नई दिल्ली: महाराष्ट्र में चुनावी नतीजे आने के 19 दिन बाद से जारी उथल पुथल पर कल राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले ने ब्रेक लगा दिया. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को 12:30 बजे के आसपास एनसीपी का खत मिला. इस खत में एनसीपी ने अपने पास बहुमत के आंकड़ा फिलहाल ना होने की बात कही और तीन अतिरिक्त दिनों का समय मांगा था. इस चिट्ठी के मिलने के बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश गृह मंत्रालय को भेज दी.
राज्यपाल ने रिपोर्ट में कहा था कि सरकार बनाने की सारी कोशिशें की गयीं लेकिन कोई संभावना नहीं दिखी इसलिए राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की जाती है. राज्यपाल की सिफारिश के फौरन बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कैबिनेट की इमरजेंसी बैठक बुलाई. राज्यपाल की सिफारिश पर कैबिनेट ने मुहर लगाई और शाम तक राष्ट्रपति ने भी मंजूरी दे दी. इस तरह महाराष्ट्र में पिछले 72 घंटे से जारी सियासी ड्रामे का पर्दा गिर गया.
कौन हैं भगत सिंह कोश्यारी?
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी अपने बेहद सादे लाइफ स्टाइल के लिए जाने जाते हैं. 77 साल के कोश्यारी उत्तराखंड के बागेश्वर जिले कहने वाले हैं. साल 1997 में अभिवाजित उत्तर प्रदेश में एमएलसी रहे भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के बनने के बाद नित्यानंद स्वामी की सरकार में मंत्री रहे. इसके बाद राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी ने बड़ा फैसला लेते हुए उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया.
कोश्यारी 30 अक्टूबर 2001 से लेकर एक मार्च 2002 तक मुख्यमंत्री रहे. राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद प्रशासनिक काम काज संभालने वाले कोश्यारी ने इसी साल सितंबर में महाराष्ट्र के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाली थी.
उत्तराखंड में कोश्यारी ने सिर्फ सत्ता ही नहीं बल्कि विपक्ष में भी अहम भूमिका निभाई. साल 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा और कोश्यारी को विपक्ष का नेता चुना गया. कोश्यारी ने सरकार के साथ साथ पार्टी को भी मजबूत करने का काम किया. वे साल 2007 से 2009 तक पार्टी प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. साल 2007 में बीजेपी ने राज्यमें वापसी की लेकिन कोश्यारी को सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठाया गया.
साल 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने उतरी बीजेपी ने कोश्यारी को पर्यटन नगरी नैनीताल से मैदान में उतारा. यहां से उन्होंने जीत दर्ज की और इस तरह वे पहली बार लोकसभा पहुंचे. 2019 में बीजेपी ने जब अपने कई दिग्गजों के टिकट काटे तो उनमें भगत सिंह कोश्यारी का भी नाम था. लेकिन आरएसएस से नजदीकी कोश्यारी के काम आयी और सितंबर में सरकार ने उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाकर भेजा.
कोश्यारी ने अंग्रेजी में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है. कोश्यारी अल्मोड़ा में अपने कॉलेज के दिनों से ही छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए थे. साल 1961-62 में कोश्यारी कॉलेज छात्र संघ का चुनाव लड़े और जनरल सेक्रेटरी चुने गए. कोश्यारी को नजदीक से जानने वाले उन्हें 'भगत दा' कहकर संबोधित करते हैं. कोश्यारी देश में आपातकाल के दौरान भी जमकर विरोध किया. उत्तराखंड के दिग्गज बीजेपी नेता अजय भट्ट, रमेश पोखरियाल निंशक (वर्तमान एचआरडी मंत्री), कोश्यारी को अपना राजनीतिक गुरू मानते हैं.