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दिल्ली से ज्यादा नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद की हवा बिगड़ी, राष्ट्रीय राजधानी की हालत पिछले तीन साल से बेहतर

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दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में दिवाली के दिन जलाए गए पटाखों की वजह से प्रदूषण का स्तर बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गया. जिसकी वजह से धुंध का लेयर साफ-साफ दिखा. लोगों ने सांस लेने में तकलीफ के साथ, आंखों में जलन महसूस की. हालांकि दिवाली के अगले दिन की स्थिति पिछले तीन साल की अपेक्षा काफी ठीक रही. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, सोमवार सुबह साढ़े दस बजे हवा का गुणवत्ता सूचकांक 345 था. यह रविवार को रात में करीब 11 बजे 337 रहा था.
दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में दिवाली के दिन जलाए गए पटाखों की वजह से प्रदूषण का स्तर बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गया. जिसकी वजह से धुंध का लेयर साफ-साफ दिखा. लोगों ने सांस लेने में तकलीफ के साथ, आंखों में जलन महसूस की. हालांकि दिवाली के अगले दिन की स्थिति पिछले तीन साल की अपेक्षा काफी ठीक रही. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, सोमवार सुबह साढ़े दस बजे हवा का गुणवत्ता सूचकांक 345 था. यह रविवार को रात में करीब 11 बजे 337 रहा था.
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वजीरपुर और बवाना में, पीएम 2.5 का स्तर 400 के स्तर को पार कर गया था. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे फोड़ने के लिए दो घंटे की समय-सीमा तय कर रखा है, जिसका राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों में उल्लंघन हुआ. हर साल दिवाली के बाद हवा की गुणवत्ता बेहद खतरनाक हो जाने के मद्देनजर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया और केवल हरित पटाखे जलाने की मंजूरी दी थी.
वजीरपुर और बवाना में, पीएम 2.5 का स्तर 400 के स्तर को पार कर गया था. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे फोड़ने के लिए दो घंटे की समय-सीमा तय कर रखा है, जिसका राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों में उल्लंघन हुआ. हर साल दिवाली के बाद हवा की गुणवत्ता बेहद खतरनाक हो जाने के मद्देनजर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया और केवल हरित पटाखे जलाने की मंजूरी दी थी.
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पिछले साल दिवाली के बाद, दिल्ली में एक्यूआई 600 को पार कर गया था, जो कि सुरक्षित स्तर का 12 गुना था. 2017 में दिवाली के बाद एक्यूआई 367 और 2016 में 425 पर पहुंच गया था.
पिछले साल दिवाली के बाद, दिल्ली में एक्यूआई 600 को पार कर गया था, जो कि सुरक्षित स्तर का 12 गुना था. 2017 में दिवाली के बाद एक्यूआई 367 और 2016 में 425 पर पहुंच गया था.
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शहर का एक्यूआई रात के 11 बजे 327 था जो साढ़े तीन बजे तक गिरकर 323 पर आ गया, जबकि इस समय इसके ‘गंभीर’  श्रेणी में पहुंचने की आशंका थी. लेकिन धुंध के कारण सुबह 8:30 बजे एक्यूआई 340 पर पहुंच गया.
शहर का एक्यूआई रात के 11 बजे 327 था जो साढ़े तीन बजे तक गिरकर 323 पर आ गया, जबकि इस समय इसके ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंचने की आशंका थी. लेकिन धुंध के कारण सुबह 8:30 बजे एक्यूआई 340 पर पहुंच गया.
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पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी सेवा, ‘वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली’ (सफर) ने पहले अनुमान जताया था कि पटाखे फोड़ने व प्रतिकूल मौसम के कारण देर रात एक बजे से लेकर सोमवार सुबह छह बजे के बीच शहर का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच जाएगा.
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी सेवा, ‘वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली’ (सफर) ने पहले अनुमान जताया था कि पटाखे फोड़ने व प्रतिकूल मौसम के कारण देर रात एक बजे से लेकर सोमवार सुबह छह बजे के बीच शहर का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच जाएगा.
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0-50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’ माना जाता है, जबकि 51-100 ‘संतोषजनक’, 101-200 ‘मध्यम’, 201-300 ‘खराब’, 301-400 ‘बहुत खराब’ और 401-500 ‘गंभीर’ श्रेणी का माना जाता है. एक्यूआई अगर 500 से ऊपर पहुंच जाता है, तो उसे ‘गंभीर व आपातकालीन’ श्रेणी का माना जाता है.
0-50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’ माना जाता है, जबकि 51-100 ‘संतोषजनक’, 101-200 ‘मध्यम’, 201-300 ‘खराब’, 301-400 ‘बहुत खराब’ और 401-500 ‘गंभीर’ श्रेणी का माना जाता है. एक्यूआई अगर 500 से ऊपर पहुंच जाता है, तो उसे ‘गंभीर व आपातकालीन’ श्रेणी का माना जाता है.
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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली की वायु गुणवत्ता पास के गाजियाबाद (375), ग्रेटर नोएडा (356), गुड़गांव (352) और नोएडा (375) से बेहतर रही. 10 या 10 माइक्रोन से कम व्यास वाले अत्यंत सूक्ष्म अभिकण ‘पार्टिकुलेट मैटर’ पीएम 10 का स्तर रविवार को आनंद विहार में 515 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया था.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली की वायु गुणवत्ता पास के गाजियाबाद (375), ग्रेटर नोएडा (356), गुड़गांव (352) और नोएडा (375) से बेहतर रही. 10 या 10 माइक्रोन से कम व्यास वाले अत्यंत सूक्ष्म अभिकण ‘पार्टिकुलेट मैटर’ पीएम 10 का स्तर रविवार को आनंद विहार में 515 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया था.
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