Property News: पैतृक संपत्ति को अपने नाम कैसे करें? जानिए क्या है प्रक्रिया
पैतृक संपत्ति पर अगर आप अपना दावा करते हैं तो आपको संपत्ति पर अपने अधिकार से जुड़े जायज सबूतों को पेश करना होगा.
Acestral Property: संपत्ति से जुड़ी प्रक्रियाओं को लेकर लोगों में सामान्य जानकारी का अभाव होता है. उन्हें पता नहीं होता कि कैसे संपत्ति को अपने नाम कराएं. पैतृक संपत्ति को अपने नाम कराने के लिए क्या प्रक्रिया है इसकी जानकारी भी होना बेहद जरूरी है. पैतृक संपत्ति हस्तांतरण की प्रक्रिया अलग-अलग चीजों के आधार पर होती है. यह संपत्ति पर दावे,उत्तराधिकारियों की संख्या के साथ-साथ अन्य बातों पर भी निर्भर करती है.अपनी इस स्टोरी में हम पैतृक संपत्ति के हस्तांतरण की सामान्य प्रक्रिया बताएंगे-
देना होगा उत्तराधिकार का सबूत-
पैतृक संपत्ति पर अगर आप अपना दावा करते हैं तो आपको संपत्ति पर अपने अधिकार से जुड़े जायज सबूतों को पेश करना होगा. जिससे आपका उत्तराधिकार का दावा सही साबित हो सके. उस संपत्ति के मालिक ने अगर वसीयत बनाकर उसमें संपत्ति के उत्तराधिकारियों नाम उल्लेख कर दिए हैं तो फिर यह प्रक्रिया ज्यादा जटिल नहीं होती है. हालांकि अगर वसीयत पैतृक संपत्ति संबंधी नियमों के विपरीत बनाई गई है तो उसे न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है.
वसीयत ना होने पर क्या करें-
अगर पैतृक संपत्ति हस्तांतरण के लिए बकायदा वसीयत नहीं बनाई गई है तो संपत्ति हस्तांतरण में थोड़ी दिक्कत आ सकती है. अक्सर ऐसा देखा जाता है कि वसीयत ना होने पर में विवाद की स्थिति बन जाती है. हालांकि अगर संपत्ति के वैध उत्तराधिकारी आपसी तालमेल के साथ उसका बंटवारा कर लें तो यह कोई बड़ी समस्या नहीं है. इसके लिए संपत्ति के मालिकाना हक के कागजात सबूत के तौर पर पेश करके सब रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकरण कराना होगा.
इसके अलावा वसीयत ना होने की स्थिति में एक ऐसा हलफनामा बनाना होगा, जिसमें कानूनी उत्तराधिकारियों का अनापत्ति सर्टिफिकेट(नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) लगाया जाता है. संपत्ति हस्तांतरण में के दौरान अगर धनराशि आदि का लेनदेन हुआ है तो उसकी जानकारी देना भी जरूरी है.
अन्य आवश्यक प्रक्रिया भी करें पूरी-
ऊपर लिखी प्रक्रियाओं के अलावा संपत्ति के पंजीकरण के बाद एक अन्य महत्वपूर्ण प्रक्रिया है दाखिल-खारिज की प्रक्रिया. जब भी किसी अचल संपत्ति का मालिक बदलना है तो इसे राजस्व विभाग के आंकड़ों मे दर्ज कराने के लिए दाखिल-खारिज की प्रक्रिया आवश्यक है. अलग-अलग राज्यों में दाखिल-खारिज में होने वाले सरकारी खर्च अलग-अलग हैं. इसके अलावा संपत्ति पर अगर होम लोन ली गई हो या संपत्ति किसी को लीज पर दी गई हो तो उससे जुड़ी प्रक्रियाओं से भी गुजरना पड़ता है.