History of Signature: जब भी हमें किसी कानूनी कागजात को वैद्यता देने के लिए हमें साइन करना जरूरी माना जाता है. आपको भी बहुत सी जगहों पर साइन करने की जरूरत पड़ती होगी लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि यह साइन यानी दस्तखत करने का चलन कब शुरू हुआ था. सबसे साइन करने का स्टाइल अलग-अलग होता है. किसी व्यक्ति का साइन सीधा होता है तो कुछ लोग साइन करते वक्त बहुत क्रिएटिविटी दिखाते है. साइन करने के ढंग से हमें उस इंसान के बारे में पता चलता है कि वह कितना क्रिएटिविटी है. इंसानों से साइन तबसे करना शुरू किया है जब कागज और कलम भी नहीं हुआ करते थें.


साइन करना कब शुरू हुआ
कई बार लोग बेहद अलग ढंग से साइन करने है जो बाद में उनकी पहचान बन जाती है. पर क्या आपको पता है साइन करने के इतिहास के बारे में. कुछ एक्सपर्ट्स और इतिहासकारों के मुताबिक साइन करने का चलन पहली बार 3000 ईसा पूर्व में शुरू हुआ था.  मिस्र और सुमेरियन की सभ्यताओं में इसके साक्ष्य मिले हैं. जिस पट्टे पर साइन किया जाता था उसे 'पिक्टोग्राफ' कहते हैं. यह साइन तस्वीर के रूप में होते थें जिसे व्यक्ति की पहचान होती थी. बता दें कि सुमेरियाई मिट्टी की प्लेट पर कई ऐसी तस्वीरें मिली हैं जिसे उस समय के दस्तखत के रूप में देखा जाता है. इन साइन से हमें उस समय के लोगों के बारे में भी बहुत कुछ जानने को मिलता है. बता दें कि ग्रीक और रोमन सभ्यता में भी साइन करने के कुछ साक्ष्य मिले हैं.


इस देश में साइन को लेकर बना पहला कानून
बता दें कि इंग्लैंड दुनिया का पहला देश था जिस में साइन को लेकर सबसे पहले कानून बना था. एक्सपर्ट्स के मुताबिक 1069 के आसपास ही साइन करना का प्रचलन शुरू हुआ था. साल 1677 में  इंग्लैंड की संसद में स्टेट ऑफ फ्रॉड एक्ट पास कर साइन को कानूनी मान्यता दी गई थी. इस देश में बढ़ते फ्रॉड या जालसाजी को रोकने के लिए पास कराया गया था.


ई-साइन को भी मिली कानूनी वैद्यता
जैसे-जैसे इंसानों ने तरक्की की वैसे-वैसे सिग्नेचर करने के ढंग में भी बदलाव देखने को मिला है. अब इसमें भी इलेक्ट्रॉनिक रूप ले लिया है. आज कल के समय में बैंकों में ई-साइन की सुविधा तेजी से बढ़ रही है. बता दें कि दुनिया में सबसे पहले अमेरिका में ई-साइन को साल 2000 में वैद्यता मिली थी. उसके बाद कई अन्य देशों ने भी इसे अपनाया. 


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