Farmers Protest Live Updates: किसान और सरकार की एक और मीटिंग बेनतीजा, बैठक की अगली तारीख तय नहीं

Farmers Protest Live Updates: सरकार और किसानों के बीच आज 11वें दौर की बैठक जारी है. किसानों की ओर से 58 दिनों के लगातार आंदोलन किया जा रहा है. उधर, किसानों ने सरकार पर दबाव बढ़ाते हुए 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड निकालने की धमकी दी है.

एबीपी न्यूज़ Last Updated: 22 Jan 2021 07:55 PM
किसान यूनियनों के साथ 11वें दौर की बातचीत के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "भारत सरकार पीएम मोदी जी के नेतृत्व में किसानों और गरीबों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है और रहेगी. विशेष रूप से पंजाब के किसान और कुछ राज्यों के किसान कृषि क़ानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. इस आंदोलन के दौरान लगातार ये कोशिश हुई कि जनता के बीच और किसानों के बीच गलतफहमियां फैलें. इसका फायदा उठाकर कुछ लोग जो हर अच्छे काम का विरोध करने के आदि हो चुके हैं, वे किसानों के कंधे का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए कर सकें."

एक किसान नेता ने कहा, "सरकार द्वारा जो प्रस्ताव दिया गया था वो हमने स्वीकार नहीं किया. कृषि क़ानूनों को वापस लेने की बात को सरकार ने स्वीकार नहीं की. अगली बैठक के लिए अभी कोई तारीख तय नहीं हुई है."

बैठक के बाद एक किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, "सरकार की तरफ से कहा गया कि 1.5 साल की जगह 2 साल तक कृषि क़ानूनों को स्थगित करके चर्चा की जा सकती है. उन्होंने कहा अगर इस प्रस्ताव पर किसान तैयार हैं तो कल फिर से बात की जा सकती है, कोई अन्य प्रस्ताव सरकार ने नहीं दिया."
किसान संगठन और सरकार की एक और मीटिंग बेनतीजा रही. आज साढ़े चार घंटे तक बैठक चली लेकिन दोनों पक्ष 15-20 मिनट के लिए ही आमने सामने हुए. बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने किसानों से कहा कि वो सरकार के प्रस्ताव पर विचार करें. उन्होंने कहा कि 11वें दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं निकल पाया है. कृषि मंत्री ने किसान संगठनों को शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करने के लिए धन्यवाद किया.

