेश किया गया है, जिसे अगस्त में वापस ले लिया गया था. बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह संशोधित बिल सोशल मीडिया और अन्य तकनीकी कंपनियों के इर्द-गिर्द हैं. डिजिटल पर्सनल डाटा बिल में कहा गया है सरकार के पास उन देशों को स्पेसिफाई करने की ताकत होगी, जिन्हें कंपनियां पर्सनल डाटा ट्रांसफर कर सकती हैं.
वहीं इस कानून का पालन हो इसे सुनिश्चित करने के लिए सरकार एक "डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड" भी बनाएगी, जो कंज्यूमर की शिकायतें सुनने के साथ उसे हल करने पर भी करेगा. इसके साथ ही एक केंद्र सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए एक बोर्ड की स्थापना करेगी, जिसे डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड ऑफ इंडिया कहा जाएगा.
सुरक्षित रहेगा आपका डाटा
नए बिल के अनुसार कोई यूजर अगर अपना सोशल मीडिया अकाउंट डिलीट करता है तो कंपनी को भी उसके डाटा को खत्म करना होगा. कंपनी यूजर डाटा को तब तक ही सेव रख सकती है जब तक उसका व्यावसायिक उद्देश्य पूरा नहीं हो जाता. इसके साथ ही यूजर्स को अपने पर्सनल डाटा में सुधार करने और मिटाने का अधिकार होगा.
बच्चों के लिए क्या है ड्राफ्ट बिल में
नए ड्राफ्ट बिल के मुताबिक किसी भी कंपनी या संगठन को बच्चों को नुकसान पहुंचाने वाली किसी भी डाटा को संरक्षित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. इसके अलावा बच्चों के डाटा को रखने के लिए नियमों का एक नया सेट भी है. किसी भी कंपनी का बच्चों के डाटा तक पहुंचने के लिए उनके माता-पिता की सहमति की जरूरत होगी. सोशल मीडिया कंपनियों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि टार्गेट किए गए विज्ञापनों के लिए बच्चों के डाटा को ट्रैक नहीं किया जा रहा है.
डाटा मालिक को मिलेगा पूरा अधिकार
नए डिजिटल पर्सनल डाटा बिल में बायोमेट्रिक डेटा के मालिक का अपने डाटा का पूरा अधिकार होगा. यहां तक की अगर किसी कंपनी को अपने कर्मचारी की हाजिरी के लिए बायोमेट्रिक डाटा की जरूरत है तो भी उसे कर्मचारी के अनुमति या सहमति लेनी होगी.
क्यों है अहम?
यह बिल हमारे देश के लिए इतना अहम इसलिए है क्योंकि भारत में अन्य देशों की तरह पर्सनल डेटा की सुरक्षा को लेकर कोई सख्त कानून नहीं हैं. जिसका फायदा डाटा एकत्रित करने वाली कंपनियों को मिलता है और वह बिना अपने यूजर के अनुमति लिए इस डाटा का इस्तेमाल दूसरे कामों के लिए करती है.
व्यक्तियों के अधिकार
डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक, 2022 यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में निर्दिष्ट भाषाओं में "बुनियादी जानकारी तक पहुंचने" में सक्षम होना चाहिए. इसके अलावा सभी व्यक्ति को पता होना चाहिए कि कौन सी कंपनी या संगठन उस यूजर का व्यक्तिगत डेटा एकत्र करना चाहती हैं और इसके पीछे उनका उद्देश्य क्या है. यूजर्स को डेटा फिड्यूशरी से सहमति वापस लेने का भी अधिकार है.
बिल में क्या है खास
डिजिटल प्रोटेक्शन बिल में एक ऐसे खास टर्म का इस्तेमाल किया गया है जो देश के इतिहास में पहली बार हो रहा है. दरअसल इसमें महिलाओं और पुरुषों सभी के लिए Her/She शब्द का इस्तेमाल किया गया है. अब तक के विधेयकों में सभी जेंडर्स के लिए His/He का इस्तेमाल किया जाता था. सरकार का मानना है कि Her/She टर्म का इस्तेमाल कर महिलाओं को प्राथमिकता दी गई है.
डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल 2022 को कुछ इस तरह परिभाषित किया गया है
* बिना आपकी मर्जी के नहीं इस्तेमाल हो सकता डाटा
* कंपनियां हर डिजिटल नागरिक को साफ और आसान भाषा में सारी डिटेल्स देंगी.
* किसी भी समय ग्राहक को अपना Consent वापस लेने का अधिकार
* डेटा के गलत इस्तेमाल पर 500 करोड़ तक की पेनल्टी का प्रावधान
* सरकार की अगर इच्छा हो तो राष्ट्रहित में एजेंसियों अथवा राज्यों को इसके एम्बिट से बाहर रख सकती है
* डाटा स्टोरेज के लिए सर्वर देश में या मित्र देशों में ही हो सकता है.
* इन देशों की लिस्ट सरकार जल्द जारी करेगी.
* सरकारी एजेंसियां और संस्थान असीमित समय तक रख पाएंगे डाटा.
क्या है निजी डेटा संरक्षण विधेयक
भारत में किसी भी व्यक्ति के निजी डाटा को सुरक्षित रखने के लिए इस बिल को 11 दिसंबर 2019 को संसद में पेश किया था. इस बिल के अनुसार कोई भी प्राइवेट या सरकारी कंपनी या संगठन बिना व्यक्ति के अनुमति के उसके डाटा का इस्तेमाल नहीं कर सकती. इस बिल में राष्ट्रीय सुरक्षा, कानूनी कार्यवाही के लिए इस डाटा का इस्तेमाल किया जाने के प्रावधान भी शामिल था.
इस विधेयक को साल 2018 में जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति द्वारा तैयार किया गया था. जिसके बाद साल 2019 में केंद्र सरकार ने इस बिल को पेश किया था और दिसंबर 2021 में संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया था. इस विधेयक को इसलिए वापस ले लिया गया ताकि केंद्र सरकार संसदीय समिति की सिफारिशों के आधार पर नया विधेयक तैयार कर उसे संसद में पेश किया जा सके.