राजस्थान: ये हैं अशोक गहलोत कैबिनेट के नए मंत्री, जानें इनके बारे में
सत्ता में वापसी के बाद सीएम अशोक गहलोत ने आज मंत्रिमंडल का गठन किया. सुबह लगभग साढ़े ग्यारह बजे राजभवन में राज्यपाल कल्याण सिंह ने 23 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई. राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट समेत कुल 25 सदस्यों की मंत्री परिषद होगी. यहां जानें सभी मंत्रियों के बारे में.
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View In Appसुभाष गर्ग- भरतपुर सीट से जीते सुभाष गर्ग आरएलडी के टिकट पर चुनाव जीते हैं. ये सीट इस बार कांग्रेस ने समझोते में आरएलडी को दी थी. सुभाष गर्ग का मंत्री बनना भी तय था क्योंकि कांग्रेस को इस बार 199 में से 99 सीटों पर ही जीत मिली है और बहुमत का आंकड़ा एक सौ का है. सुभाष गर्ग को राज्य मंत्री का पद दिया गया है.
भंवर सिंह भाटी- बीकानेर जिले की कोलयत सीट से बीजेपी के क़द्दावर नेता देवी सिंह भाटी के दबदबे को ख़त्म करने का इनाम मिला भंवर सिंह भाटी को मंत्री बनाए जाने के साथ मिला है. मोदी लहर के दौरान साल 2013 में देवी सिंह को पराजित करने वाले भंवर सिंह ने इस बार देवी सिंह की बहू पूनम कंवर को दस हज़ार से ज़्यादा वोटों से हराकर सालों पुरानी बादशाहत को उखाड़ फेंका है. बीकानेर के राजपूत वोटरों को भी इन्हें मंत्री बनाके साधने की कांग्रेस पार्टी कोशिश कर रही है.
राजेंद्र सिंह यादव- साल 2013 के चुनाव में मोदी लहर के बावजूद जीते राजेंद्र सिंह यादव दूसरी बार विधायक बने हैं. सचिन पायलट गुट के राजेंद्र सिंह को उप मुख्यमंत्री के कोटे से राज्य मंत्री का पद मिला है. अगले लोकसभा चुनाव में जयपुर ग्रामीण सीट के यादव वोट बैंक को कांग्रेस के पक्ष में करने की भी जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर होगी.
भजन लाल जाटव- भरतपुर की वैर सीट से दूसरी बार जीते भजन लाल जाटव को पिछले चुनाव में टिकट नहीं मिला था. इस बार बीजेपी के राम स्वरूप को दस हज़ार से ज़्यादा वोटों से हराकर आए भजन लाल जाटव को सचिन पायलट के नज़दीकी होने का फायदा मिला है. ये राज्य मंत्री बनाए गए हैं.
टीका राम जूली- अलवर ग्रामीण सीट से दूसरी बार जीते टीका राम जूली को कांग्रेस के नेता भंवर जितेंद्र सिंह का बेहद करीबी माना जाता है. भंवर जितेंद्र पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं और राहुल गांधी की कोर टीम के अहम सदस्य भी हैं. वैसे टीका राम को गहलोत के नज़दीकी होने और और भंवर जितेंद्र सिंह की सिफ़ारिश दोनों का लाभ मिला है.
अशोक चांदना- बूंदी जिले की तीन सीटों में से इस बार दो सीटें बीजेपी के कब्जे में है, लेकिन हिंडोली सीट से लगातार दूसरी बार अशोक चांदना ने ये सीट कांग्रेस के लिए जीती है. कांग्रेस के जूझारू नेता अशोक चांदना को सीएम अशोक गहलोत का करीबी माना जाता है.
सुख राम विश्नोई- जालोर की सांचोर सीट से विधायक चुने गए सुखराम इससे पहले भी विधायक रहे हैं. मंत्री मंडल में जालोर की पांच सीटों में से एक मात्र सीट कांग्रेस की झोली में डालने का इनाम सुख राम को मिला है. जिले की चार अन्य सीट बीजेपी ने जीती है. विश्नोई समाज का एक मात्र चेहरा जो सरकार में शामिल हुआ वो सुख राम ही हैं.
अर्जुन सिंह बामनिया -बांसवाड़ा सीट से दूसरी बार विधायक बने अर्जुन सिंह को आदिवासी क्षेत्र से इस बार बड़े नेता के रूप में लाया गया है. अर्जुन सिंह को अपने ही इलाक़े के बड़े नेता महेंद्र जीत मालवीय पर तरजीह मिली है. अर्जुन सिंह की बेदाग़ और सरल छवि इस बार महेंद्र जीत मालवीय पर भारी पड़ी और उन्हें राज्य मंत्री का पद दिया गया है.
ममता भूपेश- गहलोत कैबिनेट की एक मात्र महिला मंत्री ममता भूपेश दौसा की सिकराय सीट से विधायक चुनी गई हैं. इससे पहले कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार में संसदीय सचिव रहीं ममता भूपेश दलित वर्ग से आती हैं और उन्हें सचिन पायलट खेमे का माना जाता है. उन्हें मंत्री मंडल में राज्य मंत्री का पद मिला है.
गोविंद सिंह डोटासरा- सीकर की लक्ष्मणगढ़ सीट से एक बार फिर जीत कर आए गोविंद सिंह ने पिछली विधानसभा में कांग्रेस के चंद विधायक होने के बावजूद बहुमत वाली वसुंधरा सरकार के ख़िलाफ़ ज़बर्दस्त आवाज़ उठाई थी. एक कुशल वक़्ता के तौर पर उभरे गोविंद सिंह की छवि एक कुशल नेता की है और उन्होंने अपने दम पर मंत्री पद हासिल किया है.