किसान नेता शिव कुमार कक्का किसान भवन से बाहर निकल गए हैं. उन्होंने बाहर आकर कहा, "सरकार ने कहा कि आप एक बार फिर विचार कर लिजिए. दोनों तरफ के लोगों की मीटिंग चल रही है. दोनों तरफ से विचार चल रहा है. किसानों को धमकी वाले मुद्दे पर भी बात हुई, पुलिस के द्वारा दिक्कत पैदा की गई. हमने सरकार को अपनी परेशानियों से अवगत करा दिया है. मुझे अपने निजी काम से बाहर जाना था इसलिए मैं बाहर आया हूं, अंदर अभी अलग मीटिंग चल रही है."
केंद्र का ऑफर ठुकराने और सरकारी प्रस्ताव की जानकारी मीडिया को देने पर केंद्र सरकार ने नाराज़गी जाहिर की है. कृषि मंत्री ने मीटिंग में किसानों को कृषि क़ानून पर डेढ़ साल की रोक के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने को कहा. किसान नेताओं ने 15 मिनट बाद फिर केंद्र को कहा वो कृषि क़ानूनों को रद्द करवाना चाहते हैं केवल रोक लगाकर कमेटी बनाना काफ़ी नहीं.
किसान संगठनों और सरकार के बीच आज 11वें दौर की बैठक चल रही है. आज बैठक की शुरुआत में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस बात पर नाराजगी जताई कि सरकार के प्रस्ताव पर किसान संगठनों ने अपने फैसले की जानकारी बैठक से पहले ही मीडिया के साथ साझा कर दी. बैठक में नरेंद्र सिंह तोमर से कहा कि वो अपने फैसले पर पुनर्विचार करें, जिसके बाद सरकार और किसान संगठन ने अलग-अलग बैठक की. फिलहाल लंच ब्रेक चल रहा है.
किसान आंदोलन में अब तक क्या-क्या हुआ
20 सितंबर को कृषि कानून संसद से पास हुआ. 26 नवंबर से दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन शुरू हुआ. 8 दिसंबर किसानों ने भारत बंद किया. 30 दिसंबर को सरकार ने किसानों की दो मांगे मंजूर की. 12 जनवरी को कानून के अमल पर रोक के लिए 4 सदस्यों की कमेटी बनी. 20 जनवरी को सरकार ने स्थायी रूप से कानून स्थगित करने का प्रस्ताव दिया.
दिल्ली के विज्ञान भवन में किसानों और सरकार के बीच 11वें दौर की बातचीत जारी है. इस बीच 26 जनवरी को होने वाले ट्रैक्टर मार्च को लेकर आज किसानों और दिल्ली पुलिस की भी बैठक होने वाली है. ये बैठक भी विज्ञान भवन में ही होगी.
क्या आज की बैठक में कोई समाधान निकलेगा?
किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच विज्ञान भवन में कृषि कानूनों पर बैठक शुरू हुई. बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और सोमप्रकाश मौजूद हैं. सरकार ने पिछली बातचीत में तीनों कृषि कानूनों पर स्टे लगाने का प्रस्ताव दिया था. लेकिन किसान संगठन के नेताओं ने मीटिंग से पहले साफ कर दिया कि वो अपना आंदोलन तब तक खत्म नहीं करेंगे, जब तक सरकार तीनों कानून वापस नहीं ले लेती. बड़ा सवाल ये है कि क्या आज कोई समाधान निकलेगा.

किसान नेता प्रेम सिंह भंगू ने आज की बैठक से पहले एबीपी न्यूज से बातचीत करते हुए साफ किया कि किसानों ने सरकार का प्रस्ताव खारिज कर दिया है. कानून रद्द करने से कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है.

"26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली तो होगी ही"
अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा, 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली को लेकर बातचीत चल रही है. रैली तो होगी ही. सरकार रिंग रोड पर आने से मना कर रही है लेकिन किसान पीछे नहीं हटेगा. हम देखते हैं इसे शांतिपूर्ण तरीके से कहां तक कामयाब किया जा सकता है.

"सरकार का रवैया थोड़ा और सकारात्मक होगा तो बेहतर होगा"
सरकार के साथ 11वें दौर की बैठक से पहले अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा, सरकार का रवैया थोड़ा और सकारात्मक होगा तो बेहतर हो सकता है. सरकार ने जो प्रस्ताव दिया था उसमें पुराने प्रस्ताव से थोड़ा फर्क था इसीलिए वह प्रस्ताव हम आमसभा में ले गए थे. चर्चा के बाद उन लोगों ने उसे मानने से इनकार कर दिया.

किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव श्रवण सिंह पंढेर ने कहा, सभी ने शाम को ये फैसला लिया कि हम सरकार के प्रस्ताव को खारिज करते हैं. हम बैठक में सरकार के प्रस्ताव को ठुकराने पर अपनी दलील के साथ जवाब देंगे. आज की चर्चा हमारी मांगों पर केंद्रित होगी.
आज सरकार और किसानों के बीच 11वें दौर की बातचीत पर सबकी निगाहें टिकी हैं. आखिर कैसे ये 58 दिन लंबा आंदोलन खत्म होगा, क्योंकि किसानों ने दो टूक शब्दों में ऐलान कर दिया है कि वो इस मीटिंग में भी अपनी पुरानी मांग पर कायम है और उस पर कोई बदलाव नहीं करने वाले.
ट्रैक्टर परेड में पंजाब के तीन दोस्तों ने अपनी कार शामिल करने की योजना बनाई
आंदोलनरत किसानों ने दिल्ली में 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालने की योजना बनाई है. लेकिन पंजाब के संगरूर के तीन दोस्तों ने इस अवसर पर ट्रैक्टर की बजाय कार पर किसानों के समर्थन में पोस्टर लगाकर रैली में शामिल होने का निर्णय लिया है. गुरलाल सिंह का कहना है, 'यह कार निश्चित रूप से 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड का हिस्सा होगी.' गुरलाल के अलावा उनके दोस्त अवतार सिंह और सुखजीत सिंह भी दिल्ली की रैली में भाग लेंगे.
किसान आंदोलन से कारोबार को 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान
खुदरा व्यापारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा, दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में किसानों के आंदोलन से व्यापारियों को लगभग 50 हजार करोड़ रुपये के काराबार का नुकसान हुआ है. कैट ने कहा है कि प्रस्तावित संयुक्त समिति में व्यापारियों को भी रखा जाए, क्योंकि नए कृषि कानूनों से व्यापारियों के हित भी जुड़े हैं.
हरियाणा पुलिस ने कर्मियों की छुट्टियां रद्द की
किसानों के आंदोलन और गणतंत्र दिवस ट्रैक्टर रैली निकालने की उनकी योजना के मद्देनजर हरियाणा पुलिस ने अपने कर्मियों की छुट्टियां अगले आदेश तक निरस्त करने का निर्णय लिया है. पुलिस कर्मियों के अवकाश निरस्त करने का आदेश गुरुवार को जारी किया गया. केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों ने 26 जनवरी को दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर रैली निकालने की योजना बनाई है.
ट्रैक्टर परेड को लेकर पुलिस और किसानों के बीच बैठक आज
ट्रैक्टर परेड को लेकर पुलिस और किसानों के बीच हुई गुरुवार को तीसरे राउंड की बैठक भी बेनतीजा रही, दरअसल किसान चाहते हैं कि ट्रैक्टर रैली 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली के अंदर आउटर रिंग रोड पर हो, जबकि पुलिस का कहना है कि आप ट्रैक्टर रैली दिल्ली के अंदर ना करके कहीं बाहर कर ले. पुलिस ने रैली के लिए KMP के रास्ते का सुझाव दिया है लेकिन पुलिस के इस सुझाव को किसान मानने को तैयार नहीं है. किसान अपनी बात पर अड़े हुए हैं, किसान नेता योगेंद्र यादव ने साफ किया कि रैली 26 जनवरी को दिल्ली के अंदर ही होगी.
शाह से मिले कृषि मंत्री
एक दिन पहले केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने गृह मंत्री अमित शाह से गुरुवार की देर रात मुलाकात की. कृषि मंत्री और गृह मंत्री के बीच यह मुलाकात ऐसे वक्त पर हुई है जब गुरुवार को किसान नेताओं ने बैठक के बाद यह ऐलान किया कि सरकार कि तरफ से दिया गया नया प्रस्ताव भी उन्हें मंजूर नहीं है. किसान नेताओं ने तीनों कानूनों की पूर्ण रूप से वापसी की मांग की है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार का प्रस्ताव अस्वीकार किया
गुरुवार को किसान संगठनों ने अपनी आंतरिक बैठक की. बैठक के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान जारी कर केंद्र सरकार का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया है. मोर्चा तीनों कृषि कानून रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग पर कायम है. किसान नेता जोगेंद्र आग्रह ने मीटिंग से बाहर निकल कर कहा कि सरकार के किसी प्रपोजल को नही माना जाएगा. तीनों कानूनों को रद्द करने की बात सरकार के साथ बैठक में कहेंगे.
सरकार के साथ आज 11वें दौर की बातचीत
तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर आंदोलनरत किसानों और सरकार के बीच 11वें दौर की आज बैठक होगी. बैठक दोपहर 12 बजे विज्ञान भवन में होगी.
