नई दिल्ली: कर्नाटक में अयोग्य ठहराए गए 17 विधायकों को आज सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 17 विधायकों को अयोग्य ठहराने का स्पीकर का फैसला सही है. हालांकि कोर्ट ने इन विधायकों को चुनाव लड़ने की इजाजत दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है इस्तीफा देने के बावजूद 17 विधायकों को सदस्यता के अयोग्य करार देने का स्पीकर को अधिकार था, लेकिन विधानसभा के पूरे कार्यकाल के लिए उन्हें चुनाव लड़ने से मना कर देना गलत था.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि संसदीय लोकतंत्र में नैतिकता सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों पर लागू होती है, लेकिन पार्टियां सुविधा से स्टैंड बदलती हैं. विधायकों के इस्तीफा देने से स्पीकर के अधिकार बाधित नहीं हो जाते, लेकिन स्पीकर को सिर्फ यह देखना होता है कि इस्तीफा स्वेच्छा से दिया गया है या नहीं.
बता दें कि अयोग्य विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट के सामने मांग रखी थी कि चुनाव आयोग को 15 सीटों के लिए विधानसभा उपचुनाव को स्थगित करने का निर्देश दिया जाए. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने विधायकों के चुनाव लड़ने का रास्ता साफ कर दिया है. विधायकों की अयोग्यता के बाद खाली 17 विधानसभा सीटों में से 15 सीटों पर 5 दिसंबर को उपचुनाव होने हैं. उम्मीदवारों को 11 नवंबर से 18 नवंबर के बीच अपना नामांकन पत्र दाखिल करना है.
सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला अहम क्यों है?
दरअसल अभी कर्नाटक विधानसभा में 207 सीटें हैं. बहुमत के लिए 104 की जरूरत है. बीजेपी के पास 106 सीटें हैं, जबकि कांग्रेस के पास 66 और जेडीएस के पास 34 सीटें हैं. 15 सीटों पर उपचुनाव के नतीजे आने के बाद कुल सीटें 222 हो जाएंगी और बीजेपी को बहुमत के लिए 6 सीटों की जरूरत पड़ेगी. मतलब साफ है कि उपचुनाव में बीजेपी को सत्ता में बने रहने के लिए 6 सीटें हर हाल में जीतनी होगी.
दिलचस्प बात यह है कि जिन 15 सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उन पर कांग्रेस-जेडीएस के विधायक जीते थे. हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि अयोग्य विधायकों को बीजेपी से टिकट मिल सकता है और पार्टी की राह आसान हो सकती है.
कुमारस्वामी ने किया था विधायकों को अयोग्य घोषित
दरअसल तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने जुलाई में विश्वासमत से आगे कांग्रेस-जेडी(एस) गठबंधन के इन 17 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था. कुमारस्वामी ने विश्वास मत खोने के बाद इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद बी एस येदियुरप्पा के नेतृत्व में राज्य में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार का गठन हुआ था.
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