Cyber Crime: फोन के माध्यम से कॉन्फिडेंशियल डेटा (Confidential Data) का लीक होना या आपके फोन से परिवार-रिश्तेदारों को गलत मैसेज भेजा जाना फोन हैक होने का प्रमाण है. हैकर्स आपके फोन से चुराए डेटा- फोटो, कॉन्टैक्ट डिटेल्स, बैंक ट्रांसैक्शन डिटेल्स, बैंक पासकोड डिटेल्स, लोकेशन आदि से संबंधित जानकारी हासिल कर आपको वित्तीय, शारीरिक या सामाजि रूप से शिकार बना सकते हैं. यही नहीं, वे आपके फोन पर कब्जा कर आपके नाम से दूसरों को भी ठगी का शिकार बना सकते हैं.
फोन हैक कैसे होता है?
फोन को हैक करने के लिए ऐप या वायरस फोन में इंस्टॉल किया जाता है. हैकर्स चालाकी से हमें ये ऐप्स और वायरस अपने फोन में डाउनलोड करने को कहते हैं और हमें भनक भी नहीं लगती कि हमारा कदम हमारे लिये कितनी बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है.
इन तरीकों से आपका फोन हैक हो सकता है-
- ऐप्स (Malicious Apps): कम्प्यूटर वायरय से लोडेड ऐप्स को मैलिशियस ऐप कहा जाता है. इसमें कुछ खतरनाक कोड छुपे होते हैं. हैकर हमें डिस्काउंट, सेल या प्रीमियम मेंबरशिप का लालच देकर इन ऐप्स के लिंक पर शेयर करते हैं. जैसे ही हम वैसे लिंक्स पर क्लिक करते हैं ये मालवेयर (Malware) हमारे फोन में डाउनलोड हो जाते हैं और इस तरह हैकर्स हमारे फोन पर कब्जा कर लेते हैं.
- फिशिंग (Phishing): किसी बड़ी कंपनी का नाम, लोगो आदि का इस्तेमाल कर हमारे फोन में मैसेज भेजे जाते हैं. इन मैसेज में भी निवेश, कैश प्राइज आदि जैसे संदेश होते हैं. चूंकि संदेश नामचीन कंपनी की ओर से आता है, हम उसे सच मान लेते हैं. फिर मैसेज में दिए लिंक या बताए ऐप्स को डाउनलोड कर हम अपना ही नुकसान कर लेते हैं. जैसे ही हम इन ऐप्स को डाउनलोड करते हैं हमसे कई तरह के परमिशन मांगे जाते हैं. जैसे ही हम परमिशन देते हैं, हमारा फोन हैक हो जाता है.
- स्पैम लिंक (Spam Links): स्पैम भेजने के लिए मेल, सोशल मीडिया, मैसेज आदि का इस्तेमाल होता है. ये शॉर्ट लिंक होते हैं इसलिए यूजर्स नहीं जान पाते कि लिंक फेक है. जैसे ही लिंक पर क्लिक करते हैं इंफेक्टेड फाइल या ऐप डाउनलोड हो जाता है और वह सिस्टम को हैक कर लेता है.
- पॉप अप्स (Pop-Ups): इंटनेट ब्राउजिंग के दौरान कई पॉप-अप मैसेज स्क्रीन पर आते हैं. इनमें से कुछ तो इतने खतरनाक होते हैं कि गलती से इन पर क्लिक करते ही मालवेयर डाउनलोड हो जाता है और फोन हैक हो जाता है.
- इमेल अटैचमेंट (Email Attachment): अगर आप भी किसी मार्केंटिंग कंपनी की ओर से मिले मेल को देखते ही उसके साथ अटैच लिंक को ओपन कर देते हैं तो सावधान हो जाएं. हो सकता है कि मेल में अटैचमेंट के रूप में भेजे गए गूगल ड्राइव लिंक, वीडियो लिंक आदि नकली हों और वे आपका फोन हैक करने का जरिया हों.
यह भी पढे़ं-