सरकार और किसान संगठनों के बीच नए कृषि कानूनों पर दसवें दौर की वार्ता में भी बात नहीं बन पाई. अब अगली दौर की वार्ता 22 जनवरी को किसान संगठन और सरकार के बीच होगी.
सरकार और किसान संगठनों के बीच बुधवार को दसवें दौर की वार्ता हो रही है. सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में सरकार की तरफ से प्रस्ताव किसान संगठनों को दिया गया है कि कानून पर एक साल के लिए रोक लगाकर कमेटी बना लें.
सरकार और किसान नेताओं के बीच नए कृषि कानूनों को लेकर दसवें दौर की वार्ता शुरू हो चुकी है. इस बैठक में किसान नेताओं के साथ तीन केन्द्रीय मंत्री हिस्सा ले रहे हैं. अब तक नौ दौर की किसान नेताओं के साथ हुई बैठक बेनतीजा रही थी. ऐसे में दसवें दौर की वार्ता को गतिरोध को खत्म करने की दिशा में अहम माना जा रहा है.
एटॉर्नी जनरल ने कहा कि पांच हज़ार ट्रैक्टर लेकर दिल्ली में घुसने की बात कही जा रही है. इस पर सीजेआई ने कहा कि यह मसला पुलिस देखे। हमें इस पर कुछ नहीं कहना. इसके साथ ही आज की सुनवाई पूरी हो गई.
दवे और भूषण ने कहा है कि उनके मुवक्किल कमिटी की कार्रवाई में हिस्सा नहीं लेना चाहते. इसलिए इस अर्ज़ी पर कुछ नहीं कहना. अभी तो कानून पर रोक है. अगर रोक हट जाए तो आंदोलन कीजिए. भूषण ने कहा कि मैंने उन्हें शांतिपूर्ण आंदोलन के लिए समझाया है. उनका कहना है कि दिल्ली के बाहरी इलाके में सिर्फ गणतंत्र दिवस मनाने के लिए ट्रैक्टर रैली निकालेंगे. शांति भंग नहीं करना चाहते.
कोर्ट अब आदेश लिखवा रहा है, सीजेआई ने कहा कि हमने कृषि क्षेत्र के विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाई थी. इसका उद्देश्य सभी पक्षों की बात सुनना था. उन्हें कोई फैसला लेने की शक्ति नही दी गई थी. कमेटी को हमें रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था. कमिटी के सदस्य भूपिंदर सिंग मान ने इस्तीफा दे दिया है. इससे एक जगह खाली हो गई है. हमारे सामने एक अर्ज़ी आई है कि खाली पद को भरा जाए. हम इस पर नोटिस जारी कर रहे हैं.
कोर्ट ने कमिटी के दोबारा गठन की मांग करने वाली किसान महापंचायत की अर्ज़ी पर सभी पक्षों को नोटिस जारी किया. वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि आप स्पष्ट कर दीजिए कि कमिटी सिर्फ कोर्ट की सहायता के लिए बनी है. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम कितनी बार यह साफ करें? कमिटी को कोई फैसला लेने की शक्ति भी नहीं दी गई है. हरीश साल्वे बोले कि आप यह कह दीजिए कि कोई कमिटी में जाए या नहीं, कमिटी कोर्ट की सहायता करेगी.
सीजेआई ने कहा कि आप क्या कहना चाहते हैं, कोई कुछ राय ही नहीं रख सकता? यह एक चलन हो गया है कि जो लोग पसंद न आएं उन पर कोई ठप्पा लगा दो. कमेटी को कोई फैसला लेने के लिए नहीं कहा गया है. सिर्फ लोगों की बात सुन कर हमें रिपोर्ट देना है. हमने कानून पर रोक लगाई और कमिटी बनाई. जो कमेटी में नहीं जाना चाहते, न जाएं. लोगों को इस तरह से ब्रांड करने की क्या ज़रूरत है. आप लोग अखबारों के हवाला दे रहे हैं. लेकिन कोर्ट लोगों की राय से फैसले नहीं लेता. यहां कहा जा रहा है कि कोर्ट की इन लोगों को रखने में दिलचस्पी थी. यह बहुत आपत्तिजनक है.
चीफ जस्टिस ने कहा, ''जब हमने आदेश के लिए मामला लगाया था तो भूषण और आपको सूचित किया था. लेकिन आप लोग आए ही नहीं.'' इस पर दवे ने कहा कि हमने किसान संगठनों से निर्देश लेने के लिए समय मांगा था. कोर्ट ने आदेश के लिए मामला लगा दिया. सीजेआई ने कहा कि आप लोगों ने ही आग्रह किया था कि आदेश कल दिया जाए. हम आपकी इस दलील को स्वीकार नहीं कर सकते. सीजेआई की इस टिप्पणी पर दुष्यंत दवे ने कहा कि मैं माफी मांगता हूं.
किसान महापंचायत के वकील अजय चौधरी ने कहा कि हमारी संस्था भारतीय किसान पार्टी की अर्ज़ी को कोर्ट स्वीकार कर चुका है. हमारी संस्था राजस्थान की है. दुष्यंत दवे ने कहा कि इन्हें भी सुनिए, हमें कोई आपत्ति नहीं.
अब किसान महापंचायत की तरफ से एक वकील बोल रहे हैं. उनकी दलील कमिटी पर है. चीफ जस्टिस ने कहा- क्या आपने भी कमिटी के गठन का ही विरोध किया है? अगर हां तो कमिटी के सदस्यों के नाम पर चर्चा क्यों करना चाहते हैं. किसान संगठन की ओर से पेश दुष्यंत दवे ने कहा कि यह संगठन आंदोलन नहीं कर रहा है. इस पर सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि पहले इनसे पूछा जाए कि यह खुद किस संगठन के लिए आए हैं, कोई स्पष्टता ही नहीं है.
