21वीं सदी में किसी भी देश के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका का संबंध अगर सबसे महत्वपूर्ण है तो वो भारत के साथ है. कर्ट कैंपबेल जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, द व्हाइट हाउस में इंडो-पैसिफिक के समन्वयक भी हैं ने कहा है कि बीजिंग ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव पैदा की है. वाशिंगटन स्थित थिंक-टैंक सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी (CNAS) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में एबीपी लाइव के एक सवाल का जवाब देते हुए कैंपबेल ने कहा कि "मेरा मानना है कि हम (अमेरिका और भारत) एक साथ मिलकर काम करने के लिए बने हैं... हमारे संबंध बहुत गहरे, समृद्ध और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं.” उन्होंने कहा कि अमेरिका-भारत के संबंध सभी प्रमुख क्षेत्रों में अभुतपूर्व से बढ़े हैं. हाल ही में दोनों देशों के बीच ‘Initiative on Critical and Emerging Technology’ (iCET) को लेकर पहले दौर की बैठक हुई थी.


उन्होंने कहा कि हमने (iCET) के पहले दौर की चर्चा का समापन किया है, जिसमें भारत के एनएसए किसी भी देश में आने के लिए सर्वोच्च रैंकिंग के अधिकारी हैं और वो भारतीय प्रौद्योगिकीविदों को अपने साथ लेकर अमेरिका में आए. इस दौरान हमने यह चर्चा की कि प्रौद्योगिकियों के उभरते क्षेत्रों में हम कैसे अपनी भागीदारी को आगे बढ़ाएं. कैंपबेल ने कहा कि अमेरिका और भारत के बीच घनिष्ठ संबंध हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि नई दिल्ली वाशिंगटन का सहयोगी है. उन्होंने एबीपी लाइव से कहा कि भारत एक महाशक्ति है. भारत संयुक्त राज्य के लिए सहयोगी नहीं है और भारत अमेरिका का सहयोगी कभी भी नहीं होगा. लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि हम करीबी साझेदार नहीं होंगे और बहुत सी चीजें साझा नहीं करेंगे. इस तरह हमें भारत की उस भूमिका को समझने की जरूरत है जो वह वैश्विक मंच पर एक महान राष्ट्र के रूप में निभाएगा.


उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में यथास्थिति को एकतरफा बदलने के चीन की तरफ से उठाए गए कदमों की भी आलोचना की, जिसके कारण अप्रैल-मई 2020 में सैन्य गतिरोध हुआ था, जो अभी भी जारी है. कैंपबेल ने कहा कि "चीन ने कई सैन्य कार्रवाइयां की हैं जिन्होंने वैश्विक व्यवस्था को चुनौती दी है और जिसने चीन के लक्ष्य और महत्वाकांक्षाओं पर सवाल उठाए हैं...कुछ कदम जो चीन ने भारत के साथ लगती अपनी सीमा पर उठाए हैं वो वाकई परेशान करने वाला और भारत को उत्तेजित करने वाला है. इसके साथ ही भारत से दोस्ताना संबंध रखने वाले देशों के लिए भी चिंता का सबब है.


CNAS की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने हाल के वर्षों में  (LAC) पर अपने बुनियादी ढांचे के विकास, सैन्य तैनाती, क्षमता में वृद्धि और भारत द्वारा नियंत्रित क्षेत्र में अतिक्रमण करने का प्रयास करके अपने सीमा विवादों को बढ़ाया है.


क्वाड नेता 'सामान्य प्रयोजन के व्यावहारिक क्षेत्रों' में मिलकर काम करेंगे : कैम्पबेल


आगामी क्वाड समिट को लेकर कैंपबेल ने कहा कि क्वाड समूह का अस्तित्व अब "21वीं सदी के वैश्विक आर्किटेक्चर का सामान्य हिस्सा" बन गया है. यह कुछ ऐसा है जो कुछ साल पहले हो पाना मुश्किल था. हमें इस बात पर गर्व है कि यह (जॉर्ज डब्ल्यू) बुश प्रशासन जिसने सुनामी की घटना के बाद क्वाड समूह के देशों को एक साथ लाया था...उस वक्त समुद्री तटों से लगते ये चार लोकतांत्रिक देश एक सामान्य उद्देश्य के लिए एक साथ हो रहे थे और जवाब दे रहे थे. ट्रम्प प्रशासन ने क्वाड समूह में शामिल  होने के फैसले को वापस लाने की मांग की. लेकिन राष्ट्रपति बिडेन का इसे लेकर जो विजन था वो ये कि क्वाड समूह के देशों के बीच होने वाली वार्ता को उनके शिर्ष नेताओं के स्तर पर ले जाना है और इसके लिए सहमति बन पाना मुश्किल था. आगामी क्वाड शिखर सम्मेलन को लेकर उन्होंने कहा कि इस बार सहूह के सभी देशों के नेता "सामान्य उद्देश्य के व्यावहारिक क्षेत्रों" में एक साथ काम करने पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे. बता दें कि इस साल क्वड देशों का शिखर सम्मेलन साल के अंत में सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में आयोजित होने वाला है.


अमेरिका-चीन के संबंध एक नए दौर में प्रवेश कर रहे


कैंपबेल के अनुसार, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव के कारण, दोनों पक्ष अब अपने द्विपक्षीय संबंधों के एक नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं - जिसमें "शांतिपूर्ण प्रतिस्पर्धा" का महत्वपूर्ण स्थान होगा. हमें विश्वास है कि वाशिंगटन और बीजिंग अपने संबंधों की शुरुआत नए सिरे से करेंगे. उन्होंने कहा कि "उस (अमेरिका-चीन के बीच का संबंध का प्रमुख निर्धारण प्रतिस्पर्धा है और हम इसे शांतिपूर्ण प्रतिस्पर्धा के रूप में देखना चाहते हैं.