एक्सप्लोरर

'सर्कुलर इकॉनोमी' में सिर्फ 1.6% ही है वैश्विक अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी, जी-20 के मंच से भारत कर सकता है पहल

आज की तारीख सिर्फ 1.6 प्रतिशत वैश्विक अर्थव्यवस्था सर्कुलर इकॉनमी के दायरे में है. तो सबसे बड़ी बात ये है कि हमारे पास जितनी रिसोर्सेज हैं हमें उसी में रहना चाहिए.

इस महीने के अंत में जर्मन चांसलर ओलाफ स्कूल्ज भारत यात्रा की यात्रा पर आने वाले हैं. इससे पहले जर्मन दूत जेनिफर मॉर्गन इसी हफ्ते बुधवार को भारत पहुंचे थे. उन्होंने यहां अंतर्राष्ट्रीय क्लाइमेट एक्शन को लेकर कहा कि हम भारत को वर्तमान जी-20 की अध्यक्षता में अक्षय ऊर्जा (renewable energy) और सर्कुलर इकॉनोमी (circular economy) जैसे विषयों का नेतृत्व करते हुए देखना चाहते हैं. उन्होंने आगे कहा कि इस दिशा में हम देखना चाहते हैं कि भारत और जर्मनी एक साथ क्या कर सकते हैं. साथ ही, हम G-20 में दूसरों के साथ सहयोग कर सकते हैं. मॉर्गन ने मीडिया के साथ बातचीत में कहा हम देखना चाहते हैं कि भारत अपने G20 की अध्यक्षता में किस प्रकार की प्रौद्योगिकियों और सर्कुलर अर्थव्यवस्था के संचालन के लिए किस तरह की ड्राइव लाता है.

हमारा फोकस इफिशिएंसी पर नहीं सफिशिएंसी पर होना चाहिए

इस बारे में आर्यभट्ट कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर आस्था अहूजा का कहना है कि अगर अगर हम सिंपल भाषा में कहें तो सर्कल क्या होता है वो ये कि वो आपस में एक जगह आकर मिल जाते हैं. उसी तरह सर्कुलर इकोनॉमी का मतलब जो है वो प्रोडक्ट प्रोसेस से है. इसको ऐसे कह सकते हैं कि जो हमने प्रोडक्ट बनाये हैं वो हम वापस से रिसाइकिल और रियूज करें ताकि वेस्टेज को कम किया जा सके. इस बार की जो सर्कुलेरिटी गैप रिपोर्ट को अगर देखें जो हर साल जनवरी में पब्लिश होती है और इसकी शुरुआत 2018 से हुई है तो 2022 की जो रिपोर्ट है तो उसके हिसाब से 90 प्रतिशत जो प्रोडक्ट देश के अंदर बन रहे हैं और उपयोग में है वो वापस से प्रोडक्शन स्केल में नहीं आते हैं, वो वेस्टेज बन जाते हैं. 

आज की तारीख सिर्फ 1.6 प्रतिशत वैश्विक अर्थव्यवस्था सर्कुलर इकॉनमी के दायरे में है. तो सबसे बड़ी बात ये है कि हमारे पास जितनी रिसोर्सेज हैं हमें उसी में रहना चाहिए. इसी तरह से पृथ्वी का अपना एक बाउंड्री है तो हमें जो है एक ग्लोबल सोसाइटी होने के नाते उन सीमाओं का उल्लंघन नहीं करना है. ऐसे में हमें जो फोकस करना है वो इफिशिएंसी पर नहीं सफिशिएंसी पर करना है यह महत्वपूर्ण है. जहां तक अपने देश की बात है तो यहां 1.45 लाख मीट्रिक टन सॉलिड वेस्ट है प्रतिदिन तो ऐसे में जब हम सर्कुलर इकॉनोमी बात कर रहे हैं तो हमें वर्जिन रॉ मटेरियल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए बल्कि हमें उसे रिसाइकिल करके रियूज करना चाहिए यानी उसे वापस से प्रोडक्शन प्रोसेस में वापस आना चाहिए.

