अयोध्या: अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने राम मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों को तराशने का काम बंद कर दिया है. 1990 के बाद से पहली बार पत्थरों को तराशने का काम बंद किया गया है. विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि इस काम में लगे सभी कारीगर अपने घर वापस लौट गए हैं.
उन्होंने कहा कि विहिप के नेताओं ने पत्थरों को तराशने का काम बंद करने का फैसला लिया है. शर्मा ने कहा, "हमने पत्थरों को तराशना रोक दिया है और राम जन्मभूमि न्यास तय करेगा कि तराशने का काम दोबारा कब शुरू किया जाएगा."
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उन्होंने कहा, "अयोध्या पर आने वाले फैसले को ध्यान में रखते हुए हमारे संगठन की विभिन्न गतिविधियों से जुड़े हमारे सभी प्रस्तावित कार्यक्रम भी रद्द कर दिए गए हैं."
शर्मा ने कहा, "चाहे फैसला हिंदुओं के पक्ष में आए या मुसलमानों के पक्ष में, यह समय दोनों समुदायों के बीच सद्भाव और भाईचारे का महान उदाहरण पेश करने का है. हम सभी को इस बात का ध्यान रखना होगा कि कोई भी घटना जो हिंदुओं और मुसलमानों के सौहार्दपूर्ण संबंधों में जहर घोलती है, नहीं होनी चाहिए."
(फाइल फोटो)
1990 से तराशे जा रहे हैं पत्थर
सुप्रीम कोर्ट 17 नवंबर से पहले राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में फैसला सुना सकता है. इसी दिन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई सेवानिवृत हो रहे हैं जिन्होंने इस मामले पर दलीलें सुनने वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ की अध्यक्षता की है.
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विहिप ने राम मंदिर निर्माण कार्यशाला में 1990 में यहां राम मंदिर के निर्माण के लिये पत्थरों को तराशना शुरू किया था. उस समय समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. तब से कारीगर लगातार यह काम कर रहे हैं.
विहिप के अनुसार 1.25 लाख घन फुट पत्थर पहले ही तराशा जा चुका है. संगठन का दावा है कि इतना पत्थर प्रस्तावित मंदिर की पहली मंजिल के निर्माण के लिये पर्याप्त है और शेष ढांचे के लिए 1.75 लाख घन फुट पत्थर अभी भी तराशा जाना है.
विहिप ने की ये अपील
विहिप ने विवादित मुद्दे पर फैसला आने से पहले अपने कार्यकर्ताओं से शांति बरतने और उन्मादी जश्न का माहौल बनाने से बचने की अपील की.
विहिप के केन्द्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने कार्यकर्ताओं को लिखे एक पत्र में कहा है, "यह (फैसला) हिंदू और मुसलमानों का मामला नहीं होना चाहिए. यह सच्चाई को स्वीकार करने के बारे में है. इसलिए, समाज में जश्न का उन्माद पैदा न करें और किसी को ताना न दिया जाए.”
उन्होंने कहा कि मामले में वकीलों की दलीलों और न्यायाधीशों की टिप्पणियों से संकेत मिलता है कि "फैसला सच्चाई के पक्ष में होगा" और समाज फैसले पर खुशी मनाएगा.