Emotional Pictures: मजबूर हैं देश के मजदूर, घर जाने के लिए सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने को बेबस
मजदूर अपनी पत्नी और 4 बच्चों के साथ भोजन की तलाश में पैदल चलकर अपने घर जाने को मजबूर हैं.
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View In Appउत्तर प्रदेश में कल कुछ युवा वाराणसी से समस्तीपुर तक पैदल जा रहे थे, इसके लिए वो रेलवे ट्रैक के साथ चल रहे थे।
मजदूरों का कहना था कि हमारे बच्चों सहित पूरे परिवार ने पिछले 48 घंटों से कुछ नहीं खाया.
सैंकड़ों श्रमिक जो कि ईंट भट्टी में काम कर रहे थे, वो सभी ऐसी ही हालत में हैं.
एक युवा ने पुलिस को बताया, झांसी से हमने ट्रक में लिफ्ट ली और वाराणसी तक पहुंचे लेकिन इसके बाद हमें कोई साधन नहीं मिला. ऐसे में पैदल चलने के सिवाय हमारे पास कोई विकल्प नहीं था.
एक अन्य मजदूर ने कहा- बाहर जाते हैं तो पुलिस मारती है. रोजगार छिन गया है.
लखनऊ में पुलिस ने इंसानियत दिखाते हुए निशातगंज पुल के नीचे रह रहे बेघरों को खाने के पैकेट बांटे.
लॉकडाउन के चलते सरकार ने सभी को घरों में रहने की सलाह दी है. साथ ही सरकार जनता को किसी भी तरह की समस्या न हो और कोई भी व्यक्ति भूखा न सोए, इसके लिए जरूरी कदम उठा रही है.
दिल्ली में कल स्थानीय लोगों ने मजदूरों को खाना बांटा
लॉकडाउन के दौरान चेन्नई में स्थानीय लोगों ने जरूरत मंदों को भोजन और फल बांटे.
एक मजदूर ने कहा- खाने को किसी ने दिया तो दिया नहीं तो पानी पीकर सो जाते हैं.
एक लड़के ने कहा कि हम रेलवे ट्रेक के बगल से इसलिए चल रहे थे, ताकि हम रास्ता न भटकें.
कल पुलिस ने कुछ मजदूरों को खाना दिया और कुछ पैसे भी दिए.
मजदूरों को ऐसा कदम लॉकडाउन के कारण उठाना पड़ा क्योंकि उनके पास घर जाने के लिए कोई परिवहन सुविधा नहीं है.
देशभर में जारी लॉक डाउन के बीच आगरा-कानपुर नेशनल हाईवे पर लोग सामान और बच्चों को उठाए अपने गांव जाते हुए.
देश में जानलेवा कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए लागू लॉक डाउन की वजह से बहुत से लोगों के काम करने, खाने-पीने और रहने की समस्या पैदा हो गई है. राजधानी दिल्ली और उसके आस पास के इलाकों में दूर-दूर से काम करने आए मजदूर अब पैदल ही अपने घर लौट रहे हैं. क्योंकि न तो बस चल रही हैं और न ही रेल. इन लोगों का कहना है कि अगर हम अपने घर से मीलों दूर यहां रहे तो हम कोरोना वायरस से पहले भूख से मर जाएंगे. देखें भावुक कर देनी वाली ये तस्वीरें.
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