दवे के साथ ही पेश हुए प्रशांत भूषण 8 संगठनों के नाम पढ़ रहे हैं. यह वही संगठन हैं जिन्हें पहले मामले में पक्ष बनाया गया था.
26 जनवरी को दिल्ली में किसानों के ट्रैक्टर मार्च को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और दिल्ली पुलिस से इस पर फैसला लेने को कहा था. आज सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े ने कहा कि हम मामला लंबित नहीं रखेंगे। पुलिस तय करे, उसे अधिकार है.
आज किसान आंदोलन पर आरएसएस की ओर से एक बड़ा बयान आया है. आरएसएस में नंबर दो की हैसियत रखने वाले सुरेश जोशी भैयाजी ने दोनों पक्षों से समाधान ढूंढने को कहा है. आरएसएस का कहना है कि किसी भी आंदोलन का बहुत लंबे समय तक चलना समाज की सेहत के लिए अच्छा नहीं है.
26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड रोकने की दिल्ली पुलिस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. दिल्ली पुलिस अपने स्तर पर भी किसान नेताओं से बात कर रही है. दिल्ली में विज्ञान भवन एनेक्सी में दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी तीसरी बार संयुक्त किसान मोर्चा के साथ बैठक कर रहे हैं. वो किसान यूनियन को ट्रैक्टर मार्च न करने के लिए मनाने की कोशिशों में जुटे हैं. किसान 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालने पर अड़े हुए हैं.
56 दिन से चल रहे किसान आंदोलन के लिए आज बहुत अहम दिन है. केंद्र सरकार और किसानों के बीच दोपहर दो बजे 10वें दौर की बैठक होनी है. इस बैठक के लिए किसान दिल्ली पहुंच चुके हैं. किसान इस बैठक में शामिल होने के लिए बसों में सवार होकर विज्ञान भवन के लिए रवाना हो चुके हैं.
सिंघु बॉर्डर से किसानों की बस विज्ञान भवन के लिए रवाना हो चुकी है और डेढ़ घंटे बाद किसानों और सरकार के बीच 10वें दौर की वार्ता होगी. वहीं किसान संगठनों के नेता तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 26 जनवरी को प्रस्तावित अपनी ट्रैक्टर रैली के लिए मार्ग और इंतजामों पर चर्चा करने के लिए दिल्ली, हरियाणा और उत्तरप्रदेश पुलिस के शीर्ष अधिकारियों के साथ मुलाकात करने भी जा रहे हैं.
अगर कृषि क़ानूनों को वापस लिया गया तो अगले पचास सालों तक कोई भी सरकार कृषि क़ानूनों को छूने का धैर्य नहीं कर पाएगा और किसान मरता रहेगा। ये बड़ा बयान दिया है सुप्रीम कोर्ट द्वारा कृषि क़ानूनों पर गठित कमिटी के सदस्य अनिल घनवत का। मंगलवार को हुई कमिटी की पहली बैठक में 21 जनवरी से किसानों से बातचीत शुरू करने का फ़ैसला किया गया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमिटी की मंगलवार को पहली बैठक हुई। चार सदस्यीय कमिटी में से एक सदस्य ने अपना नाम वापस ले लिया था, लिहाज़ा बाक़ी बचे तीनों सदस्य बैठक में शरीक हुए। कमिटी के सदस्य और किसान नेता अनिल घनवत ने बैठक के बाद एक बड़ा बयान दिया। घनवत ने कहा कि पिछले 70 सालों से किसानों की हालत में कोई सुधार नहीं आया है ये सभी मानते हैं और इसलिए क़ानून में बदलाव की ज़रूरत है। धनवत ने कहा कि वो भी क़ानूनों को पूरा ठीक नहीं मानते हैं लेकिन किसानों को अपनी शिकायतें कमिटी के सामने रखनी चाहिए। अनिल घनवत ने कहा कि ये तो तय है कि अभी तक किसानों को लेकर जो नीतियां और क़ानून रहे हैं, वो नाकाफ़ी हैं क्योंकि अगर ऐसा होता तो 4.5 लाख किसान आत्महत्या नहीं करते। कुछ बदलाव की ज़रूरत तो है। अगर ये क़ानून वापस होते हैं तो अगले 50 सालों तक कोई भी सरकार या पार्टी ऐसा करने की हिम्मत और धैर्य नहीं दिखा पाएगी और किसान मरता रहेगा।
मंगलवार को किसान नेताओं और पुलिस के अधिकारियों के बीच एक बार फिर मीटिंग हुई मीटिंग का उद्देश्य 26 जनवरी को होने वाली किसान परेड को लेकर था. इससे पहले भी सोमवार को करीब 1 घण्टे मीटिंग चली थी और मीटिंग का दूसरा दिन मंगलवार को तय हुआ था. मंगलवार को मीटिंग में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सीपी रैंक के अधिकारी तो मौजूद ही थे साथ ही साथ उत्तरप्रदेश पुलिस और हरियाणा पुलिस के भी अधिकारी आए हुए थे. काफी देर चली मीटिंग के बाद किसान नेता योगेंद्र यादव ने साफ किया कि किसान परेड तो होनी ही होनी है अब प्रशासन तय करे कि कैसे होगी. योगेंद्र यादव ने बताया. हालांकि किसान नेताओं ने साफ किया कि ये पुलिस अधिकारियों के साथ फाइनल मीटिंग नहीं थी अभी बुधवार को एक मीटिंग और होना बाकी है. उस मीटिंग में तय होगा कि आखिरकार किसान परेड करने की इजाज़त पुलिस से मिलती है या नहीं.

