Business Cycle Fund: ऐसे म्युचअल फंड जो निवेशकों के पैसों को शेयर बाजार में (Stock Market) में निवेश करते हैं उन्हें हम इक्विटी फंड (Equity Fund) के रूप में जानते हैं लेकिन सभी इक्विटी फंड एक जैसे नहीं होते. ये फंड जिस प्रकार के शेयरों में निवेश करते हैं और इनकी निवेश की जो रणनीति होती है उसके के आधार पर इन्हें अलग-अलग वर्गों में बाटा जा सकता हैं. अर्थव्यवस्था (Economy) में तेजी और मंदी का क्रम चलता रहता है. अर्थव्यवस्था में भी अलग अलग चरण होते हैं और हर चरण में एक अलग बिजनेस साइकिल होती है. 


उद्योग जगत में अलग अलग सेक्टर होते हैं जैसे बैंकिंग, फार्मास्यूटिकल, एफएमसीजी, आईटी, इत्यादि और हर एक सेक्टर में कई कम्पनियां होती हैं. हर बिजनेस साइकिल में निवेश का एक अनोखा अवसर होता है. जिस तरह हर मौसम में हमारे रहन-सहन खान-पान इत्यादि में बदलाव आता है उसी प्रकार अलग-अलग बिजनेस साइकिल में ये सेक्टर एक दूसरे से बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता रखते हैं. बिजनेस साइकिल के अनुरूप यदि सेक्टर का चुनाव करके निवेश के लिए उस सेक्टर से जुड़े शेयरों का पोर्टफोलियो बनाया जाए तो बेहतर मुनाफा मिलने की उम्मीद की जा सकती है.


बिजनेस साइकिल फंड की खासियत
बिजनेस साइकिल फंड एक तरह के थीमैटिक फंड हैं. थीमैटिक फंड का मतलब होता है कि कुछ चुनिंदा सेक्टर का पोर्टफोलियो जो किसी न किसी तरह से एक दुसरे से सम्बंधित हों. उदहारण के तौर पर यदि हम एक इंफ्रास्ट्रक्टर थीम की बात करें तो उसमे पावर, सीमेंट, टेलीकॉम, सर्विसेज जैसे सेक्टर शामिल होंगे वहीं यदि हम कंजम्शन थीम की बात करें तो उसमे एमएमसीजी, सर्विसेज, बैंकिंग, आईटी इत्यादि सेक्टर्स हो सकते हैं. लेकिन बिजनेस साइकिल फंड में ऐसा नहीं है यहां पर बिजनेस साइकिल के मुताबिक सेक्टर में बदलाव किया जा सकता है. यानि कि बिजनेस साइकिल फंड दूसरे थीमेटिक फंड से कई मायनों में अलग होते हैं. सामान्य तौर पर किसी थीमेटिक फंड के पोर्टफोलियो में उस थीम से सम्बंधित लगभग चार से पांच सेक्टर्स हो सकते हैं किन्तु एक बिजेनस साइकिल फंड का निवेश  सभी तरह से सेक्ट्स और सभी तरह के मार्किट कैप वाले स्टॉक्स में हो सकता है. 


आर्थिक जानकार का क्या है कहना
ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के सीईओ पंकज मठपाल ने इस फंड के बारे में और विस्तार से बताया कि जोखिम की दृष्टि से थीमेटिक फंड को सेक्टोरल फंड और डाइवर्सिफाइड फंड के बीच रखा जा सकता है. जहां एक सेक्टोरल फंड एक ही सेक्टर के शेयरों में निवेश करता है वहीं एक डाइवर्सिफाएड फंड में सभी सेक्टर की कंपनियों में निवेश का अवसर होता है. एक बिजनेस साइकिल फंड की तुलना एक डाइवर्सिफाइड फंड से की जाए तो जहां एक ओर एक डाइवर्सिफाइड फंड के पोर्टफोलियो में हर बिजनेस साइकिल में हर प्रकार के सेक्टर शामिल हो सकते हैं वहीं एक बिजनेस साइकिल फंड में सेक्टर्स का रोटेशन होता रहता है. बिजनेस साइकिल के अनुसार जिन सेक्टर से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद की जाती है उन सेक्टर को इस तरह के फंड के पोर्टफोलियो में शामिल किया जाता है. 


बिजनेस साइकिल के मुताबिक सेक्टर का चुनाव अहम
पंकज मठपाल का कहना है कि सामान्यतया चयन की एक विशेष प्रक्रिया के आधार पर पहले बिजनेस साइकिल के अनुरूप सेक्टर का चुनाव किया जाता है और फिर उन सेक्टर के आर्थिक तौर पर मजबूत कम्पनियां चुनी जाती हैं. बिजनेस साइकिल फंड के पोर्टफोलियो में डिफेन्सिव और नॉन-डिफेंसिव सेक्टर हो सकते हैं. डिफेंसिव सेक्टर जैसे कि फार्मास्यूटिकल, एफएमसीजी, आईटी और टेलीकॉम इत्यादि स्थिर होते हैं और ये सेक्टर आर्थिक मंदी के दौर में भी ठीक प्रदर्शन कर सकते हैं किन्तु नॉन-डिफेंसिव सेक्टर जैसे कि फाइनेंशियल, इंफ्रास्ट्रक्चर, ऑटोमोबाइल, सीमेंट इत्यादि आर्थिक तेजी के दौर में बेहतर प्रदर्शन करते हैं.


निवेश का तर्क
शेयर बाजार का प्रदर्शन काफी हद तक  बिजनेस साइकिल पर निर्भर होता है और क्योंकि एक बिजनेस साइकिल फंड में सेक्टर का रोटेशन होता है. इसलिए इस श्रेणी के फंड सभी परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन करने की क्षमता रखते हैं. एक बिजनेस साइकिल में 4 चरण होते हैं एक्सपैंशन यानि विस्तार, पीक यानि तेजी, कॉन्ट्रैक्शन यानि संकुचन और स्लंप यानि मन्दी. अक्सर देखा गया है कि बिजनेस साइकिल के बदलाव पर कुछ शेयरों का प्रदर्शन भी बदल जाता है. ऐसे में यदि निवेश का पोर्टफोलियो बिजनेस साइकिल के अनुरूप हो तो इससे बेहतर रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है.


किसके लिए है उपयुक्त
पंकज मठपाल के मुताबिक ऐसे निवेशक जो शेयर बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव को समझते हैं और उससे संबंधित जोखिम को सहने की सहने की क्षमता रखते हैं वे 5 साल या उससे अधिक अवधि के नजरिये से इस तरह के फंड में निवेश करके अच्छे लाभ की उम्मीद कर सकते हैं. बिजनेस साइकिल फंड में एक मुश्त और एसआईपी के जरिये किस्तों में निवेश किया जा सकता है किन्तु वर्तमान स्थिति में जब बाजार अपने उच्चतम स्तरों के आसपास है तब एसआईपी के जरिये निवेश करना बेहतर साबित हो सकता है. इस कैटेगरी में अब तक कुछ चुनिंदा फंड हैं और आप इनमें से फाइनेंशियल प्लानर की सलाह से या अपनी सहूलियत के मुताबिक फंड्स का चुनाव कर सकते हैं.