रॉ मटेरियल के आयात को करना होगा कम

अभी तक हमारे देश में होता ये है कि हम वर्जिन रॉ मेटेरियल से जो प्रोडक्ट बने हुए हैं और जो रिसाइकिल रॉ मटेरियल से जो प्रोडक्ट बने हुए हैं उन पर भी सेम रेट से जीएसटी का कर लागू है तो जो इंडस्ट्री हैं उनको कोई इंसेंटिव मिल नहीं पाता है. ऐसे में या तो सरकार रिसाइकिल रॉ मेटेरियल से जो प्रोडक्ट्स पर टैक्स कम कर दे या दूसरा ये कर सकती है कि जो प्रोडक्ट्स इंडस्ट्री बना रही है उसका कुछ हिस्सा रीसायकल इंडस्ट्री प्रोडक्ट्स बानाने में इस्तेमाल करें इससे ये होगा कि अगर हम वर्जिन रॉ मटेरियल का कम इस्तेमाल करेंगे तो हमारा जो रॉ मैटेरियल के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता है वो भी कम हो सकती है.

लेकिन अभी चूंकि इंडस्ट्री के पास सप्लाई चेन का लिमिटेशन और कोई इंसेंटिव नहीं है कि वो कोई निवेश कर सकें. चूंकि अभी जब हम जी-20 को लीड कर रहे हैं तो सरकार को इस दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए. लेकिन इस बार के बजट को अगर हम देखें तो उसमें मिनिस्ट्री फॉर क्लाइमेट चेंज एंड इनवायरमेंट के जो बजट में बढ़ोत्तरी हुई है वो सिर्फ 1.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. सरकार का जो फ्लैगशिप राष्ट्रीय मिशन हैं ग्रीन इंडिया है 2022-23 के बजट में 361 करोड़ था जो अब घट कर के 203 करोड़ हो गया तो सरकार को इस पर सोचना होगा.

जर्मनी की तरह रिसर्च के लिए बढ़ाना होगा फंडिंग

उनका कहना है कि जर्मनी की जो फेडरल मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च है उसने सिर्फ 2022 से 2025 तक  के लिए चार बिलियन यूरो की फंडिंग की है सस्टेनेबिलिटी के लिए तो भारत सरकार को भी इसके लिए फंडिंग करने की जरूरत है. उन्होंने जो है इसके लिए जर्मनी को बहुत सारे प्रोजेक्ट निम्न व मध्यम उद्योगों के लिए दिए हैं और जर्मनी से हम सीख सकते हैं वो है तकनीक के रिसर्च में. इसमें यूरोपियन यूनियन सबसे आगे है.

सर्कुलर इकॉनमी में निदरलैंड, फ्रांस और इटली बहुत ज्यादा आगे हैं और जर्मनी भी इसमें शामिल है. जर्मनी ने पिछले साल से इसे शुरू किया है. इसके लिए वे निम्न व मध्यम उद्योगों में रिसर्च का काम कर रहे हैं. अभी उन्होंने 2900 उद्योंगों को सपोर्ट किया है. उन्होंने अपने यहां रीसाइक्लिंग के लिए सबका कोटा फिक्स कर रखा है. वहां प्लास्टिक पैकेजिंग के 63 प्रतिशत को रीसाइक्लिंग के लिए कवर करना अनिवार्य कर रखा है तो हम जर्मनी से ये सारी चीजें सिख सकते हैं. इसमें सबसे बड़ा मुद्दा ये भी है कि सस्टेनेबिलिटी अवेयरनेस जो आवाम में है वो कितना अधिक है. उसके बिना सर्कुलर इकॉनमी की दिशा में आगे बढ़ना काफी मुश्किलें पैदा कर सकता है.

