Melting Glaciers: जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ता खतरा, धरती की ऊपरी परत हो रहें बड़े बदलाव
जलवायु परिवर्तन का असर धरती की ऊपरी परत (Earth crust) पर भी हो रहा है. बदलते मौसम के कारण दुनियाभर की बर्फ की चादर और ग्लेशियर पिघल रही हैं.
Climate Change: जलवायु परिवर्तन (Climate Change) मानव जाति के सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव हमें ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming), महासागरों के जलस्तर के रूप में दिखाई दे रहा है. इसके साथ ही धरती पर बदलते मौसम के कारण कई बार भारी तबाही का भी सामना करना पड़ रहा है. जलवायु परिवर्तन का असर धरती की ऊपरी परत (Earth crust) पर भी हो रहा है.
बदलते मौसम के कारण दुनियाभर की बर्फ की चादर और ग्लेशियर पिघल रही हैं और इस कारण यह पृथ्वी की ऊपरी सतह को नुकसान पहुंचा रहा है. कई सैटेलाइट (Satellite Pictures) कई अध्ययनों से यह पता चला है कि ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका की बर्फ की चादर के लगातार पिघलने से Ocean में पानी के स्तर में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं. इस कारण धरती के ऊपरी सतह पर पर्पटी विकृत हो गई है. धरती के ऊपरी भाग में असामान्यता नजर आ रही है.
कैम्ब्रिज में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (University of Cambridge) में हुए शोध के मुताबिक ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका के ग्लेशियर पर हुए अध्ययनों से यह पता चला है कि पृथ्वी (Earth) की पर्पटी पर मौसम बदलने के कारण बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं.
एक्सपर्ट्स के अनुसार नॉर्थ पोल (North Pole) पर साल 2003 से लेकर 2018 के बीच ग्रीनलैंड और आर्कटिक ग्लेशियर की पिघलती बर्फ ने धरती के बाहरी भाग पर असर डाला है. यह धरती को धकेलने का काम कर रहा है और अमेरिका और कनाडा में यह 0.3 मिलीमीटर प्रतिवर्ष की दर से खिसक रहा है.
आपको बता दें कि जलवायु परिवर्तन इसकी सबसे बड़ी वजह है. इसके कारण आर्कटिक और अंटार्कटिक दोनों जगह पर बर्फ जल्दी पिघल रही है और यह 31 प्रतिशत ज्यादा बर्फ हर साल पिघल रही है. इसके का असर केवल कुछ शहरों में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में दिखेगा. ऐसी स्थिति में भारत भी इससे अछूता नहीं रहेगा और भारत के 12 शहर ती फुट तक डूब सकते हैं.
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