Ayodhya Verdict: नाखुश मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा- फैसले का सम्मान, लेकिन चुनौती के बारे में सोचेंगे
मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा, ''हमारी जमीन रामलला को दे दी गई, हमसे इससे सहमत नहीं हैं. हमारी शरीयत के मुताबिक हम अपनी मस्जिद किसी को नहीं दे सकते.
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नई दिल्ली: अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अपने फैसले में विवादित पूरी 2.77 एकड़ जमीन रामलला को दे दी है. कोर्ट ने इस मामले में निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ की वैकल्पिक जमीन दी जाए. अब मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर नाराजगी जाहिर की है. जिलानी ने कहा कि सभी लोग फैसले का सम्मान करें, लेकिन फैसला संतोषजनक नहीं है, उस पर कहीं भी किसी प्रकार का कोई प्रदर्शन नहीं होना चाहिए.
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जफरयाब जिलानी ने कहा, ''हमारी जमीन रामलला को दे दी गई, हमसे इससे सहमत नहीं हैं. हम अपने साथी वकीलों के साथ चर्चा करके तय करेंगे कि रिव्यू पिटीशन दायर करनी है या नहीं.'' उन्होंने कहा कि ''मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड चर्चा करके फैसला करेगा. हम फैसले खुश नहीं हैं, चुनौती के बारे में सोचेंगे.''
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से वकील जफरयाब जिलानी ने कहा है कि ''हम देश की आवाम से अपील करते हैं कि किसी की ओर से कोई विरोध प्रदर्शन नहीं होना चाहिए. ये किसी की हार या जीत नहीं है. हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हैं. हम वकील राजीव धवन से बात करके आगे का फैसला लेंगे. हम चुनौती के बारे में सोचेंगे.''
जिलानी ने कहा, ''सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1857 से पहले नमाज का कोई सबूत नहीं है, लेकिन जो सबूत कोर्ट में इस्तेमाल किए हैं वो वहां मस्जिद मौजूद होने का प्रमाण पेश करते हैं. फिर भी अंदर की जमीन सूट 5 को दे दी गई. हमारी शरीयत के मुताबिक हम अपनी मस्जिद किसी को नहीं दे सकते.''
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