भारत को जी-20 के मंच से उठाना चाहिए क्लाइमेट जस्टिस का मुद्दा

मॉर्गन ने अपनी भारत यात्रा के दौरान, कोयला सचिवों, ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी और अन्य लोगों और G20 के शेरपा से मुलाकात की. उन्होंने बताया कि इस दौरान "हमने भंडारण, नवीकरणीय ऊर्जा व ग्रिड पर चर्चा की. हालांकि हमने अभी तक जल्दबाजी में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है लेकिन हमने.. कई क्षेत्रों की पहचान की है जिसमें हम एक साथ आगे बढ़ सकते हैं. लगभग एक वर्ष से जारी "रूस व यूक्रेन के युद्ध पर मॉर्गन ने कहा कि जर्मनी ने अपने जीवाश्म ईंधन की जरूरतों को पूरा करने के लिए "एक देश" पर निर्भर रहने का कठिन सबक सीखा है. उन्होंने कहा कि जर्मनी ने रूस से तेल आयात को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने का निर्णय लिया है.

उन्होंने जलवायु परिवर्तन को लेकर किए जा रहे प्रयासों के बारे में कहा कि भारत ने अतीत में क्लाइमेट जस्टिस की बात अंतर्राष्ट्रीय जलवायु वार्ताओं में उठाया है और अब वह अपने G20 की अध्यक्षता में भी इसे उठा सकता है. मॉर्गन ने कहा कि जर्मनी भी "जलवायु न्याय को लेकर बहुत गंभीर है". उन्होंने आगे कहा कि "कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें G20 के मंच पर उठाया जा सकता है लेकिन मुझे लगता है कि संयुक्त राष्ट्र एक महत्वपूर्ण है जहां इस मुद्दे पर बात होनी चाहिए.

अक्षय ऊर्जा के भंडारण की समस्या को दूर करने की जरूरत

मॉर्गन ने कहा कि भारतीय अधिकारियों के साथ नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में आ रही समस्याओं के समाधान के महत्व पर चर्चा हुई है. "उन्होंने कहा कि मैंने जो उनसे जो सुना है वह नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ाने में लक्ष्यों और कार्यक्रमों की एक पूरी श्रृंखला है, न केवल सौर बल्कि अपतटीय पवन उर्जा के विकास की भी बात है. अक्षय ऊर्जा और उसके भंडारण को संयोजित करने की समस्या महत्वपूर्ण है लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि हम जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को चरणबद्ध तरीके से खत्म करें. जलवायु वित्त और विकसित देशों की भूमिका के बारे में मॉर्गन ने कहा कि पश्चिम ने जलवायु वित्तपोषण में 100 अरब डॉलर देने का वादा किया है. आपको यह याद रखना होगा कि विकसित देशों ने कोपेनहेगन में 100 अरब डॉलर देने का वादा किया था और दुर्भाग्य से वह प्रतिबद्धता अभी तक पूरी नहीं हुई है. 

और देखें
Advertisement

IPL Auction 2025

Most Expensive Players In The Squad
Virat Kohli
₹21 CR
Josh Hazlewood
₹12.50 CR
Rajat Patidar
₹11 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Rishabh Pant
₹27 CR
Nicholas Pooran
₹21 CR
Ravi Bishnoi
₹11 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Jasprit Bumrah
₹18 CR
Suryakumar Yadav
₹16.35 CR
Hardik Pandya
₹16.35 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Heinrich Klaasen
₹23 CR
Pat Cummins
₹18 CR
Abhishek Sharma
₹14 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Ruturaj Gaikwad
₹18 CR
Ravindra Jadeja
₹18 CR
Matheesha Pathirana
₹13 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Shreyas Iyer
₹26.75 CR
Arshdeep Singh
₹18 CR
Yuzvendra Chahal
₹18 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Sanju Samson
₹18 CR
Yashaswi Jaiswal
₹18 CR
Riyan Parag
₹14 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Venkatesh Iyer
₹23.75 CR
Rinku Singh
₹13 CR
Varun Chakaravarthy
₹12 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Rashid Khan
₹18 CR
Shubman Gill
₹16.5 CR
Jos Buttler
₹15.75 CR
View all
Most Expensive Players In The Squad
Axar Patel
₹16.5 CR
KL Rahul
₹14 CR
Kuldeep Yadav
₹13.25 CR
View all
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