सरकार ने यह दावा किया कि नये कृषि कानून किसानों के हित में हैं और कहा कि जब भी कोई अच्छा कदम उठाया जाता है तो इसमें अड़चनें आती हैं. सरकार ने कहा कि मामले को सुलझाने में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि किसान नेता अपने हिसाब से समाधान चाहते हैं. पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों के किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पिछले कई हफ्ते से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं.
नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों और सरकार के बीच 10वें दौर की वार्ता आज होगी. बैठक दोपहर 2 बजे विज्ञान भवन में शुरु होगी. सरकार और किसान संगठनों के बीच पिछली बैठक बेनतीजा रही थी. केंद्र ने कहा है कि दोनों पक्ष जल्द से जल्द गतिरोध सुलझाना चाहते हैं लेकिन अलग विचारधारा के लोगों की संलिप्तता की वजह से इसमें देरी हो रही है.
दिल्ली पुलिस और किसानों के बीच जारी बैठक खत्म हो गई है. किसान अभी भी ट्रैक्टर रैली को लेकर अड़े हुए हैं.
किसानों को मनाने में जुटी हुई है दिल्ली पुलिस जबकि किसान ट्रैक्टर रैली करने को लेकर मानने के मूड में नहीं हैं.
सरकार के साथ दसवें दौर की वार्ता से पहले पहले संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों में पड़ी फूट, आपस में भिड़े गुरनाम सिंह चढ़ूनी और शिवकुमार कक्का
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से ट्रैक्टर रैली रोकने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि 26 जनवरी की गरिमा को बरकरार रखें, सरकार सभी मुद्दों पर बातचीत को तैयार है.
नए कृषि सुधार कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट की कमेटी की आज पहली बैठक है. भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान पहले ही समिति से अलग हो चुके हैं. किसानों ने भी कमिटी के पास जाने से इनकार कर दिया है.

