Kaam Ki Baat: बच्चे को नॉमिनी बनाने पर भी उसे नहीं मिलेगी प्रॉपट्री या बीमा की रकम, जानें नॉमिनी और उत्तराधिकारी का फर्क
Nominee and Legal Heir: प्रॉपर्टी, बैंक खाता, बीमा समेत सभी निवेश और बचत का मालिकाना हक नॉमिनी को नहीं मिलता.
Inheritance Rights in India: अगर पति ने अपनी बीमा पॉलिसी (Insurance Policy) में पत्नी को नॉमिनी बनाया तो जरूरी नहीं पति की मृत्यु के बाद बीमा की रकम पर पत्नी का हक हो. बीमा की रकम पत्नी को तभी मिलेगी जब पति ने अपनी जायदाद में इसका जिक्र किया हो. अगर पति ने अपनी जायदाद में बीमा की रकम का उत्तराधिकारी अपने बच्चे, मां या किसी अन्य को बनाया तो पत्नी को बीमा की वह रकम उस उत्तराधिकारी को सौंपनी होगी.
क्या होता है उत्तराधिकारी (Testamentary Succession):
संपत्ति का कानूनी हकदार पाने वाले को उत्तराधिकारी कहते हैं. एक व्यक्ति स्व-अर्जित संपत्ति किसी के भी नाम करने, उसका उत्तराधिकारी किसी को भी बनाने के लिए स्वतंत्र होता है.
जायदाद नहीं तो संपत्ति का मालिक कौन (Intestate Succession)
अगर किसी व्यक्ति की मौत हो गयी और उसकी कोई जायदाद नहीं तो विभिन्न कानूनों के अनुसार उत्तराधिकारी तय होते हैं और उसी हिसाब से बंटवारा होता है-
- हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 (Hindu Undivided Family) के अनुसार बेटा, बेटी, पत्नी/पति, मां क्लास-1 उत्तराधिकारी होते हैं. वहीं, पिता, बेटे की संतान, बेटी की संतान, भाई, बहन, भाई और बहन की संतान क्लास-2 उत्तराधिकारी की श्रेणी में आते हैं.
- अगर मृतक मुसलमान था तो शरीयत कानून 1937 (Muslim Personal Laws) के अनुसार वारिस तय होगा.
- ईसाइयों में भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1925 (Indian Succession Act) के अनुसार पति, पत्नी, बेटे और बेटियां वारिस माने जाते हैं.
क्या होता है नॉमिनी?
आम भाषा में कहा जाए तो नॉमिनी बस आपके पैसों और संपत्ति का रखवाला (Custodian) होता है. उसे केवल उस संपत्ति, बैंक खाता, निवेश आदि का नॉमिनी बनाया जाता है ताकि मालिक की मृत्यु के बाद जब तक कानूनी वारिस तय नहीं हो जाता, तब तक उन पैसों की लेन-देन की जिम्मेदारी नॉमिनी की होती है. आमतौर पर लोग अपने परिवार के सदस्यों को ही नॉमिनी बनाते हैं.
नॉमिनी बनाने की क्या जरूरत?
अब सवाल यह है कि अगर नॉमिनी का संपत्ति, पैसे आदि पर मालिकाना हक ही नहीं, तो कोई नॉमिनी क्यों बनाता है? दरअसल, इसके पीछे तीन वजहें हैं-
- अगर संपत्ति मालिक की बिना जायदाद बनाए मृत्यु हो जाती है, तो उसके उत्तराधिकारी या उत्तराधिकारियों के नाम तय होने तक लेन-देन का काम नॉमिनी के जरिये चलता रहता है.
- एफडी, जमीन के कागज, बीमा पॉलीसी आदि ऐसे कागज हैं जो परिवार, बैंक, सरकारी दफ्तर आदि के बीच यानी पब्लिक डोमेन में होता है और उन्हें पढ़ना मुश्किल नहीं. मगर जायदाद कॉन्फिडेंशियल श्रेणी में आता है. इसे जायदाद बनाने वाले व्यक्ति और विशेषज्ञ के अलावा कोई नहीं देख सकता. अमूमन लोग इसे अपनी और अपनों की सुरक्षा के लिए छिपा कर रखते हैं ताकि जीवनकाल में पैसों की लालच में उनके परिवार वाले उन पर कोई दबाव न डालें. इसलिए पब्लिक डोमेन में उपलब्ध कागजों में उत्तराधिकारी की जगह नॉमिनी का ऑप्शन होता है.
- कोई भी व्यक्ति अपने उत्तराधिकारी का चयन अपने आखिरी वक्त में करना चाहता है ताकि सही और जरूरतमंद व्यक्ति ही उसकी मेहनत की कमाई का हकदार करे. लेकिन रोजमर्रा के जीवन में छोटे-बडे़ काम के लिए किसी न किसी व्यक्ति का चयन करना जरूरी है ताकि अगर बिना संपत्ति बनाए व्यक्ति का निधन हो जाए, तो भी काम-काज प्रभावित न हो. इसलिए नॉमिनी बनाए जाते हैं.
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