पिछले 2 सालों से देश की जनता कोरोना के कारण काफी परेशान रही है. हालांकि बीतते वक्त के साथ हालात सामान्य हो रहे हैं. धीरे-धीरे शहरों में रोजगार की स्थिति पहले से बेहतर हुई है, लेकिन ग्रामीण इलाकों पर आज भी दबाव है. यही कारण है कि इस साल यानी 2022-2023 में सरकार ग्रामीण विकास पर 2,06,293 करोड़ रुपये खर्च करेगी. उनकी प्राथमिकता गांवों में रोजगार पैदा करना होगा.


9 राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 1 फरवरी को बजट पेश करने वाली है. इस बजट को पेश करने से पहले केंद्र सरकार ने 2022-2023 में खर्च होने वाले रुपयों का अनुमान लगाया है. यह अनुमानित बजट 2021-22 के संशोधित अनुमान से 4.6 प्रतिशत ज्यादा है. साल 2022-23 में मोदी सरकार 39,44,909 करोड़ रुपये खर्च करेगी.


अनुमानित बजट को देखते हुए संभव है कि सरकार का फोकस प्रमुख सब्सिडी, रक्षा, परिवहन और पेंशन पर हो. वित्तीय वर्ष 2022-23 में पेंशन पर 2,07,132 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. वहीं रक्षा पर 3,85,370 खर्च किया जा सकता है. इसके अलावा प्रमुख सब्सिडी पर केंद्र 3,17,866 करोड़ रुपये खर्च करेगा. 


आइये जानते हैं सरकार कहां- कहां खर्च करेगी 39,44,909 करोड़ रुपये




केंद्र सरकार ने संसद में की थी अतिरिक्त ग्रांट की मांग 


इस महीने की शुरुआत में ही केंद्र सरकार ने संसद में अतिरिक्त ग्रांट की मांग की थी. केंद्र ने कहा था 3.25 लाख करोड़ रुपये में से 1.09 लाख करोड़ रुपये फर्टिलाइजर सब्सिडी के भुगतान में खर्च की जाएगी. इसके अलावा प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम के तहत रसोई गैस सब्सिडी का ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को भुगतान और उज्जवला योजना से जुड़े कनेक्शन के खर्च के लिए 29,944 करोड़ राशि की मंजूरी मांगी गई है.


नीतियों की झलक, 4 प्वाइंट्स...


1. विधायी प्रस्ताव: साल 2022-23 में स्पेशल इकोनॉमिक जोन्स एक्ट, 2005 की जगह पर एक नया कानून लाया जाएगा, ताकि ‘उद्यमों और सर्विस हब्स के विकास’ में सभी राज्य भागीदार बन सकें. इस साल कृषि वानिकी और निजी वानिकी को भी बढ़ावा देने के लिए कई बदलाव किए जाएंगे. 


2. स्वास्थ्य और पोषण: देश के स्वास्थ्य और पोषण पर ध्यान केंद्रित करते हुए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के अंतर्गत राष्ट्रीय डिजिटल हेल्थ इकोसिस्टम के लिए ओपन प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा. इसमें स्वास्थ्य केंद्रों और इलाज के लिए आने वाले मरीजों की डिजिटल रजिस्ट्रीज़, यूनीक हेल्थ आइडेंटिटी, कंसेंट फ्रेमवर्क और स्वास्थ्य केंद्रों का यूनिवर्सल एक्सेस शामिल होगा.


इसके अलावा मानसिक हेल्थ की उत्तम दर्जे की काउंसलिंग और केयर सर्विसेज़ देने के लिए एक नेशनल टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम शुरू किया जाएगा. 


3. ऊर्जा और पर्यावरण: देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए बैटरी स्वैपिंग नीति लागू की जाएगी. इसके अलावा कोयले को रसायनों में बदलने के लिए चार पायलट परियोजनाओं की स्थापना की जाएगी. ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए संसाधन जुटाने हेतु 2022-23 में सॉवरिन ग्रीन बॉन्ड जारी किए जाएंगे.


4. सड़क और रेलवे: 2022-23 पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा ताकि एक्सप्रेसवेज बनाई जा सके. इस साल 2022-23 में नेशनल हाईवे के नेटवर्क को 25,000 किलोमीटर बढ़ाया जाएगा. वहीं वन-स्टेशन-वन-प्रोडक्ट कॉन्सेप्ट को लागू किया जाएगा. जिसके तहत अगले तीन सालों के दौरान 400 नई वंदे भारत ट्रेनों का विकास और निर्माण किया जाएगा. अगले तीन सालों के दौरान मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स सुविधाओं के लिए 100 कार्गो टर्मिनल भी विकसित किए जाएंगे.


1 फरवरी को वित्त मंत्री करेंगी 5वीं बार बजट पेश 


1 फरवरी 2023 को निर्मला सीतारमण वित्त मंत्री के तौर पर लगातार 5वीं बार केंद्रीय बजट पेश करने जा रही हैं. उन्होंने आने वाले बजट में पिछले बजट की स्पिरिट को ही फॉलो करने की बात कही है. दरअसल, वित्त मंत्रालय ने साल 2022-23 के बजट में पूंजीगत खर्च या कैपेक्स में इजाफा किया था.


उस बजट में अर्थव्यवस्था को कोविड-19 महामारी के असर से उबारने और डिमांड बढ़ाने की कोशिश के तहत कैपेक्स को 5.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया था. यानी 1 साल में ही उन्होंने कैपेक्स में 35.4 फीसदी का इजाफा किया गया था.


जीडीपी को पटरी पर लाने की चुनौती


पिछले कुछ महीनों में देश की जीडीपी दर कम हुई है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) सहित कई संस्थान मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी विकास दर में गिरावट के अनुमान जता चुकी हैं. आरबीआई के अनुसार 2022-23 के पूरे वित्त वर्ष में देश की जीडीपी विकास दर 6.8 फीसदी रहेगी. वहीं तीसरी तिमाही में यह ग्रोथ रेट 4.4 रही, जो चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2023) में और घटकर 4.2 फीसदी रहने के आसार हैं.