अयोध्या विवाद LIVE: SC में सुनवाई टलने से वीएचपी निराश, कांग्रेस बोली- प्रक्रिया में वक्त लगता है
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Ram mandir-Babri masjid Case Live: सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ आज से अयोध्या मामले की सुनवाई करेगी. इससे पहले तीन जजों की पीठ इस मामले को देख रही थी. कानूनी जानकारों के मुताबिक नए बेंच का गठन दिखाता है कि कोर्ट मामले को साधारण भूमि विवाद की तरह नहीं देख रहा है और वो इससे जुड़े संवैधानिक पहलुओं की समीक्षा भी करना चाहता है.
जानकारों के मुताबिक मामले को साधारण भूमि विवाद की जगह राष्ट्रीय महत्व के मसले के तौर पर देखा जाएगा. मुद्दा धर्म से जुड़ा है तो इसकी संवैधानिक पहलुओं की समीक्षा भी हो सकती है. कोर्ट सुनवाई में तय हो जाएगा कि मामले को कब से और किस तरह सुना जाएगा. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई सुबह करीब 10.30 बजे से शुरु होगी.
कानून के जानकारों की राय है कि मामले की सुनवाई तेजी से होगी, 5 जजों की बेंच इसलिए भी बनी है ताकि किसी पक्ष के एतराज की कोई गुंजाइश न बचे. हाईकोर्ट ज़्यादातर सवालों के जवाब दे चुका है,इसलिए, सुनवाई में ज़्यादा समय नहीं लगने की उम्मीद भी जता रहे हैं.
संविधान पीठ में कौन कौन जज शामिल?
5 जजों की नई संविधान पीठ की अध्यक्षता चीफ जस्टिस रंजन गोगोई करेंगे. संविधान पीठ में अन्य जजों में जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ शामिल हैं. जजों की वरिष्ठता और उम्र के हिसाब से पीठ में शामिल चारों जज भी भविष्य में चीफ जस्टिस बनने की कतार में है.
अगर बेंच सभी पक्षों के जिरह की समय सीमा तय कर देती है साथ ही सुनवाई पूरी करने का समय भी तय कर दिया जाता है तो फैसला 3 से 4 महीनों में आ सकता है. कानून के जानकारों के मुताबिक चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को 17 नवंबर को रिटायर होना है, ऐसे में उससे पहले ही अयोध्या मामले का फैसला आ सकता है.
आज क्या हो सकता है?
मुस्लिम पक्ष के वकील एजाज़ मकबूल ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि मामले से जुड़े दस्तावेजों के अनुवाद का काम पूरा हो चुका है. सभी दस्तावेजों और हाईकोर्ट रिकॉर्ड की 5 जजों के हिसाब से कॉपी तैयार कर ली गई है. ऐसे में अगर बेंच चाहे तो तुरंत सुनवाई शुरू कर सकती है. आज कोर्ट सबसे पहले मामले से जुड़े सवालों को तय करेगा. उन्हीं सवालों पर दलीलें रखी जाएंगी और फैसला आएगा.
संतों की राय- अब इंतजार खत्म होना चाहिए
अयोध्या केस की सुनवाई पर संत समाज की टकटकी भी लगी है. राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास महाराज ने कहा है कि वही होगा जो भगवान को प्रिय होगा, अब इंतजार खत्म होना चाहिए. अयोध्या के वल्लभकुंज के महंत राजकुमार दास भी पांच जजों की पीठ से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि अब जल्द भगवान को इंसाफ मिलेगा.
मुस्लिम जज की मांग भी उठी, विरोध भी हुआ
अयोध्या मामले के मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब ने कहा है कि विवादित जमीन केस की सुनवाई करने वाले 5 जजों की बेंच में एक मुस्लिम जज भी होना चाहिए था. हाजी महबूब की मांग को मुस्लिम पक्षकार के वकील और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी (बीएमएसी) के संयोजक जफरयाब जिलानी ने गलत बताया है. उन्होंने कहा कि हम वकीलों के लिए यह मायने नहीं रखता है कि बेंच (पीठ) में किस धर्म को मानने वाले लोग हैं. बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने पांच जजों की बेंच बनाए जाने का स्वागत किया है.
अयोध्या में जमीन विवाद को समझिए
अयोध्या में जमीन विवाद बरसों से चला आ रहा है, अयोध्या विवाद हिंदू मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव का बड़ा मुद्दा रहा है. अयोध्या की विवादित जमीन पर राम मंदिर होने की मान्यता है. मान्यता है कि विवादित जमीन पर ही भगवान राम का जन्म हुआ. हिंदुओं का दावा है कि राम मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई.
दावा है कि 1530 में बाबर के सेनापति मीर बाकी ने मंदिर गिराकर मस्जिद बनवाई थी. 90 के दशक में राम मंदिर के मुद्दे पर देश का राजनीतिक माहौल गर्मा गया था. अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों ने विवादित ढांचा गिरा दिया था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन हिस्सों में 2.77 एकड़ जमीन बांटी थी. राम मूर्ति वाला पहला हिस्सा राम लला विराजमान को मिला, राम चबूतरा और सीता रसोई वाला दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को मिला. जमीन का तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का फैसला सुनाया गया. सुप्रीम कोर्ट ने जमीन बांटने के फैसले पर रोक लगाई थी. अयोध्या में विवादित जमीन पर अभी राम लला की मूर्ति विराजमान है.