संविधान से नहीं हटेगा 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
संविधान से नहीं हटेगा 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
क्या नाना पटोले ने महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा? खुद साफ की तस्वीर
क्या नाना पटोले ने महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा? खुद साफ की तस्वीर
Devara OTT Release: हिंदी में रिलीज हुई जूनियर एनटीआर की फिल्म, इस ओटीटी प्लेटफॉर्म पर है मौजूद
हिंदी में रिलीज हुई जूनियर एनटीआर की फिल्म, इस ओटीटी प्लेटफॉर्म पर है मौजूद
IPL Auction Day 2 Time: कितने बजे शुरू होगा दूसरे दिन का ऑक्शन? 493 खिलाड़ियों पर लगेगी बोली
कितने बजे शुरू होगा दूसरे दिन का ऑक्शन? 493 खिलाड़ियों पर लगेगी बोली
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Breaking: आप संयोजक अरविंद केजरीवाल का बयान, 'अब 5.30 लाख बुजुर्गों को मिलेगी पेंशन' | ABP NewsTop News: इस वक्त की बड़ी खबरें | Parliament Winter Session 2024 | Sambhal Clash Case | ABP NewsSambhal Case: संभल हिंसा मामले में फायरिंग-पथराव की Exclusive तस्वीरें देख रह जाएंगे हैरानBreaking: मध्य प्रदेश के मुरैना में टोल प्लाजा पर बड़ा हादसा, बेकाबू हुआ ट्रक CCTV में कैद हुआ मंजर

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
संविधान से नहीं हटेगा 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
संविधान से नहीं हटेगा 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
क्या नाना पटोले ने महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा? खुद साफ की तस्वीर
क्या नाना पटोले ने महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा? खुद साफ की तस्वीर
Devara OTT Release: हिंदी में रिलीज हुई जूनियर एनटीआर की फिल्म, इस ओटीटी प्लेटफॉर्म पर है मौजूद
हिंदी में रिलीज हुई जूनियर एनटीआर की फिल्म, इस ओटीटी प्लेटफॉर्म पर है मौजूद
IPL Auction Day 2 Time: कितने बजे शुरू होगा दूसरे दिन का ऑक्शन? 493 खिलाड़ियों पर लगेगी बोली
कितने बजे शुरू होगा दूसरे दिन का ऑक्शन? 493 खिलाड़ियों पर लगेगी बोली
क्या पत्नी की जगह बेटी को मिल सकती है पिता की पेंशन? जान लीजिए क्या है इसका नियम
क्या पत्नी की जगह बेटी को मिल सकती है पिता की पेंशन? जान लीजिए क्या है इसका नियम
छात्रों के लिए एजुकेशन लोन लेना हुआ आसान, जानिए अब क्या होगी प्रक्रिया?
छात्रों के लिए एजुकेशन लोन लेना हुआ आसान, जानिए अब क्या होगी प्रक्रिया?
घी-मक्खन नहीं सोनम बाजवा की खूबसूरती का सीक्रेट है ये विटामिन, इस जूस से करती हैं दिन की शुरुआत
घी-मक्खन नहीं सोनम बाजवा की खूबसूरती का सीक्रेट है ये विटामिन
Mutual Fund Child Investment: बच्चे के पैदा होते ही कर दें ये काम, 18 प्लस होते-होते बन जाएगा करोड़पति
बच्चे के पैदा होते ही कर दें ये काम, 18 प्लस होते-होते बन जाएगा करोड़पति
Embed widget