Daughter Maintenance Matter: सुप्रीम कोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया है कि बेटियां बोझ नहीं हैं (Daughters Are Not A Liability). भरण पोषण की मांग से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान शुक्रवार को जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ ने संविधान (Indian Constitution) के अनुच्छेद 14 (Article 14) का हवाला देते हुए यह बात कही. साथ ही पिता को अपनी बेटी को भरण-पोषण के लिए बकाया राशि देने का भी आदेश दिया.
इस ताजा मामले से स्पष्ट है कि भारत में बेटियों को कई अधिकार (Legal Rights Of Daughters In India) मिले हैं जिससे वे सम्मानजनक जीवन जी सकें.
बेटा और बेटी का संपत्ति में बराबर अधिकार
पूर्व में संपत्ति में बेटियों के अधिकार (Hindu law of succession Law) सीमित थे. वर्ष 2005 में हिन्दू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम (Hindu Succession Amendment Act 2005) के अंतर्गत प्रावधान में संशोधन किए गए और बेटों के साथ-साथ बेटियों को भी संपत्ति में बराबर का अधिकार दिया गया. शादीशुदा बेटियों को भी समान अधिकार मिले हैं.
पुश्तैनी संपत्ति पर बेटी का अधिकार
कानून (Hindu Law) के अनुसार संपत्ति को पुश्तैनी और स्व-अर्जित श्रेणी में बांटा गया है. पुश्तैनी सम्पत्ति (Ancestral Property) वह है जिसका चार पुश्तों से बंटवारा नहीं किया गया. वहीं, स्व-अर्जित संपत्ति (Self-Acquired Property) वह है जिसे पिता ने अपने पैसों से खरीदा या तैयार किया. पुश्तैनी संपत्ति के बंटवारे में बेटा और बेटी का समान अधिकार है. वहीं, स्व-अर्जित संपत्ति किसे और कितनी देनी है, इसका निर्णय लेने के लिए संपत्ति का मालिक स्वतंत्र है. उस संपत्ति पर ना तो बेटे का हक है और ना ही बेटी का, जब तक वह कानूनी रूप से उन्हें सौप न दिया जाए.
अगर बिना जायदाद बनाए हो जाए पिता का निधन
अगर पिता की मौत बिना जायदाद (Property Will) बनाए हो जाती है तो संपत्ति का बंटवारा पत्नी और सभी संतानों में बराबर हिस्सों में होगा.
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