लालू की वो कहानियां जिनसे आप अबतक थे अंजान !
लालू, नीतीश, रामविलास पासवान, शरद यादव ये सारे दोस्त थे जो जेपी आंदोलन से जुड़े. इन सबने जिन्होंने मिलकर जनता दल नाम की पार्टी बनाई थी. लेकिन राजनीति में सबसे पहले और सबसे ज्यादा तरक्की लालू ने ही की. 29 साल की उम्र में लालू लोकसभा सांसद बन गए. 1990 में बिहार के सीएम बने. चुनाव जीतकर 1995 में भी सीएम बने. 1997 में लालू ने दोस्तों से किनारा करके अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल बनाई जो आज भी चल रही है.
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View In Appलाल ने अपनी बेटी रागिनी की शादी जीतेंद्र यादव के बेटे राहुल से की है. जीतेंद्र गाजियाबाद से लोकसभा चुनाव हार चुके हैं. हरियाणा के कांग्रेस नेता कैप्टन अजय यादव भी उनके समधी हैं. बेटी धन्नू की शादी कैप्टन अजय यादव के बेटे राव चिरंजीव से हुई है. कैप्टन अजय हरियाणा की कांग्रेस सरकार में मंत्री थे. चिरंजीव हरियाणा युवक कांग्रेस के अध्यक्ष हैं.
देश में बेटा-बेटी को राजनीतिक विरासत सौंपने की पुरानी परम्परा रही है लेकिन 1997 में लालू ने पत्नी राबड़ी देवी को बिहार की सीएम बनाकर सनसनी मचा दी थी. चारा घोटाले के कारण लालू को सीएम की गद्दी छोड़नी पड़ी. तब लालू के बच्चे राजनीति से कोसो दूर थे. पार्टी में किसी और पर भरोसा करने की बजाय लालू ने बिल्कुल घरेलू महिला रही राबड़ी देवी को बिहार के सीएम की शपथ दिला दी. राबड़ी की बदौलत लालू कई साल तक बिहार पर राज करते रहे. बाद में लालू की राजनीतिक वापसी हुई लेकिन लालू ने बिहार की कमान राबड़ी को सौंपे रखी और खुद केंद्र में रेल मंत्री बन बैठे. राबड़ी तीन किस्त में 1997 से 2005 तक बिहार की सीएम बनी रहीं.
लालू राबड़ी की सबसे बड़ी बेटी हैं मीसा भारती. मीसा भारती राज्यसभा की सांसद हैं. जब मीसा भारती का जन्म हुआ था तब देश में इमरजेंसी लगी हुई थी और लालू यादव जेल में थे. लालू पर नॉन मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट यानी मीसा की धारा लगी थी. लालू ने मीसा का नाम मीसा एक्ट के नाम पर रख दिया. मीसा भारती ने एमबीबीएस की डिग्री ली हुई है. उन्होंने एमबीबीएस परीक्षा में टॉप किया था. उन्हें डॉक्टरी करते हुए कभी देखा नहीं गया. लोग उनकी डिग्री पर भी सवाल उठाते रहते हैं.
राबड़ी और लालू की लवस्टोरी 14 साल की उम्र में शुरु हुई थी. 1973 में लालू जब छात्र नेता थे जब 14 साल की उम्र में राबड़ी से उनकी शादी हुई थी. लालू और राबड़ी की सात बेटियां और 2 बेटे हैं. इस समय लालू का जो परिवार भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरा है उसमें लालू की बड़ी बेटी मीसा और दामाद शैलेश, बेटी रागिनी और चंदा, डिप्टी सीएम बेटा तेजस्वी शामिल हैं. लालू और राबड़ी सातों बेटियों की शादी कर चुके हैं लेकिन दोनों बेटों की शादी अभी होनी है.
लालू के पिता कुंदन राय थे. पिता खेतिहर मजदूर थे. उनका बचपन गरीबी में गुजरा. उनके भाई को चपरासी की नौकरी मिली तो वो पटना में चपरासी कवार्टर में रहने लगे. कहा जाता है कि सीएम बनने के बाद भी 4 महीने तक वो पटना में चपरासी कवार्टर में रह रहे थे. आज लालू परिवार पर 200 करोड़ की संपत्ति जुटाने का आरोप लग रहा है.
लालू ने बिहार के विभाजन को कभी स्वीकार नहीं किया. जब झारखंड को बिहार से अलग करने की मांग उठती थी तब लालू यहां तक कहते थे कि झारखंड मेरी मौत के बाद बनेगा. 2000 में लालू ने ये बयान दिया था. हालांकि लालू की एक चली नहीं. 2001 में एनडीए शासन ने बहुमत के बल पर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार का बंटवारा करते हुए छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड राज्य बना दिए थे.
