महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने के लिए सरकार तरह-तरह के प्रयास कर रही है. एक तरफ जहां विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उन्हें स्वावलंबी बनाया जा रहा है, तो दूसरी तरफ विभिन्न तरह के पुरस्कार प्रदान कर उन्हें सराहनीय कार्यों के प्रेरित और प्रोत्साहित किया जा रहा है.  नारी शक्ति पुरस्कार भी एक ऐसा ही पुरस्कार है. केन्द्रीय महिला-बाल विकास मंत्रालय द्वारा प्रदान किया जाने वाला नारी शक्ति पुरस्कार का आरंभ वर्ष 1999 में किया गया था. यह सम्मान 6 श्रेणियों में दिया जाता है. यह पुरस्कार व्यक्तियों अथवा संस्थानों द्वारा समाज में महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण और सकारात्मक बदलाव की दिशा में किए गए असाधारण योगदान के लिए दिया जाता है.


इस पुरस्कार के लिए वे सभी व्यक्ति और संस्थान आवेदन कर सकते है, जिन्होंने महिलाओं के सशक्तीकरण के क्षेत्र में काम किया है. व्यक्तिगत श्रेणी में आवेदक की उम्र 25 वर्ष निर्धारित की गई है, जबकि आवेदक अगर कोई संस्थान है तो उसके लिए महिलाओं के क्षेत्र में 5 वर्ष के कार्य का अनुभव अनिवार्य है.


यह सम्मान अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को प्रदान किया जाता है. इस पुरस्कार के तहत एक लाख रुपए और एक प्रमाण पत्र दिया जाता है. 2012 में रानी लक्ष्मीबाई स्त्री शक्ति पुरस्कार मृत्यु के बाद दिल्ली में हुए सामूहिक बलात्कार की पीड़िता निर्भया को दिया गया था. इस सम्मान का नाम भारत की प्रख्यात महिलाओं की स्मृति में रखा गया है और निम्न श्रेणियों में दिया जाता है :


देवी अहिल्याबाई होल्कर सम्मान: 18वीं शताब्दी की मालवा शासिका के नाम पर.


कण्णगी सम्मान: प्रसिद्ध तमिल स्त्री, कण्णगी के नाम पर.


माता जीजाबाई सम्मान: वीर शिवाजी की माता, जिन्होंने 17वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य की स्थापना की थी.


रानी गाएदिनलिउ जेलियांग सम्मान: 20वीं शताब्दी की नागा स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर.


रानी लक्ष्मीबाई सम्मान: झांसी की प्रसिद्ध रानी एवं स्वतंत्रता सेनानी रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर.


रानी रुद्रम्मा देवी सम्मान: 13वीं शताब्दी की दक्षिण की शसिका रुद्रम्मा देवी के नाम पर.


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