बैकग्राउंड

नई दिल्लीः दिल्ली की दहलीज पर चल रहे किसान आंदोलन का आज 58वां दिन है. कई दौर की बैठक के बाद भी किसानों और सरकार के बीच बात नहीं बनी. आज एक बार फिर किसान संगठन और सरकार आमने सामने होंगे. केंद्र सरकार और किसानों के बीच आज दोपहर 12 बजे विज्ञान भवन में 11वें दौर की बैठक होनी है. 20 जनवरी को हुई पिछली बैठक में सरकार ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को डेढ़ वर्षों तक के लिए निलंबित रखने और गतिरोध समाप्त करने के लिए किसान संगठनों व सरकार के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त समिति गठित करने प्रस्ताव रखा लेकिन किसान नेताओं ने इसे तत्काल स्वीकार नहीं किया और कहा कि वे आपसी चर्चा के बाद सरकार के समक्ष अपनी राय रखेंगे.


गुरुवार को किसान संगठनों ने अपनी आंतरिक बैठक की. बैठक के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान जारी कर केंद्र सरकार का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया है. मोर्चा तीनों कृषि कानून रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग पर कायम है. किसान नेता जोगेंद्र आग्रह ने मीटिंग से बाहर निकल कर कहा कि सरकार के किसी प्रपोजल को नहीं माना जाएगा. तीनों कानूनों को रद्द करने की बात सरकार के साथ बैठक में कहेंगे.


सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित समिति ने चर्चा शुरु की


तीन कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति ने वार्ता आरंभ कर दी और इस कड़ी में गुरुवार को आठ राज्यों के 10 किसान संगठनों से संवाद कायम किया. समिति की अगली बैठक 27 जनवरी को होगी. शीर्ष अदालत ने 11 जनवरी को तीन कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी और गतिरोध को दूर करने के मकसद से चार-सदस्यीय समिति का गठन किया था. फिलहालइस समिति मे तीन ही सदस्य है क्योंकि भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इस समिति से अलग कर लिया था.


समिति ने एक बयान में कहा कि गुरुवार को विभिन्न किसान संगठनों और संस्थाओं से वीडियो कांफ्रेस के माध्यम से संवाद किया गया. बयान के मुताबिक कर्नाटककेरलमध्य प्रदेशमहाराष्ट्रओडिशातेलंगानातमिलनाडुऔर उत्तर प्रदेश के 10 किसान संगठनों ने समिति के सदस्यों से संवाद किया। बयान में कहा गया कि किसान संगठनों ने खुलकर अपने विचार रखे और कानूनों के क्रियान्वयन में सुधार संबंधी सुझाव भी दिए. समिति के सदस्यों में महाराष्ट्र स्थित शेतकारी संगठन के अनिल घनवटकृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी और प्रमोद कुमार जोशी शामिल हैं.

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