Organ Donation Legislation: अंग दान को अनिवार्य कर कई देशों ने Organ Transplantation को बढ़ावा दिया है. भारत में अंग दान को महादान कहा जाता है. फिर भी इस मामले में हम बाकी देशों से काफी पीछे हैं. Vital Organs of Human Body जैसे दिल, लिवर, किडनी, फेफड़ों को केवल ब्रेन डेड मरीज ही दान कर सकते हैं.
प्राकृतिक रूप से जिन लोगों की मौत होती है, उनकी मौत के बाद भी उनकी चमड़ी, हड्डियां, आंख का कॉर्निया, हार्ट वाल्व को दूसरे शरीर में ट्रांसप्लांट किया जा सकता है. मात्र टिश्यू डोनेशन से 50 लोगों की जिंदगी बेहतर बनाई जा सकती है. कैंसर, एड्स या किसी इंफेक्शन से पीड़ित शख्स अंगदान नहीं कर सकता.
अंग दान में पीछे हैं भारतीय
स्पेन में प्रति 10 लाख की आबादी के लिए 36 Organ Doners हैं. वहीं, अमेरिका में 26 और जर्मंनी में 11 लोग अंगदान करने के लिए तैयार हैं. वहीं भारत में हर 10 लाख की आबादी के लिए केवल 0.5 लोग अंग दान करना चाहते हैं.
विदेशी हमसे आगे कैसे?
भारत में जहां अंग दान के लिए लोगों से उनकी या उनके मौत के बाद परिवार की रजामंदी ली जाती है, वहीं कई देशों ने अंग दान को अनिवार्य कर दिया है. भारत में जो स्वेच्छा से अंगदान करना चाहते हैं वे स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा अधिकृति एजेंसी के साथ रजिस्ट्रेशन कर अपनी लिखित सहमति देते हैं. लेकिन विदेश में नियम इसके विपरीत है. फ्रांस, जर्मनी, स्पेन जैसे कई देशों में सरकार यह मान कर चलती है कि हर नागरिक अंग दान के लिए तैयार है. वहां, वे लोग, जिन्हें अंग दान नहीं करना, वे सरकार को अपनी लिखित असहमति सौंपते हैं. यही वजह है कि जाने-अनजाने बड़ी आबादी अंग दान के लिए हाजिर रहती है.
भारत में अंगदान कैसे करें?
Transplant of Human Organs Act के अंतर्गत Form-7 को ऑनलाइन भरकर अपनी सहमति दें या फिर इस फॉर्म को नई दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल में भी जमा कर सकते हैं.
फॉर्म-7 के लिए https://notto.gov.in/WriteReadData/Portal/images/FORM7.pdf पर क्लिक करें. आप चाहें तो अपने राज्य के State Organ and Tissue Transplant Organisation (SOTTO) से भी संपर्क कर सकते हैं.
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