तस्वीरों में देखिए, तीन तलाक़ को देश के प्रमुख अखबारों ने कैसे दिखाया है
एक साथ तीन तलाक बोलने पर सुप्रीम कोर्ट ने कल ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसे असंवैधानिक करार दे दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मुस्लिमों में तीन तलाक के जरिए दिए जाने वाले तलाक की प्रथा ‘अमान्य’, ‘अवैध’ और ‘असंवैधानिक’ है. कोर्ट के इस आदेश से मुस्लिम महिलाओं को बड़ी राहत मिली है. देखिए देश के प्रमुख अखबारों ने तीन तलाक की खबर को किस तरह प्रकाशित किया है.
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View In Appद टाइम्स आफ इंडिया ने लिखा है कि तीन तलाक को लेकर लिखा है गैरसंवैधानिक, गैरसंवैधानिक, गैरसंवैधानिक.
द टेलीग्राफ ने लिखा है कि 5 में से 3 तीन जजों ने बताया तीन तलाक को कुरान के खिलाफ. तलाक को तुरंत बताया गैरकानूनी.
नवभारत टाइम्स लिखता है कि तुरंत तीन तलाक को तलाक. अखबार ने फैसले के बड़े असर को भी स्थान दिया है और लिखा है कि बीजेपी इस मामले में फ्रंट फुट पर थी, इसका श्रेय भी उसके ही खाते में गया है.
नई दुनिया ने लिखा है कि तीन तलाक अवैध. अखबार ने लिखा है कि अब सिर्फ दो तरीको से तलाक हो सकेगा. जिसमें तलाक-ए-एहसन और तलाक-ए-हसन प्रक्रिया जारी रहेगी.
दैनिक जागरण लिखता है कि एक बार में तीन तलाक की प्रथा खत्म. साथ ही लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट जब फैसला सुना रहा था ठीक उसी समय मध्यप्रदेश के होशंगाबाद की फरहीन को उसके पति ने चिट्ठी भेजकर तलाक दे दिया.
दैनिक भास्कर ने तीन तलाक पर लिखा है कि 5 धर्मों के 5 जजों ने 28 मिनट में सुनाया तीन-दो बहुमत का फैसला. अखबार ने लिखा है कि पांच महिलाओं ने दिलाया 9 करो़ड़ मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ.
अमर उजाला ने तीन तलाक को आजादी से जोड़ते हुए लिखा है कि तीन तलाक असंवैधानिक, अगस्त में मिली दूसरी आजादी. आजादी से जूड़े अगस्त में महिलाओं के लिए यह महीना नई आजादी लाया है.
इंडियन एक्सप्रेस ने तलाक, तलाक, तलाक की हैडिंग को लाल लाइन से कटकर तीन तलाक की खबर लिखी है.
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