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देश के बड़े अखबारों ने GST LAUNCH को अपने फ्रंट पेज पर कुछ इस तरह दी है जगह
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
आधी रात से देश में एक टैक्स वाली व्यवस्था GST लागू हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बटन दबाकर की देश में एक टैक्स वाली व्यवस्था की शुरुआत की. पीएम ने इस मौके पर कहा कि ये गुड इसलिए है क्योंकि इसके बहुत फायदे हैं और सिंपल इसलिए है क्योंकि ये बहुत सरल है. अब आपको बताते हैं कि GST लॉन्च को देश के प्रमुख अखबारों ने अपने फ्रंट पेज पर कैसे पेश किया है. आगे देखिए
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
'द इंडियन एक्सप्रेस' ने इसे कुछ इस तरीके से पेश किया है.
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
अंग्रेजी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' आप तैयार हैं या नहीं, लेकिन जीएसटी आ गया है.
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
'द टेलीग्राफ' ने इसे 'ट्रिस्ट विद सरदार एंड गीता' हेडलाइन से पेश किया है.
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
हिंदुस्तान ने लिखा है कि आज से जीएसटी युग की शुरूआत हो रही है. शुक्रवार रात को उस समय शायद नींद के आगोश में रहे होंगे जब देश ने एक बड़े आर्थिक बदलाव की ओर कदम बढ़ाया। संसद के केंद्रीय कक्ष में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और तमाम गणमान्य लोगों की मौजूदगी में शुक्रवार आधी रात को घंटा बजते ही जीएसटी युग का आगाज हो गया। संसद में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच नई कर प्रणाली को मंजूरी का यह नजारा कुछ 70 साल पहले आजादी के वक्त जैसा था.'
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हिंदुस्तान टाइम्स ने लिखा- संसद में देर रात तक हलचल रही लेकिन सरकार की नीतियों के लिए नहीं....
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
दैनिक जागरण ने इसे बहुत ही क्रिएटीव तरीके से 'करामात' बताया है. उनके लिखने के तरीके का मतलब ये है कि जीएसटी कर को मात देने वाला है. आगे जागरण ने लिखा है कि 70 साल बाद 14 टैक्स खत्म और अब एक कर लगेगा.
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
दैनिक भास्कर ने अपने पेज पर इसे 'कर क्रांति' बताया है. भास्कर ने आगे लिखा है, 'शीर्षक पढ़कर चौंकिए क्योंकि ये हेडलाइन उत्सव का प्रतीक भी है और इंतजार का सूचक भी. 17 तरह के टैक्स और 23 तरह के सेस को मिलाकर एक जीएसटी निश्चित तौर पर आजादी के बाद की सबसे बड़ी कर (टैक्स) क्रांति है. दूसरी ओर सरकार जीएसटी के जरिये बड़े आर्थिक बदलाव का दावा भी कर रही है. देश ऐसे बदलाव की अपेक्षा भी कर रहा है. इसलिए सरकार, अब करिए क्रांति... देश बेसब्री से इस बदलाव का इंतजार करेगा...
Published at : 01 Jul 2017 08:50 AM (IST)
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रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार
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