संगम पर शुरू हुआ आस्था का सबसे बड़ा मेला, आबाद हुआ तंबुओं का शहर
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View In Appआज से शुरू हुआ ये माघ मेला महाशिवरात्रि तक चलेगा. मेले में इस बार संत सम्मेलन और वीएचपी की धर्म संसद का भी आयोजन होगा, जिसमे गंगा प्रदूषण और धर्मांतरण समेत कई प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की जाएगी.
देखिए कुछ और तस्वीरें.
योगी सरकार इस बार के माघ मेले को कुंभ का रिहर्सल बताकर इंतजाम किये जाने का दावा कर रही थी, लेकिन यह दावे हकीकत की कसौटी पर खरे नहीं उतर सके हैं.
हालांकि इस बार मेले की तैयारियों में काफी लापरवाही देखने को मिली थी, फिर भी अफसरों का दावा है कि श्रद्धालुओं को किसी तरह की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा. वहीं श्रद्धालु भी सुविधाओं और बदइंतजामियों की अनदेखी करते हुए सिर्फ और सिर्फ पुण्य कमाने में ही लगे हुए हैं.
पांच सेक्टरों में बँटे माघ मेले में व्यवस्था और सुरक्षा के लिए दस हजार से ज्यादा कर्मचारी और जवान लगाए गए हैं.
करीब अठारह सौ बीघे में बसे माघ मेले के लिए संगम की रेती पर तम्बुओं का अलग शहर बसाया गया है. यहाँ लोहे की सड़कें बनाई गई हैं तो पीपे के पांच पांटून पुल.
दुनिया के इस सबसे बड़े सालाना धार्मिक आयोजन में एक महीने तक कई शंकराचार्यों समेत देश भर के साधू-संत यहाँ भक्ति-ज्ञान और आध्यात्म की गंगा बहाएंगे तो साथ ही छह प्रमुख स्नान पर्वों पर पांच करोड़ से ज़्यादा श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए आएंगे. हालांकि योगीराज में हो रहे इस पहले माघ मेले में भी गंगा की धारा अविरल व निर्मल न होने से साधु संतों के साथ ही आम श्रद्धालुओं में खासी नाराज़गी है.
मेले के लिए संगम की रेती पर अलग से तम्बुओं का शहर बसाया गया है, साथ ही इस बार सुरक्षा के बेहद ख़ास इंतज़ाम भी किये गए हैं.
लों, स्नान घाटों और इंट्री प्वाइंट समेत सभी प्रमुख जगहों की सुरक्षा इस बार भी ATS के कमांडोज़ के ज़िम्मे हैं तो वहीं पहली बार हवाई निगरानी के लिए ड्रोन कैमरे का भी इस्तेमाल किया जाएगा.
इलाहाबाद में संगम तट पर लगने वाले दुनिया के सबसे बड़े सालाना धार्मिक मेले माघ मेले की शुरुआत आज पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के साथ हो गई है. इस मौके पर संगम में आस्था की डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा हुआ है.
दूसरे शहरों की तरह यहां सभी सरकारी विभागों के दफ्तर खोले गए हैं. मेले में डेढ़ दर्जन पुलिस स्टेशन और तीन दर्जन के करीब पुलिस चौकियां बनाई गई हैं.
मान्यताओं के मुताबिक़, संगम पर कल्पवास करने वालों को न सिर्फ अपार पुण्य हासिल होता है, बल्कि उन्हें जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष प्राप्त होता है.
पौष पूर्णिमा के साथ ही संगम पर लगने वाला एक महीने का कल्पवास भी आज से ही शुरू हो गया है. पांच लाख से ज्यादा श्रद्धालु आज से एक महीने तक मेले में गंगा किनारे संयमित जीवन बिताकर पूजा-आराधना करेंगे.
मान्यताओं के मुताबिक़, प्रयाग के माघ मेले में पौष पूर्णिमा पर गंगा स्नान के लिए सभी तैंतीस करोड़ देवी-देवता भी अदृश्य रूप में यहाँ पर आते हैं, इसीलिये देश के कोने - कोने से लाखों श्रद्धालु गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती की पावन धारा में डुबकी लगाकर दान - उपासना दूसरे संस्कारों के जरिये पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं.
कड़ाके की सर्दी के बाद भी इलाहाबद के संगम तट पर उमड़ पड़ा है श्रद्धालुओं का सैलाब. प्रशासन के मुताबिक, माघ मेले के पहले स्नान पर्व पौष पूर्णिमा पर आज शाम तक तकरीबन बीस लाख श्रद्धालु त्रिवेणी की धारा में आस्था की डुबकी लगाएंगे.
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