सालेह मुहम्मद- जैसलमेर जिले की पोखरन सीट से बीजेपी के धर्म गुरु प्रताप पुरी को हराकर विधानसभा पहुंचे सालेह मुहम्मद दूसरी बार विधायक बने हैं. इन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है.
प्रताप सिंह खाचरियावास- जयपुर की सिविल लाइंस विधानसभा सीट से बीजेपी सरकार के मंत्री अरुण चतुर्वेदी को हराकर विधायक चुने गए हैं. जयपुर के कांग्रेस ज़िला अध्यक्ष प्रताप सिंह कांग्रेस के प्रवक्ता भी हैं. प्रताप सिंह सचिन पायलट के खासमख़ास हैं और पहली बार कैबिनेट मंत्री बने हैं.
रमेश चंद मीणा- करौली जिले की सपोटरा सीट से क़द्दावर मीणा नेता किरोड़ी लाल मीणा की पत्नी और पूर्व मंत्री गोलमा देवी को हराकर इस बार विधायक बने रमेश मीणा का क़द पार्टी में लगातार बढ़ रहा है. पिछली विधानसभा में भी रमेश मीणा ने कई बार सदन में बीजेपी की वसुंधरा सरकार को घेरा था और एक अच्छे वक़्ता की छवि बनाई थी.
विश्वेंद्र सिंह- भरतपुर राजघराने से संबंध रखने वाले विश्वेंद्र सिंह को क़द्दावर जाट नेता माना जाता है. अपने तीखे बयानों से हमेशा चर्चा में रहने वाले विश्वेंद्र सिंह कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं. भरतपुर और धोलपुर के जाटों को आरक्षण देने के मुद्दे पर हमेशा आंदोलन को तैयार विश्वेंद्र सिंह ने विधानसभा चुनाव से ऐन पहले भी इस मुद्दे को उठा कर वसुंधरा राजे की मुश्किलें बढ़ा दी थी.
प्रमोद जैन भाया- पूर्व की कांग्रेस सरकार में भी मंत्री रहे भाया इस बार बाराँ जिले की अंता सीट से वसुंधरा सरकार के कृषि मंत्री प्रभु लाल सेनी को पटखनी देकर चुनाव जीते हैं. सचिन पायलट के नज़दीकी प्रमोद जैन एक बार फिर कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं.
रघु शर्मा- इस साल फ़रवरी में लोकसभा के अजमेर सीट से हुए उप चुनाव में शानदार जीत हासिल करने वाले रघु शर्मा इस बार अजमेर जिले की केकड़ी सीट से विधायक चुने गए हैं. कांग्रेस का ब्राह्मण चेहरा और विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट की कोर टीम का हिस्सा रहे रघु शर्मा कभी गहलोत के क़रीबी माने जाते थे अब सचिन के नज़दीकी हैं.
लाल चंद कटारिया- कांग्रेस का जाट चेहरा. जयपुर की झोटवाडा सीट से बीजेपी सरकार में मंत्री रहे राज पाल सिंह को हराने वाले लाल चंद कटारिया पूर्व में मनमोहन सिंह सरकार में भी मंत्री रहे चुके हैं. गहलोत के क़रीबी समझे जाते हैं.
परसादी लाल मीणा- दौसा जिले में कद्दावर मीणा नेता किरोड़ी लाल मीणा को टक्कर देने वाले परसादी लाल कांग्रेस के बरसों पुराने मीणा चेहरे हैं. पूर्व की कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे परसादी लाल दौसा लालसोट सीट से विधायक चुने गए हैं. ये एक बार फिर आज रासस्थान के कैबिनेट मंत्री बनें.
हरीश चौधरी- पूर्व में बाड़मेर से सांसद रह चुके हरीश चौधरी को राहुल गांधी के करीबी ग्रुप में गिना जाता है. इस बार बाड़मेर की बायतु सीट से विधायक बने हरीश चौधरी को सचिन पायलट खेमे का प्रमुख रणनीतिकार कहा जाए तो ग़लत नहीं होगा. हरीश चौधरी इस बार कांग्रेस की चुनावी घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष थे.
मास्टर भंवर लाल मेघवाल- कांग्रेस पार्टी के प्रमुख दलित चेहरा हैं. पूर्व की कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे मेघवाल को सचिन पायलट का क़रीबी माना जाता है. चुरु की सुजानगढ़ सीट से विधायक मेघवाल एक बार फिर केबिनेट मंत्री बनाए गए हैं.
शांति धारीवाल- कोटा संभाग के क़द्दावर कांग्रेस नेता हैं. कई बार कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं और आज एक बार फिर मंत्री बने हैं. अपनी खुद की अलग राजनीतिक पहचान है इनकी. इससे पहले भी इन्होंने गहलोत सरकार में हमेशा दमदार विभाग संभाला है.
डाक्टर बुलाकी दास कल्ला - बीकानेर पश्चिम सीट से विधायक हैं. पूर्व में ये कई बार कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके हैं और इस बार भी इन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके कल्ला को गहलोत का नज़दीकी माना जाता है.
उदय लाल आंजना निम्बाहेड़ा राजस्थान के नए कैबिनेट मंत्री बने हैं. इन्होंने चुनाव में बीजेपी के कद्दावर नेता और वसुंधरा सरकार में नगरीय विकास मंत्री रहे श्री चंद कृपलानी को बारह हज़ार वोटों से हराया. उदल लाल को अशोक गहलोत खेमे का नेता माना जाता है.
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