अमृतकाल से जुड़े प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के परिप्रेक्ष्य में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ‘विजन डॉक्यूमेंट 2042’ लाएगा, जिसमें साल 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने का खाका होगा. वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की महानिदेशक डॉ. एन कलाईसेल्वी ने समाचार एजेंसी ‘पीटीआई’ से इंटव्यू में कहा, ‘‘अभी हम अमृतकाल में आगे बढ़ रहे हैं और सीएसआईआर अमृतकाल की जरूरतों एवं चुनौतियों को समझता है और इसके लिए पूरी तरह से तैयार है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘ वर्ष 2047 में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य पर अगर विचार करें, तब हमारे पास 24 साल ही शेष हैं. ऐसे में हम आठ विषयों को लेकर पूरी तत्परता से काम कर रहे हैं, चाहे वह सामाजिक जरूरतों का विषय हो, औद्योगिक जरूरतों का विषय हो या विपणन से जुड़ा विषय हो.’’
उन्होंने कहा कि सीएसआईआर आम नागरिकों के जीवन और समाज की जरूरतों से जुड़े विषयों पर काम कर रहा है, जिसमें जल, ऊर्जा, महत्वपूर्ण खनिज, सागर से जुड़े विषय, पर्यावरण, नागरिक आधारभूत ढांचा, सम्पूर्ण स्वास्थ्य सेवा आदि क्षेत्र शामिल हैं.
सीएसआईआर की महानिदेशक ने कहा, ‘‘ हम पहले ही विजन डॉक्यूमेंट 2030 तैयार कर चुके हैं. अब हम वर्ष 2042 का विजन डॉक्यूमेंट तैयार करेंगे. वर्ष 2042 में सीएसआईआर अपनी स्थापना की 100वीं वर्षगांठ मनायेगा. हमारा पहला कदम दृष्टिपत्र दस्तावेज 2030 है और दूसरा कदम सीएसआईआर का 2042 का विजन डॉक्यूमेंट होगा. हम इन दोनों दस्तावेजों का समावेश 2047 के विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने में करेंगे.’’
उन्होंने कहा कि साल 2030 और 2042 का विजन डॉक्यूमेंट आने वाले दशक में संस्थान के लिए खाका होगा. सीएसआईआर सोसाइटी की बैठक से संबंधित कार्य निष्पादन रिपोर्ट के बारे में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में सीएसआईआर की महानिदेशक कलाईसेल्वी ने कहा कि पिछले साल 15 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में उन्होंने (प्रधानमंत्री ने) 30 बिन्दुओं पर सुझाव दिये थे. उन्होंने कहा, ‘‘हमने इस बारे में 8 वर्षों की कार्य योजना रिपोर्ट तैयार की है और इस संबंध में सोसाइटी की अगली बैठक में प्रस्तुति दी जाएगी.’’
वैज्ञानिक क्षेत्र में अधिक महिलाओं को प्रोत्साहित करने की पहल के बारे में एक सवाल के जवाब में कलाईसेल्वी ने कहा कि एक समय था जब विज्ञान के क्षेत्र में महिलाएं कम संख्या में आगे आती थीं, लेकिन अब समय बदल गया है और हाल के चलन को देखेंगे, तो पायेंगे कि यह काफी उत्साहवर्द्धक है.
उन्होंने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में आने वाली महिलाओं की संख्या उत्साहवर्द्धक है, अधिक संख्या में महिलाएं विज्ञान विषय चुन रही हैं और शोध कार्य से जुड़ रही हैं. सीएसआईआर की महानिदेशक ने कहा, ‘‘ भारत सरकार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय इस विषय को काफी गंभीरता से ले रहा है. महिलाओं के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं. हाल ही में सीएसआईआर ने 'एस्पायर योजना' की घोषणा की है, जिसमें केवल महिलाओं के प्रोजेक्ट को ही लिया जायेगा.’’ उन्होंने कहा कि सीएसआईआर महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर विशेष ध्यान दे रहा है.