2013 में जब लालू को चारा घोटाले में सजा हुई थी तब लालू को भी मालूम नहीं था कि उनके राजनीतिक भविष्य जिस जज के हाथ में है वो कभी उनके जूनियर थे. कोर्ट में ये खुलासा खुद जज पीके सिंह ने किया था.
अयोध्या में राम मंदिर बने और बीजेपी का राजनीतिक रथ चल निकले, इस शपथ के साथ बीजेपी के लालकृष्ण आडवाणी ने 25 सितंबर 1990 को गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक राम रथ यात्रा निकाली थी. आडवाणी की रथयात्रा को बीजेपी के राजनीतिक विकास का सबसे बड़ा कारण माना जाता है. तब लालू बिहार के सीएम बने थे. राष्ट्रीय मोर्चा सरकार में लालू और आडवाणी दोनों थे लेकिन लालू ने ही आडवाणी का रथ बिहार के समस्तीपुर में रोकने का हिम्मत दिखाई थी.
2005 में लालू यूपीए वन की सरकार में रेल मंत्री बने थे. लालू जब तक रेल मंत्री रहे उन्होंने रेल का किराया बढ़ने नहीं दिया. एक बड़ा प्रयोग उन्होंने किया था. रेलवे कैटरिंग में और रेलवे प्लेटफॉर्म पर उन्होंने मिट्टी के बर्तन यानी कुल्लड़ में चाय की बिक्री शुरू कराई. हालांकि अब रेल में कुल्लड़ में चाय नहीं मिलती है. ऐसा माना जाता है कि लालू के समय भारतीय रेल प्रॉफिट में आ गई थी.
लालू अपने ठेठ देसी और गंवई अंदाज पर कभी पर्दा डालने की कोशिश नहीं की. इसके बाद भी लालू मैनेजमेंट गुरु बने. 2004-05 में लालू जब रेल मंत्री बने थे तब रेल घाटे की बताई जाती थी. लालू के समय प्रॉफिट हुआ तो लालू के फंडे मैनेजमेंट स्कूल के फंडे बन गए. आईआईएम, हावर्ड बिजनेस स्कूल से लालू को ऑफर मिले कि आइए फायदे का फंडा बताइए. मैनेजमेंट गुरु-प्रोफेसर लालू की रेल नाम से किताब भी छप गई.
1990 में लालू जब बिहार के सीएम बने थे तब उन्होंने बिहार के विकास के बड़े बड़े वादे किए थे. बदहाल सड़कों की ठीक करने का वादा करते-करते वो ये कह गए कि वो बिहार की सड़कों को हेमा मालिनी के गाल जैसी बना देंगे. तब लालू के इस बयान की जबर्दस्त आलोचना हुई थी. लालू राज में कभी बिहार की सड़कों की भला नहीं हो पाया लेकिन इस बयान की चर्चा अक्सर होती है.
1990 में लालू जब बिहार के सीएम बने थे तब उन्होंने बिहार के विकास के बड़े बड़े वादे किए थे. बदहाल सड़कों को ठीक करने का वादा करते-करते वो ये कह गए कि वो बिहार की सड़कों को हेमा मालिनी के गाल जैसी बना देंगे. तब लालू के इस बयान की जबर्दस्त आलोचना हुई थी. लालू राज में कभी बिहार की सड़कों का भला नहीं हो पाया, लेकिन इस बयान की चर्चा अक्सर होती है.
लालू जाति की राजनीति से उपजे नेता हैं. 1990 में मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू होने के बाद उपजी लहर में ही लालू चुनाव जीतकर सीएम बने थे. लालू पिछड़ी जाति की राजनीति करते रहे हैं. शुरूआती राजनीतिक जीवन में लालू ने नारा दिया था-भूरा बाल हटाओ. मतलब ऊंची जाति के भूमिहार, राजपूत, ब्राह्णण और लाला यानी कायस्थ को हटाओ. लालू के इस नारे ने बरसों तक बिहार मे करिश्मा दिखाया और अगड़ी जाति के प्रति बैर भाव रखने वाले लालू बिहार में राज करते रहे.
लालू, नीतीश, रामविलास पासवान, शरद यादव ये सारे दोस्त थे जो जेपी आंदोलन से जुड़े. इन सबने मिलकर जनता दल नाम की पार्टी बनाई थी. लेकिन राजनीति में सबसे पहले और सबसे ज्यादा तरक्की लालू ने ही की. 29 साल की उम्र में लालू लोकसभा सांसद बन गए. 1990 में बिहार के सीएम बने. चुनाव जीतकर 1995 में भी सीएम बने. 1997 में लालू ने दोस्तों से किनारा करके अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल बनाई जो आज भी चल रही है.
