नई दिल्ली: कोई भी सफलता आसान नहीं होती है. लेकिन मन में विश्वास और लक्ष्य के प्रति सर्मपण हो तो हर परीक्षा आसान बन जाती है. उड़ीसा की सारिका जैन की जिंदगी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. बचपन में पोलियो हो गया. स्कूल में एडमिशन नहीं मिला, मिला भी तो स्कूल के बच्चों ने चिढ़ाना शुरू कर दिया यहां तक की पत्थर भी मारे. लेकिन सारिका ने हौंसला नहीं खोया. घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद भी सारिका पढ़ाई में जुटी रही,सारिका को मालूम था कि उसके दुखों को दूर करने की एक मात्र चाबी शिक्षा ही है. सारिका यूपीएससी एग्जाम के्रेक किया और आज वो मुंबई में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में डिप्टी कमिश्नर के पद पर कार्यरत हैं.


सारिका की मानें तो हर लड़की को अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ता है. लेकिन इरादें बड़े और उन्हें पूरा करने का जब जुनून हो तो अग्निपरीक्षा भी छोटी लगने लगती है. सारिका जैन यूपीएससी 2013 बैच की आईआरएस हैं. उनकी रैंक 527 थी. दो साल की उम्र में ही सारिका को पोलियो हो गया.


माता पिता कम जागरूक थे. वे भी नहीं समझ पाए,ऐसे में गलत इलाज ने कौमा की स्थिति पैदा कर दी.डेढ़ साल तक कौमा में रहने के बाद चार साल की उम्र में चलना शुरू किया. इस बीमारी के कारण परिवार पर भी संकट आ गया लेकिन माता पिता ने हिम्मत नहीं हारी. उड़ीसा के काटावांझी कस्बे में सारिका का परिवार रहता था.पोलियो के कारण स्कूल में प्रवेश मिलने में भी दिक्कत आई.सारिका बचपन में डाक्टर बनना चाहती थी लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी.


ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी होने के बाद घरवालों को शादी की चिंता सताने लगी. इसके बाद चार साल तक घर पर ही रही. सारिका को कोई रास्ता नहीं दिख रहा था क्योंकि पोलियो ग्रस्त लड़की से शादी कौन करेगा यह सवाल परिवार और खुद के लिए बहुत बड़ा था. इस सब की परवाह किए बगैर सारिका ने सीए की पढ़ाई शुरू की, जिसमें सारिका ने टॉप किया.


सीए बनने के बाद यूपीएससी की तैयार शुरू की. दिल्ली आकर तैयारी शुरू की और वर्ष 2013 में एक साल की कड़ी मेहनत से 527 वीं रैंक हासिल की. इसके बाद लोगों का नजरिया ही बदल गया. सारिका का कहना है कि लड़कियों को कभी अपने आप को कमजोर नहीं समझना चाहिए अपने लक्ष्य पर फोकस करते हुए आगे बढ़ने से सफलता जरूर मिलती है.


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