Fixed Deposit करवाना चाहते हैं तो इन नियमों के बारे में जान लें, वर्ना हो सकता है नुकसान
एफडी में निवेश लोगों की पहली पसंद है. लेकिन एफडी से जुड़े कुछ नियमों की जानकारी होना जरूरी होता है. नियमों की जानकारी नहीं होने से इससे नुकसान भी हो सकता है.
एफडी में निवेश करना काफी लोगों की पहली पसंद है. इस निवेश पर बाजार के उतार-चढ़ाव का फर्क नहीं पड़ता है. इसके साथ ही यह भरोसेमंद और डिपॉजिट पर ज्यादा रिटर्न देने वाला विकल्प भी है. देश में बैंक, पोस्ट ऑफिस और एनबीएफसी में फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) की सुविधा मिलती है. लेकिन एफडी कराने से पहले या फिर करवाने के बाद भी इससे जुड़े कुछ नियमों की जानकारी होना जरूरी होता है. नियमों की जानकारी नहीं होने से इससे नुकसान भी हो सकता है.
दो तरह की एफडी
एफडी क्युमुलेटिव और नॉन क्युमुलेटिव दो तरह की होती है.क्युमुलेटिव में एफडी के मैच्योर होने पर मूलधन और ब्याज दोनों एक साथ मिल जाएंगे. वहीं, नॉन क्युमुलेटिव में मूलधन तो उतना ही रहेगा लेकिन ब्याज मंथली, त्रिमासिक, छ माह या सालाना आधार पर मिलता रहेगा.
एक बैंक की बजाए अलग अलग बैंक में एफडी करवाएं
आप यदि 3-4 लाख से ज्यादा रुपये निवेश करने की योजना बना रहे हैं तो एक ही बैंक में एफडी करवाने की बजाए आपको अलग अलग बैंकों में एफडी करानी चाहिए. क्योंकि बैंकों के मामले में डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन एक ग्राहक के लिए अधिकतम 1 लाख रुपये की गारंटी देता है. ऐसे में यदि कोई बैंक डूबता है तो आपको नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा.
ऐसी स्थिति में लगती है पेनल्टी
एफडी करवाने से पहले आप भी यह सोच रहे होंगे कि एक बार एफडी कराने के बाद ब्याज मिलता रहता है. लेकिन यह भी जान लें कि किसी कारणवश आप यदि मैच्योर होने से पहले एफडी तुड़वाते हैं तो कई बार जुर्माने के रूप में कुछ पेमेंट भी करना पड़ता है. ऐसे होने पर अक्सर बैंक 0.5 से एक फीसदी तक कम ब्याज देते हैं.
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