लालू जब सीएम बने थे तब नीतीश उनके चाणक्य कहे जाते थे लेकिन मतभेद के कारण दोनों के रास्ते अलग हो गए. 2014 में मोदी की धमाकेदार जीत के बाद एक दूसरे के धुर विरोधी लालू और नीतीश ने हाथ मिला लिया. 2015 में बीजेपी को धूल चटाते हुए दोनों की जोड़ी ने बिहार की सत्ता पर कब्जा कर लिया. भ्रष्टाचार की छवि के बाद भी लालू की पार्टी को मिस्टर क्लीन नीतीश से ज्यादा सीटें मिली हैं. भ्रष्टाचार के नए आरोपों के बाद अटकलें लग रही हैं कि लालू और नीतीश की जोड़ी फिर टूट सकती है लेकिन कोई नहीं जानता कि कल क्या होगा.
आज लालू और उनका परिवार जरूर आर्थिक भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरा है लेकिन लालू ने अपनी जिंदगी गरीबी में भी बिताई. मवेशियों को भी चराया. अपने अतीत को याद रखते हुए लालू जब सीएम बने तब उन्होंने 1991 में चरवाहा विद्यालय की शुरूआत की थी. गांवों में मवेशियों को चारा खिलाने वालों को चरवाहा कहा जाता है. लालू की सोच ये थी कि बच्चे जब मवेशियों को चारा खिलाने निकलेंगे तब पढ़ भी सकेंगे. गांवों में स्कूल और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए चरवाहा विद्यालय की सोच ने अंतर्राष्ट्रीय चर्चा बटोरी थी. सरकार के सर्व शिक्षा अभियान में भी चरवाहा विद्यालय को शामिल किया गया. बिहार के वैशाली जिले के गोरौल प्रखंड में देश का पहला चरवाहा विद्यालय खुला भी लेकिन लालू की ये योजना कभी लागू नहीं हो सकी. अब ये सुनने को मिल रहा है कि पहले चरवाहा विद्यालय की बिल्डिंग में केला अनुसंधान संस्थान खुलेगा.
लालू खुद तो राजनीति में हैं. अपनी कई बेटियों की शादी भी उन्होंने राजनीतिक परिवारों में की. समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव उनके समधी हैं. मुलायम के पोते तेज प्रताप यादव से लालू ने अपनी सबसे बेटी राजलक्ष्मी की शादी की है. समाजवादी पार्टी के एक और नेता जीतेंद्र यादव उनके समधी हैं.
राजनीति के धाकड़ खिलाड़ी लालू, क्रिकेट में भी हाथ आजमा चुके हैं. लालू बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं, लेकिन उनके एसोसिएशन को कभी बीसीसीआई ने तरजीह नहीं दी. तेजस्वी बिहार रणजी टीम में क्रिकेटर रहे हैं. तेजस्वी चार सेशन तक दिल्ली डेयरडेविल्स टीम में रहे. लेकिन कभी प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं बना सके.
लालू प्रसाद अपने बोलने की शैली के लिए मशहूर हैं. अपनी बात को कहने का लालू यादव का खास अदांज है. लालू लुंगी बनियान पहनकर भी नेशनल टीवी पर आकर इंटरव्यू देने में संकोच नहीं करते हैं. कई कलाकारों ने लालू की नकल करके ही अपनी एक्टिंग की दुकान चला ली.
लालू को देश में कुर्ताफाड़ होली का जनक माना जाता है. सीएम होते हुए भी लालू के घर लालू का जबर्दस्त रंग जमता था. छोटे से छोटे कार्यकर्ता के साथ लालू होली खेलते थे. लालू खुद ढोल के साथ शुरू हो जाते थे. लालू की वो होली कैसी होती थी वो आप इस तस्वीर में देख सकते हैं. हालांकि बाद में लालू के घर कुर्ता फाड़ होली का सिलसिला खत्म हो गया.
लालू प्रसाद यादव का जन्म 11 जून 1947 को बिहार के गोपालगंज जिले के फुलवरिया गांव में हुआ था. लालू ने स्कूल की पढ़ाई गोपालगंज में ही की. लालू ने पटना विश्वविद्यालय की कॉलेज की पढ़ाई की. बीएऩ कॉलेज से लालू ने राजनीतिक शास्त्र में एम ए किया. कॉलेज के जमाने से लालू छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए थे. लालू जब कॉलेज में थे तभी जयप्रकाश नारायण ने आंदोलन शुरू किया था. लालू उसी समय जेपी के साथ जुड़ गए.
लालू का नाम लालू कैसे पड़ा. इसकी कहानी एक बार उनकी बहन गंगोत्री देवी ने सुनाई थी. बचपन में लालू गोरे थे. गोल मटोल थे और भाइयों में सबसे छोटे थे इसलिए पिता कुंदन राय ने उनका नाम लालू रख दिया.
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