Ayodhya Verdict: खाली जमीन पर नहीं बनी थी बाबरी मस्जिद, लेकिन मंदिर था यह बात साबित नहीं की जा सकी- SC
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ''विवादित ढांचे में पुरानी संरचना की चीज़ें इस्तेमाल हुईं. कसौटी का पत्थर, खंभा आदि देखा गया. ASI यह नहीं बता पाए कि मंदिर तोड़कर विवादित ढांचा बना था या नहीं.''
नई दिल्ली: अयोध्या मामले को लेकर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट में फैसला पढ़ रहे हैं. फैसले में कहा गया है कि विवादित जगह पर मंदिर था यह बात साबित नहीं की जा सकी है. मस्जिद को लेकर कोर्ट ने कहा है कि विवादित ढांचे में पुरानी संरचना की चीज इस्तेमाल हुई. विवादित ढांचे में पुराने पत्थर और खंभे का इस्तेमाल हुआ, बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी. कोर्ट ने कहा है कि खुदाई के सबूतों की अनदेखी नहीं कर सकते.
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि ''विवादित ढांचे में पुरानी संरचना की चीज़ें इस्तेमाल हुईं. कसौटी का पत्थर, खंभा आदि देखा गया. ASI यह नहीं बता पाए कि मंदिर तोड़कर विवादित ढांचा बना था या नहीं. 12वीं सदी से 16वीं सदी पर वहां क्या हो रहा था, ये साबित नहीं हुआ है.''
मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चबूतरा,भंडार, सीता रसोई से भी दावे की पुष्टि होती है लेकिन टाइटल सिर्फ आस्था से साबित नहीं होता. सिर्फ विवादित ढांचे के नीचे एक पुरानी रचना से हिंदू दावा माना नहीं जा सकता.
कोर्ट ने कहा, ''हिन्दू अयोध्या को राम भगवान का जन्मस्थान मानते हैं. मुख्य गुंबद को ही जन्म की सही जगह मानते हैं. अयोध्या में राम का जन्म होने के दावे का किसी ने विरोध नहीं किया.'' कोर्ट ने यह भी कहा कि ''नमाज पढ़ने की जगह को मस्ज़िद मानने के हक को हम मना नहीं कर सकते. 1991 का प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट धर्मस्थानों को बचाने की बात कहता है. एक्ट भारत की धर्मनिरपेक्षता की मिसाल है.''
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